नहेरुवीयन कोंग्रेसके लिये सुनहरा मौका – २
जाति आधारित राज्य रचना” कैसे की जा सकती है? उसकी प्रक्रिया कैसी होनी चाहिये?
हमने जब देशकी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये देशका विभाजन किया तब हमने (नहेरुवीयन कोंग्रेसने कुछ गलतीयां की थी. वे गलतीयां हमे जाति–आधारित और धर्म आधारित राज्य रचना करनेमें दोहरानी नहीं चाहिये)
तो चलो हम आगे बढें…
एक बात सबको समज़नी है कि हमारी मीडीयाके अधिकतर संचालकगण और नहेरुवीयन कोंग्रेस (नहेरुवीयन कोंग्रेससे मतलब है नहेरुवीयन कोंग्रेस और उसके सांस्कृतिक सहयोगी पक्ष, उसके विद्वान लेखकगण और उसके समर्थक मतदाता गण) “जैसे थे वादी” है. और यह तथ्य सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है. यदि बीजेपी का कोई भी नेता या बीजेपीके समर्थक गुटका कोई भी नेता सिर्फ एक निवेदन कर दें कि “आरक्षणके प्रावधान पर पुनर्विचारणा आवश्यक है, और इसके उपर बीजेपीके नेतागण मौन रहे तो नहेरुवीयन कोंग्रेसका चूनाव जीतनेका काम हो ही गया. लेकिन हम जानते है कि बीजेपीको भी चूनाव जीतना है, इस लिये वह आरक्षण के विरुद्ध नहीं बोलेगी.
तो अब कया किया जाय?
(१) नहेरुवीयन कोंग्रेसमें वैसे तो हर जातिके लोग है. उनसे उन जातिके नेताओंका पता लगाओ. उनको कैसे अपने पक्षमें लेना इस बातमें तो नहेरुवीयन कोंग्रेस अनुभवी है. उनसे अपनी जातिके लिये आरक्षणका आंदोलन करवाओ. उस नेताको बोलो कि आंदोलनमें कमसे कम ५०००० से १००००० की संख्या तो होने ही चाहिये. जो जितनी जनसंख्या आंदोलनमें लायेगा उसको प्रति व्यक्ति प्रति दिन के हिसाबसे ५०० रुपये मिलेगा. मान लो कि एक लाख जनसंख्या हुई तो पांच करोड रुपये खर्च हुए.
(१.१) युपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्र, कर्नाटक, ओरीस्सा, तामिलनाडु, केराला, महाराष्ट्र, इन राज्योंमें ही आंदोलन करनेका है. हरेक के दो, तीन बडे नगरोंमें ही करनेका. एक समयके आंदोलनका पचास करोड रुपये हुए. दस बार आंदोलन करवाया तो पांच हजार करोड रुपये हुए. यह कोई ज्यादा पैसा नहीं हुआ. इससे दो गुना तो माल्याने बेंकका लोन लिया था जो आज तक भरा नहीं है. नहेरुवीयन कोंग्रेसके लिये तो यह बडी बात है ही नहीं.
(२) मीडीया वाले, नहेरुवीयन कोंग्रेसको खुश होकर सहयोग करेंगे क्यों कि, इसमें उनको भी तो लाभ है. भूतकालमें भी मीडीयाकर्मीयोंने खूब लाभ करवाया है. जातिवादसे भारतको कैसे कैसे लाभ किया उस पर आप चेनलोंमें चर्चा चालु करें. यदि कहीं भी मौत होती है या अत्याचार होता है तो वह व्यक्ति कौनसी जातिका है उसके उपर चर्चा करें. आपके पास तो असामाजिक तत्त्वोंकी कमी तो है ही नहीं. इन तत्वोंको बीजेपीमें, बजरंग दलमें, विश्वहिन्दु परिषदमें भर्ती कराओ. फिर उनको बोलो कि वे उन जातिके व्यक्तिओंको चूने जो आपके द्वारा बनाई हूई सूचीमें आरक्षणके लिये समाविष्ठ है और गरीब भी है. एक सप्ताहमें सात जिलेमें हररोज एक अत्याचार करवाओ. और हररोज चेनलमें इस अत्याचारके विरुद्ध चर्चा चलाओ. मीडीयावाले भी खुश रहेंगे क्यों कि उनको घर बैठे मसाला मिल जायेगा और चर्चा का मौका भी मिल जायेगा. नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेतागण बीजेपीके शासनकी भर्त्सना करते रहेंगे. ये लोग दलित जातियोंके प्रति ही नहीं किन्तु हर गरीब जनताके प्रति बीजेपी कितनी संवेदन हीन है और नहेरुवीयन कोंग्रेस कितनी प्रतिबद्ध है यह बात लगातार बोलते रहेंगे. साथ साथ गरीबोंके हितके लिये राज्योंकी पूनर्र्चनाकी बात भी चलती रहेगी. नहेरुवीयन कोंग्रेस पैसे खर्च करनेमें सक्षम है, गुजरातके ४४ एमएलए को हवाई जहाजमें बैठाके हजार मील दूर रीसोर्टमें कैसा मजा करवाया यह बात तो हम जानते ही है.
