क्या चिकित्सकोंको टीकैतकी हवा लगी?
बाबा रामदेवने क्या प्रश्न पूछे कि ये भारतीय चिकित्सक संघको मीर्ची लग गयी!!
अरे भाई प्रश्न ही तो पूछे है.!
बाबा रामदेव पतंजली नामका एक ट्रस्ट चलाते है. ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र विशाल है. यह ट्रस्ट “घी”से लेकर धान्य तक, सोनपापडीसे ले कर बीस्कीट और नुडल तक, नमक से लेके टुथपेस्ट तक, और मुंगफली तेलसे लेकर ओलीव ओईल तकके तेल बनाता है.
वैसे तो हिंदुस्तान युनी लीवर को आपत्ति होना चाहिये. किंतु उसको तो कोई आपत्ति नहीं है. आपत्ति हुई है भारतीय चिकित्सक संघको. यह पतंजली वाला बाबाराम देव त्रीफळा चूर्णसे लेके “कोरो-निल” तक औषधियाँ बनाने लगा है.
भारतीय चिकित्सक संघको आपत्ति तो होगी या हो सकती है या आपत्ति तो थी ही, किंतु वह अभी तक मौन रहा. क्योंकि कोराना महामारीके कारण भारतीय एलोपथीके चिकित्सक लोग अतिव्यस्त थे. वैसे तो आम भारतीययोंके लिये यह एक आपात्ति थी किंतु अधिकतम एलोपथीके चिकित्सकोंके लिये यह अवसर था. ये चिकित्सक लोग, और चिकित्सालय और दवाईयां बनानेवाली कंपनीयोंके लिये, इससे बढकर, पैसे बनानेका अच्छा मौका कब मिल सकता है?
बाबा रामदेवकी संस्थाने कोरोनील का आविष्कार किया. उसका परिक्षण भी किया और सरकार मान्य संस्थासे अनुमति भी ली. और तत् पश्चात् बाबाराम देवने घोषणा की कि, हमने कोरोनाकी दवाईयाँ बनाई है.
कोंगी शासित राज्यके एक मुख्य मंत्री तो बाबा राम देवके इस कथन पर तूट ही पडेंगे. उन्होंने तो बिना कुछ सोचे घोषित ही दिया कि यदि बाबा रामदेवकी कोरोनीलकी दवाईयां मेरे राज्यमें आई तो मैं बाबाराम देवको कारावासमें भेज दुंगा. कोंगी पक्षमें तो बिना कुछ पढे सोचे बोलनेमें तो, मूक्त कंठी राहुल गांधीसे बढकर हर व्यक्ति होता है. कोंगीयोंका जूठ सिद्ध होने पर कोंगीयोंको लज्जा वज्जा जैसा कुछ होता नहीं है. वैसे तो गधेको भी प्रहार जनित पीडा एक मुहूर्त पर्यंत तो रहती ही है. किंतु कोंगीयोंको एक मुहूर्त तक भी उनका अज्ञान या जूठ उजागर होनेसे तनिक मात्रामें भी लज्जा नहीं आती.
मूल वार्ता बिंदु पर आवें.
भारतीय (एलोपथी) चिकित्सक संघने पहेले तो सोचा कि; “ चलो हम भी तो पैसे बनानेका अवसर ढूंढते है तो यदि बाबा रामदेव भी भले ही थोडे बहूत पैसे बना ले. हमारा जालतंत्र तो समग्र दुनियामें व्याप्त है. एलोपथी दवाईयां बनानेवाली कंपनीयां तो समय समय पर १० गुना, १०० गुना, १००० गुना और १०००० गुना मुनाफा कर ही लेती है. और हम चिकित्सकोंको हमारा हिस्सा मिल ही जाता है. इतना ही नहीं हम तो उनके कारण विदेशोंकी अफलातून सैर भी समय समय पर कर ही लेते है. ऐसी सफरें तो हमारा जिवनका एक भाग बन गया है. तो चलो बाबा राम देवको भी थोडा बहूत पैसा बनाने दो.
