नकलीको असली कहो और ध्वस्त करो – १
लोग हमें पूछते है …
बच्चू क्या है?
दादु क्या है?
चाचू क्या है?
चाची या आंटी क्या है?
असली, नकली किला क्या है? …
बच्चूसे मतलब है कोमन मेन
लेकिन कोमन मेनके बारेमें तो एक मूंँहावरा है कि कोमन सेंस इज़ कोमनली अनकोमन. [ common sense (the sense to understand common matters) is commonly (generally) uncommon. That means common men generally does not have common sense] यानी कि, सामान्यतः सामान्य बुद्धि (सामान्य बातोंको समज़ने वाली बुद्धि) , सामान्य व्यक्तिमें न होना सामान्य है.लेकिन यह तो शक्यताका सिद्धांत है. इसीलिये शक्यताके सिद्धांतके आधार पर असामान्यतः यानी कि सामान्यव्यक्तिमें सामान्यबुद्धि हो भी सकती है. हमारा यह बच्चू, सामान्यबुद्धि रखता है.
यह सामान्य बुद्धि है क्या?
पूरा विज्ञान, मतलब कि, भौतिक शास्त्र, सामान्य बुद्धि पर, अवलंबित है, जो सामान्य सिद्धांतोंके आधारके उपर असामान्य निष्कर्ष निकालता है.
ओके चलो. ये सब बादमें देखेंगे.
यह दादू क्या है
दादू से मतलब है “निष्णात”. सुज्ञ.महानुभाव, महापुरुष, सुचारुरुपसे सत्य, श्रेय और आनेवाली घटनाओंको, और उनकी असरोंको समज़नेवाला.
यह चाचू क्या है?
चाचूका मतलब है … जो स्वयंको (अपनी सोसीयल मीडीयावाली सामाजिक कवरेज के कारण) दादू समज़ता है वह चाचू है. “अंकल सेम” कौन है मालुम है?
हांँ जी, सूना है. “अंकल सेम” से मतलब है अमेरिका यानी कि यु.एस.ए. का राष्ट्रप्रमुख.
सही कहा. चाहे अंकल सेम किसीभी पार्टीका हो वह यदि यु.एस.ए.का प्रेसीडेंट बन गया, तो अंकलसेम स्वयंको विश्वका चाचा समज़ता है. वह पूरे विश्वके देशोंको सूचनाएं सलाह और एवं आदेश दे सकता है. उसी प्रकार यदि किसी व्यक्तिको अपनी योग्यतासे अधिक प्रसिद्धि मिल गयी हो तो वह अपनेको चाचू (अंकल सेम), समज़ने लगता है और अन्य सामान्य जन को बच्चू समज़ता है. जैसे कि फिलमके क्षेत्रके अभिनेता, निर्माता, वितरक, लेखक, … या तो वर्तमान पत्रके तंत्री, कोलमीस्ट्स, विश्लेषक, … एवॉर्डधारी, कोई संस्थाके पदधारी [कोंगीके पद धारी रा.गा., सोनिया, मीसेज़ प्रियंका वाईदरा (घांडी)] …
यह असली नकली किला क्या है?
“असली” यदि एक निर्माण/स्थापत्य है तो वह जिस प्रयोजनसे बना है या बनाया गया है वह असामान्यरुपसे शक्तिमान है. वह अनियत और प्रलंबित काल तक प्राकृतिक प्रहार सहन कर सकता है. कभी कभी असली यह भी होता है जो तूट कर भी फिर से बन जाता है. बार बार तूट कर बार बार बन जाता है. “असली”को बनानेमें कालमींढ पत्थर, चूना और पानीका उपयोग होता है. इन तीनोंसे मिलकर स्थापत्यका यथेच्छ आकार बनता है. चूना और पानी मिलकर प्रारंभमें केल्स्यम हाईड्रोक्साईड बनता है और समयांतरमें वह केल्स्यम कार्बोनेट पत्थर बन जाता है. कालमींढ पत्थर और केल्स्यम कार्बोनेट एकदुसरेके साथ एकजूट पत्थर जैसा बन जाता है. समय साथ वह मजबुतसे अतिमजबुत बनने लगता है.
यदि “असली” एक व्यक्तित्त्व है, तो वह तार्किक सिद्धांत/विचारधारा और आचार संहितासे बनता है. सिद्धांत/विचारधारा पर यदि “ कलुषित मानवजुथ सर्जित”, आक्रमण एवं विसंवादित विचार धाराओंके प्रहार होते हैं तो वह झेल सकता है. क्यों कि ये “मानव जुथ” वास्तवमें, परस्परमें भी और स्वयंमें भी विरोधाभासी एवं विसंवादी होते है.
नकली क्या होता है?
नकली एक “ प्रतिकृति” होती है. वह अस्थायी और कमजोर होती है. वह खास हेतुसे बनायी जाती है. उसको नष्ट करनेके लिये बनाया जाता है. उसको रेत, मीट्टी और तेल या पानीसे बनाया जाता है. रेतका उपयोग, प्रतिकृतिको कमजोर रखनेके लिये, किया जाता है, मीटी और पानी/तेल का उपयोग, रेतको चीपकाके, प्रतिकृति/ संरचनाको “असली”वाला आकार देनेके लिये होता है.
नकली यदि एक व्यक्तित्त्व होता है, तो उसको जूठ, विवादास्पद वर्णन/फर्जी/अर्ध सत्य और वितंडावादी प्रचारका सहारा लेके, असलीके रुपमें प्रदर्शित किया जाता है. क्यों कि उस सुनिश्चित व्यक्तिके व्यक्तित्वको नष्ट करना ही उनका हेतु होता है. “नकली” व्यक्तित्त्व के निर्माताओं का आखरी हेतु, परस्पर भीन्न भीन्न, एवं प्रच्छन्न भी होता है.
तो चलो हम देखें चाचू, चाची, दादू, बच्चू, असली, नकली कैसे प्रदर्शित होते हैं !!!
( क्रमशः)
शिरीष मोहनलाल दवे
Leave a Reply