नकलीको असली कहो और ध्वस्त करो – ४
November 17, 2021 by smdave1940
नकलीको असली कहो और ध्वस्त करो – ४
(१) हमने पहेले ही देख लिया है कि कुछ लोग “एम. के. गांधीजीकी बुराई करनेमें क्यों सक्रीय है?
अधिकतर किस्सोंमे जो वीडीयो-लेख प्रस्तूत करनेवाले होते हैं उनको यह देखाना है कि वे किस सीमा तक निडर राष्ट्रवादी है कि वे, अपना राष्ट्रवादत्त्व दिखानेके लिये गांधीजी तकको छोडते नहीं है. इन लोगोंके अनुयायी लोग, गांधीजी के लिये जो भी गाली याद आयी उस गालीको कोमेंटमें लिख देते है.
(२) गांधीजीकी बुराई करनेमें बुराई क्या है?
गांधीजीकी निंदा करनेमें कोई बुराई नहीं है, यदि यह चर्चा तर्कशुद्ध और ज्ञानवर्धक हो. लेकिन ऐसा कभी भी होता नहीं है. एक फर्जी बात करो, वाणी विलासवाला विवरण दो, जूठ को ही सच मानके चलो, और उस फरेबी सचसे गांधीजीके व्यक्तित्त्वको ध्वस्त कर दो.
जैसे कि; गांधीजीके रामको पुतला वाला राम कहेना , गांधीजीका भगत सिंह के प्रति द्वेष था ऐसा मान लेना, गांधीजीका सुभाष के प्रति द्वेष था ऐसा मान लेना, गांधीजीकी मुस्लिमोंके प्रति तुष्टिकरणकी नीति थी ऐसा मान लेना, … गांधीजीकी अहिंसा फरेबी थी ऐसा मानना, गांधीजीने देशको तोडा ऐसा मानना, गांधीजी तो अंग्रेजोंके पालतु कुत्ते थे ऐसा मानना, एकाधिकारवादी गांधीजीने नहेरुको कोंग्रेसका प्रमुख बनाया …. ऐसी तो कई बातें है, जिनसे गांधीजीको मरणोत्तर गालीयां मिलती रहेतीं हैं.
लेकिन यदि कोई गांधीजी प्रति आदर करनेवाला, प्रश्न करें और चर्चाका आहवाहन करें, तो ये लोग उसके उपर गाली प्रहार करेंगे, यदि चर्चामें उतरे तो मुद्दे बदलते रहेते हैं, असंबद्ध बातें करेंगे, … एक वीडीयो या/और पुस्तककी लींक देके चर्चासे भाग जायेंगे. यदि उनकी तबियत गुदगुदाई तो दो तीन गालीयां भी दे देंगे.
(३) गांधीजीकी बुराई करने वाले है कौन?
गांधीजीकी बुराई करनेवाले लोग कोंगी और उसके सांस्कृतिक साथी है.
कोंगीयोंने पहेलेसे ही सत्ताके लिये लोगोंको विभाजित करनेका काम करते रहे हैं.
मुस्लिमोंको तो एक बाजु पर छोड दो.
(३.१) हिंदुओंकोभी विभाजित करनेका काम कोंगीयोंने ही किया है.
सत्ताके लिये कोंगीने शिवसेना की स्थापना की थी.
(३.२) कोंगीयोंने मुस्लिम तुष्टीकरणके लिये साध्वी प्रज्ञाका क्या हाल किया था?
हिंदुओंको भगवा आतंकवादी सिद्ध करनेके लिये बंबई ब्लास्टकी घटनाको, हिंदुओ पर ठोक देनेके लिये, एक कोंगीनेताने एक पुस्तक लिख दी थी.
(३.३) ममता, बीन बंगालीयोंको बाहरी बताती है, वह दलित हिंदु औरतोंपर अत्याचार करवाती है और उनके घर जला देती है, उतना ही नहीं हिंदुओंको राज्यसे बाहर खदेड देती है. ममता फिर मीट्टीका मानुस का गीत गाती है.
(३.४) महाराष्ट्रका नेता मराठाओंको अन्यसे अलग करवाता है, और माराठाओंको आरक्षण दिलानेके लिये आंदोलन करते हैं.