(३) नहेरुवीयन कोंग्रेसको जनताको भरोसा दिलाना पडेगा कि राज्योंकी पूनर्र्चना में उनकी जातिका पूरा ध्यान रखा जायेगा. मुस्लिम जनताको और ख्रिस्ती जनताको भी अहेसास दिलाना पडेगा कि राज्योंकी पूनर्र्चनामें उनको लाभ ही लाभ होगा.
(४) नहेरुवीयन कोंग्रेस प्रचार करेगी कि जाति आधारित राज्य रचनासे हरेक जातिका संस्कार, संस्कृति और विकासके द्वार खूल जायेंगे. इस काम के लिये नहेरुवीयन कोंग्रेस जनगणना करवायेगी ताकि हरेक जातिको और धर्मको विकसित होनेका अवसर मिले.
(५) जनगणना कैसे होगी?
(५.०) आपके लिये सर्व प्रथम क्या है. धर्म, जाति, भाषा या देश?
(५.१) जो लोग देश लिखेंगे उनका लीस्ट अलग बनेगा
(५.२) जो लोग धर्म लिखेंगे उनका लीस्ट अलग बनेगा
(५.३) जो लोग जाति लिखेंगे उनका लीस्ट अलग बनेगा.
(५.४) जो लोग भाषा लिखेंगे उनका लीस्ट अलग बनेगा.
(५.५) भाषामें तीन प्राथमिकता रहेगी. मातृभाषा, हिन्दी या तमील, अंग्रेजी.
(५.६) हर हिन्दु व्यक्ति अपना धर्म, जाति, उप–जाति, उप–उप जाति, उप–उप–उप–जाति, गोत्र, ईष्ट–देव, ईष्ट–देवी, गुरु आदि के बारेमें सरकारको माहिति देगा.
(५.७) हर मुस्लिम व्यक्तिको लिखवाना पडेगा कि वह सिया, सुन्नी, अहेमदीया, सुफी, दिने इलाही, वहाबी, शरियती, या जो भी कुछ भी हो वह है.
(५.८) हर ख्रिस्ती व्यक्तिको मुस्लिमोंकी तरह अपनी माहिति देगा.
(५.४९ अन्य धर्मवाले भी ऐसा ही करेंगे.
ये सब माहिति गुप्त रखी जायेगी.
(६) इस प्रकारकी जनगणनाके बाद उनका वर्गीकरण किया जायेगा, हरेक वर्गका उप–वर्गीकरण, उपवर्गका उप–उप–वर्गीकरण, उप–उप–वर्गीकरणका उप–उप–उप वर्गीकरण किया जायेगा.
(७) हर प्रकारके वर्गीकरणकी जनसंख्या निकाली जायेगी.
(८) मुख्य वर्ग “धर्म” रहेगा. धर्मके आधार पर राज्य बनाया जायेगा.
(९) धर्मका एक दुसरेके साथ प्रमाणका कलन किया जायेगा. भारतकी कुलभूमिमें हर धर्मके हिस्सेमें कितनी भूमि आयेगी उसका कलन किया जायेगा.
यक्ष राज्य
(१०) जिन्होनें “सर्व प्रथम देश” लिखा है उनके लिये सीमा वर्ती विस्तार रहेगा. इस प्रकार, राजस्थान, गुजरात, कोंकण, कर्नाटक, केराला, तमीलनाडु, ओरीस्सा, पश्चिम बंगाल, पूरा उत्तरपूर्व, हिमालयसे संलग्न विस्तार, पूरा जम्मु और काश्मिर राज्य इन सब राज्योंको मिलाके सीमा रेखासे २५० किलोमीटर अंदर तक के विस्तारवाला यक्ष–राज्य बनेगा. यक्ष–राज्यसे मतलब है सीमाका राज्य.
(११) यक्ष–राज्यकी सुरक्षा रेखा पर सुरक्षा सेना के निवृत्त कर्मचारीयोंको बसाया जायेगा.
(१२) यक्ष राज्य पूरा केन्द्र शासित राज्य रहेगा.
हिन्दु राज्य
(१३) यक्ष राज्यके पीछे “हिन्दु राज्य आयेगा. हिन्दु राज्यमें जातिके आधारपर जिल्ले बनेंगे. हर जिल्लेमें जातिके उप–जाति के आधार पर तहेसील बनेंगे. हर तेहसीलमें गोत्रके आधार पर नगर और ग्राम बनेंगे. एक नगरमें या ग्राममें एक ही गोत्रके लोग रहेंगे. एक गोत्र इसलिये कि, समान गोत्रमें शादी नहीं हो सकता. एक गोत्रकी कन्या और वही गोत्रका दुल्हा एक दूसरेके बहेन और भाई बनते है. इस प्रकार कन्याओंको सुरक्षा प्रदान होगी. क्यों कि कोई अपनी बहेनको छेडता नहीं.