“किंतु यह क्या? हमने बाबा रामदेवको ऐसी छूट दी तो इसका मतलब यह तो नहीं कि वह हमसे सवाल करें! यह तो बडी नाइंसाफी है. बाबा राम देवने तो एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं … पूरे पचीस (२५) प्रश्न हमसे पूछे. यह तो गुस्ताखीकी सीमा ही हूई न. यह तो गुस्ताखी नहीं तो और क्या हुआ?
“क्या बाबा रामदेव, हमसे प्रश्न करनेके लिये सक्षम है?
अरे, … भारतीय चिकित्सक संघ भैया, यह तो भारतवर्ष है. यहाँकी तो परंपरा रही है कि श्रोतागण/शिष्यगण प्रश्न करें और मूनी/ज्ञाता, उनके प्रश्नोंका उत्तर दें.
“अरे हम तो युनानी चिकित्साके अनुयायी है. हम कोई सरकार थोडे ही है कि ऐरे गैरे हमसे सवाल करें? हम तो रोगके उपर आक्रमण करनेवालोंमेंसे है. ट्युमर हुआ है ? ट्युमर काट दो, बोईल हुआ है ? बोईल काट दो, शरीरमें पथरी है? निकालके फैंक दो, जीभ बढ गई है? तो उसको भी काटके छोटी कर दो … फिरसे ऐसा हुआ तो फिरसे काट दो … हम तो अपने रोगीको बोल ही देते है कि हम आपका रोग कैसे हुआ वह जानते नहीं है, हम तो केवल उसका उपचार ही करते है.
“और यह बेवकुफ बाबा हमसे सवाल करता है. यह कोई बात हुई?
“जिनकी वजहसे हमारी दालरोटी और गुलाबजामून निकलते है, वैसे हमारे अन्नदाता रोगीको भी हम कह देते है कि हमे सवाल मत करो. तो यह बाबा जो हमारा प्रतिस्पर्धी है उसके सवालका क्या हम जवाब देंगे? अरे बाबा तू किस खेतकी मूली?
बाबा राम देवने तो सवाल पूछे भी … और उन सवालोंको सार्वत्रिक भी किया.
“तो अब हम क्या करें?
“यदि हमे बाबा रामदेवके सवालोंका जवाब नहीं देना है और हमें हमारा उल्लु सिधा करते रहेना है तो हमें क्या करना चाहिये?
“उनके सवालोंका जवाब दे दें?
“नहीं नहीं नहीं … ऐसा तो कभी भी नहीं करनेका. हम एक सवालका जवाब देंगे तो उसके विरुद्ध वह दो सवाल करेगा. फिर हमें तो जवाब देते ही रहेना पडेगा. ऐसी परंपरा हमे स्थापैत करना नहीं है.
“तो हमें क्या करना चाहिये?
“हमें ममताकी तरह अपने काले कारनामे छीपानेके लिये, बीजेपी के विरुद्ध आग उगलना प्रारंभ कर देना चाहिये और गालीप्रदानके जो भी शब्द याद आवें वे सब बाबा रामदेवके लिये बोलदेना चाहिये …!
“लेकिन इससे हमें क्या फायदा? हम लोग तो पढे लिखे है. हमारा गाली प्रदान तो बूमरेगकी तरह हमें ही बदनाम करेगा … हम निर्लज थोडे है?
“तो फिर हमें अरविंद केज्रीवालकी तरह अपने काले कारनामे छीपानेके लिये भावनात्मक शब्दोंमें विषयांतर करके अन्य चर्चा चालु करदेना चाहिये ताकि जनता असमंजसमें पड जाय …!
“लेकिन हम कोई पूर्वजन्मके रस्सीयां खींच कर सरकारी पदाधिकारी नहीं है कि रामदेवको या जनताको गुमराह कर सकें …!
“तो हमें राकेश टीकैतकी तरह थोडे चिकित्सकोंके साथ, सूत्रोच्चारके बेनर लेके, विरोध प्रदर्शन करना चाहिये … और असंबद्ध फिलोसोफी पर उतर आना चाहिये …!