(३.५) आपको कोंगीकी लुट्येन गेंगमें अब, काका कालेलकर जैसा सवाई गुजराती नेता ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा. सौराष्ट्रके झवेरचंद मेघाणी शिवाजीके गुणगान वाली कविता रचते थे.
(३.६) गुजराती और मराठी जनता हिलमिलकर रहेती थीं. नहेरुने मराठी-गुजरातीमे विभाजन १९५६में किया.
(३.७) कर्नाटकमें कोंगी, “लिंगायत”को (जो शिवके उपासक है) उनको अल्पसंख्यकका दरज्जा देना चाहती है. यदि शिव ही हिंदु धर्ममेंसे निकल गये तो हिंदुधर्ममें बचा क्या?
(३.८) गुजरातका एक कोंगी पटेल नेता पाटीदारोंके आरक्षण के लिये आंदोलन चलाता है.
(३.९) जब कोंगीयोंकी सत्तामें हिस्सेधारी होती है तब वे विपक्षीनेताओं पर बेबुनियाद आरोप और फर्जी केस चलाते थे. रामलीला मैदानमें बाबा रामदेवके अहिंसक आंदोलन पर आधी रातको आक्रमण करवाया. अहिंसक आंदोलनकारी लोगोंको पीटा गया. ऐसे तो अगणित घटनाएं हैं.
(३.१०) भारतमें लोकशाहीमूल्योंका हनन कोंगी शासित राज्योंमें होता है.
(४) दलितोंको वोटके लिये टार्जेट करना, एक नया तरिका ममताने निकाला है.
(४.१) वोट न देनेके कारण, दलितों के प्रति ममताका रुख कैसा रहा? ममता, इन दलितोंको अपने घरमें वापस आने के लिये दलितोंसे पैसे मांगती है.
(४.२) दलित लोग गरीब है और वे प्रतिकार नहीं सकते, न तो वे न्यायालयमें जा सकते है. पूलिस तो ममताके आधिन है. इस लिये ममताने दलितों पर ही आक्रमण करवाया, यह एक ल्युट्येन गेंगकी नयी खतनाक चाल है.
(४.३) सरकारी अफसरोंको और न्यायाधीशोंको धमकी देना कि “आप भी तो निवृत्त होनेवाले है, फिर आपका क्या हाल होगा वह सोच लो.” गवर्नरको बोला जाता है कि “दिल्ली जाते हो तो वापस मत आना”.
जनतंत्रको अवहेलना करने की मनमानी करनेकी इससे अच्छी मिसाल विश्वमें कहीं नहीं मिलेगी.
ग़ांधीजीकी बुराई करनेवालोंको यह सब नहीं दिखाई देता है.
(५) गांधीजीकी निंदा करने वाले प्रच्छन्नरुपसे कोंगीके हितैषी है.
(५.१) जाति-वर्ण के आधार पर भी विभाजित किया आ सकता है. भाषा और क्षेत्रके आधार पर भी विभाजित किया जा सकता है.
(५.२) कोंगी लोग यह भी समज़ते है कि हिंदुओंको गांधीके नाम पर भी विभाजित किया जा सकता है.
(५.३) एक फर्जी नेरेटीव्ज़ चलाया गया है कि गांधीजीने ही नहेरुको गद्दी पर बैठाया और इस नहेरुके कारण देशकी यह दुर्दशा हुई. तो अब नहेरुको और नहेरुवीयनोंको बाजु पर रख दो, और गांधीके उपर ही तूट पडो.
आप पूछोगे लेकिन इससे क्या होगा?
(५.४) कोंगी समज़ती है कि वैसे तो आर. एस. एस. के कुछ अज्ञ लोग उनको गांधीजीकी हत्यासे कुछ भी लेना देना नहीं है, तो भी “आर. एस. एस.”वाले कुछ लोग तो मैदानमें उतर आयेंगे और गांधी-निंदाको सपोर्ट करेंगे. कमसे कम गांधीको एक गाली देके अपना फर्ज निभाया ऐसा मानेंगे.
आप कहोगे कि; “आर. एस. एस.”का गांधीकी हत्यासे लेना देना क्यों नहीं है?
“अरे भैया, गांधीजीकी हत्या करनेवाला आर.एस.एस. का सदस्य था ही नहीं. वह तो हिंदु महा सभा का सदस्य था.
“तो फिर “आर.एस.एस.” वाले क्य़ूंँ कूद पडते है?