प्रकीर्ण धर्म राज्य
(१४) हिन्दु राज्यके पीछे जिन्होनें “प्रकिर्ण धर्म वाले मतलब कि यहुदी, अन्य बिन–ख्रिस्ती, बिन–मुस्लिम धर्म वाले आयेंगे. जिनके धर्मके आधार पर जिल्ला और या तहेसील और या नगर/ग्राम बनेंगे.
ख्रिस्ती राज्य
(१५) प्रकीर्ण धर्म राज्यके पीछे ख्रिस्ती राज्य आयेगा. ख्रिस्ती धर्मके वर्गीकरणके हिसाबसे उनके जिल्ला, तेहसील और नगर/ग्राम रहेंगे.
मुस्लिम राज्य
(१५) ख्रिस्ती राज्यके पीछे मुस्लिम राज्य आयेगा. मुस्लिम धर्मके आंतरिक वर्गीकरण के हिसाब से उसके राज्यमें जिल्ला, तहेसील, नगर/ग्राम आदि बनेंगे.
भाषा प्रथमका क्या?
(१६) जिन्होने “भाषा प्रथम” लिखाया है उनको केन्द्रसे यक्ष–राज्य और हिन्दु राज्यकी सीमासे लेकर भौगोलिक केन्द्र तक एक यथा योग्य चौडाईवाला विस्तार अंकित किया जायेगा उसमें भीन्न भीन्न भाषा प्राधान्यवाले का विस्तार आयेगा.
(१७) हरेक धर्म–राज्यको आर्टीकल ३७०की सुविधा मिलेगी.
देशका धर्म–जाति आधारित पूनर्र्चनाका सैधांतिक चित्र देखो. और भारतका प्रास्तावित चित्र भी देखो.
ध्रर्म–जाति आधारित राज्यके लाभ
(१) धर्म, जाति और भाषाको लेकर आंतरिक युद्धकी शक्यताका निर्मूलन
(२) जाति आधारित आरक्षणकी समस्याका निर्मूलन
(३) आतंकवादका निर्मूलन आसान
(४) काश्मिरकी आतंरिक समस्याका निर्मूलन
(५) नये राज्योंकी मांग अशक्य
(६) मतबेंककी सियासत नष्ट,
धर्म और जाति आधारित राज्यों की समस्याएं क्या हो सकती है? और उनको कैसे हल किया जाय?
(१) जनताका स्थानांतरणः कोम्प्युटरकी मददसे प्रवर्तमान नगर और ग्राममें मकानका विस्तार और संख्यामें उपलब्धता और धर्मके आधार पर वर्गीकृत व्यक्तिओंकी उचितताके आधार पर आबंटन. और उस आधारपर सरकार द्वारा आयोजन करके स्थानांतरण.
(२) एक नगर/ग्राममें एक ही गोत्रके लोग रहेते है तो शादीकी समस्या कैसे हल की जाय? शादी–ईच्छुक लोगोंकी और वाग्दत्त/वाग्दत्ताओंकी आवन जावन बढेगी तो सरकारका टेक्ष टीकीटों द्वारा राजस्व बढेगा.
(३) एक धर्मके लोगोंका अन्य राज्यमें धार्मिक स्थल है. इससे राज्यका पर्यटन व्यवसाय बढेगा.
(४) सभी राज्य क्लोझ्ड सरकीटमें है, इसलिये क्लोझ्ड सरकीट मार्गव्यवहार बढेगा और देशकी तरक्की होगी. व्यवसायमें वृद्धि होगी
(५) एक ही जातिके लोग परस्पर झगडेंगे इस कारण जनताका एक ही उप–उप–उप ज्ञातिमें और विभाजन होगा, तो इससे नये नगर बनेंगे और विकास होगा. नहेरुवीयन कोंग्रेस ऐसे विभाजनोंका लाभ ले सकती है. इस लिये नहेरुवीयन कोंग्रेसके संस्कारको क्षति नहीं आयेगी.
(६) जिस व्यक्तिका राज्य पूनर्रचनाके बाद जन्म हुआ वह जब वयस्क हुआ तो वह अपनी पसंदका राज्य कर सकता है.
शिरीष मोहनलाल दवे
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Can you tell me why Dr, Ambedkar is known to be great man of India who has created Reservation policy which has created Dalit samaj, not only that it has contributed to the government most corrupt and inefficient bureacracy and lethal weapon of vote bank policy in the hands of Political Parties?
Regds
Rasikbhai Gandhi
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Dear Rasikbhai,
Bureaucracy has been made ineffcient by Nehruvian Governments. Ambedkar had proposed reservation for untouchables only and that too for a limited period. I considered him great because he was more knowledgable and he had foresight
Nehru was power oriented and expert politician as to how to play political games. Nehru had no foresight.He made IAS officers corrupted by indirect means. Indira Gandhi had the same Nehruvian culture since she was nearly illiterate, she made a lot blunders and further she herself was corrupted, this caused all bureaucrats to be money oriented freely. The same culture has been still continued.
It will take decades to bring the administration on track by 100 Narendra Modi-s.
Regards,
Shirish
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