“हाँ … हाँ … यही ठीक है, जब हम प्रश्नोंके उत्तर देनेके लिये अक्षम हो, हमारे विरोधके मुद्दे क्या है वह हमे मालुम न हो, तो हमे राकेश टीकैत की तरह ही प्रदर्शन करना पडेगा …
“लेकिन यदि हम राकेश टीकैत जैसा करेंगे तो हम आम जनताकी दृष्टिमें गीर नहीं जायेंगे …?
“यह बात भी सही है … लेकिन एक बारके लिये तो, एक बारके लिये …, प्लेकार्डज़ लेके हम प्रदर्शन तो कर ही दें … ताकि हमारा विरोध टीवी चेनलों पर और वर्तमान पत्रोमें रजीस्टर हो जाय. बाबा रामका हम विरोध करें यह बात ट्रोल करनेके लिये, एक जत्था (लुट्येन गेंगोंवाले), आतुर ही है इतना ही नहीं वे अतिहर्ष पूर्वक हमारा विरोध ट्रोल करता रहेगा. उनको हमें कुछ कहेना ही नहीं पडेगा. वे ही इमोशनल शिर्ष – रेखाएं बनाके बाबा रामदेवको एक कौडीके दामका बना देंगे. मुज़े तो लगता है कि कोंगी पक्षके नेतागण और उनके सांस्कृतिक साथी पक्षोंके नेतागण, हमारी बातें उठा ही लेंगे.
“ ये सब बातें तो सही है, लेकिन हमें कुछ कठोर कदम भी उठाना चाहिये. हम यदि बाबा रामदेव पर न्यायालयमें एक स्युट दाखिल कर दें तो कैसा रहेगा? १०००० करोड का नुकशान वसुली और हमें और हमारे व्यवसायको जनताकी नजरोंमें गीराने वाला मानहानि का केस ही न्यायालयमें दाखिल कर देवे. जब तक केस चलता रहेगा हमारे सहयोगी लोग बाबा रामदेवको तीर मारते रहेंगे.
“हाँ … यह भी सही है. बीजेपी/मोदी/योगी/शाह विरोधी लोग, हमारी बात उठा लेंगे … हमें कुछ करना भी नहीं पडेगा … हम अपने मूलभूत कार्यमें जूट जायेंगे २०, ४०, ६० लाखके फीस/दान देकर हमने जो एलोपथीकी उपाधि जो प्राप्त की है, उसको आपत्ति बननेसे रोकना तो पडेगा ही …!
“क्या बाबा रामदेवको वाणी स्वातंत्र्यका अधिकार नहीं है?
“नहीं बीजेपीके मतदाताओंको कोई स्वातंत्र्य नहीं है. स्वातंत्र्य किसको कहेते है उसकी परिभाषा न्यायालय सुनिश्चित करेगा और वह भी प्रसंगके अनुसार ही निश्चित होता है. आप इसकी चिंता मत करो. हमारे पास एकसे बढकर एक वकील है, और हम ढेर सारे वकील लगा देंगे. अरे भाई लुट्येन गेंगसे तो सब कोई डरते है. देखा सूना नहीं है कि एक साक्षात्कारको? सेवा निवृत्त सर्वोच्च न्यायालयके मुख्य न्यायाधीशके एक टीवी-चेनल पर क्या कहा था?
“लेकिन एक विश्वमान्य और विश्व प्रमाणित चिकित्सकने तो कहा है कि जिन्होंने ही वेक्सीन लिया है वे सभी दो वर्षके अंदर मर जानेवाले है. क्यों कि वेक्सीनके कारण ही कोरोनाका म्युटेशन होता रहेता है और ऐसे म्युटेशन होंगे कि वे जान ले लेंगे. … तो इस चिकित्सकका क्या करेंगे. उसके उपर भी स्युटकेस फाईल कर दें?
“अरे भाई, वह तो अपनका आदमी है.