“क्यूंँ कि आर.एस.एस.” पर राहुल गांधी आरोप लगाता है कि “आर.एस.एस.” वाले गोडसे वाले है. यदि जब राहुल गांधी जैसा, महामानव, आरोप लगाता है तो उसका आदर तो करना पडेगा ही न. राहुल गांधी कौई ऐसा वैसा आदमी थोडा ही है?
(६) गांधीजी की निंदा करनेमें कौन कौन प्रकारके लोग है ?
गांधीजीकी निंदा करनेमें ऐसे लोग है जो अपनेको सुज्ञ मानते है लेकिन वे लोग गांधी-साहित्य को पढनेका कष्ट उठाना चाहते नहीं है.
ये छोटा मोटा पदधारक, विश्लेषक … होने के कारण लिखते रहेना / बोलते रहेना उनका व्यवसाय है. क्या करें ख्याति भी तो कोई चीज़ है!! यदि हम तर्कशुद्ध नहीं बोलते तो क्या हुआ? कौन तर्क शुद्ध बोलता है? बीबीसी ? न्यु योर्क टाईम्स?
वे समज़ते है कि मौका मिला है तो लिख ही दो. अनुपद्रवी लिखनेके बदलेमें उपद्रवी लिखनेेसे अधिक लाईक और कोमेंट मिलती है. आपने देखा नहीं क्या, कि आचार्य रजनीश, अकबरुद्दीन औवैसी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, िप्रयंका वांईदरा, टीकैत, अखिलेश, एमएमएस, नवाब मलिक, ममता, केज्री … आदि लोग उपद्रव कारी नहीं बोलते तो उनकी पहेचान कैसे बनती?
(७) गांधीजीकी निंदा करनेसे फायदा किसको होगा?
(७.१) गांधीजीकी निंदा करनेसे ल्युटेन गेंगोंको (यानी कि, बीजेपीके विरोधीयोंको) फायदा होगा.
क्यूंँ कि काफि अज्ञ हिंदु लोग मानते है कि गांधीकी निंदा करना वह नहेरुकी निंदा करना ही है. (वैसे तो नहेरु और गांधीके बीच आकाश पाताल का भेद है. लेकिन पढना किसको है? समज़ना किसको है?).
(७.२) नरेंद्र मोदीने गांधीजीको पढा है. लेकिन ये अज्ञ लोग शुक्र करो कि, नरेंद्र मोदीको गांधीजीके संबंधमें गालीयां देते नहीं है. क्यूंँ कि तब तो वे एक्सपोज़ हो जायेंगे कि वे प्रो-कोंगी है.
(७.३) कुछ सियासत से अज्ञ लोग है, लेकिन वे गांधीको तो जानते है और उनके उपर श्रद्धा रखनेवाले है, ये लोग समज़ेंगे कि गांधी-निंदक (वे इनको आरएसएस वाले) तो जूठ बोलते है और विश्वसनीय नहीं है. इसलिये बीजेपी भी विश्वसनीय नहीं है.
(७.४) आम जनतामें भी ऐसे लोग है, जो लोग द्विधामें पड जाते है. वे ऐसा समज़ने लगते है कि सियासतमें सभी लोग एकसे होते है.
इससे क्या होता है?
(७.५) ये लोग “नोटा” बटन दबाते हैं, या वॉट देनेको ही नहीं जाते है.
(७.६) कई सारे लोग उपरोक्त द्विधाके कारण वॉट देनेको जाते नहीं है.
(८) इस बातको हमेशा याद रक्खो कि;
(८.१) राष्ट्रवादीओं द्वारा वॉटके लिये जाना नहीं, गद्दारोंको वोट देने के बराबर है.
(८.२) राष्ट्रवादीओं द्वारा बीजेपीको वोट नहीं देना या “नोटा” बटन दबाना, गद्दारोंको वॉट देनेके बराबर है.
(९ ) ओ! गांधीजीकी निंदा करनेवाले महानुभाव लोग, यदि तनिक भी समज़दारी भी है तो समज़ जाओ. युद्ध केवल शस्त्रोंसे जिता जाता नहीं है. व्युहरचना भी करना पडता है.
आप कमसे कम गद्दारोंकी व्युह रचनामें मत फंसो.
(९.१) जितना फर्क आर.एस.एस. और आई. एस. आई. एस. में है, उनसे कहीं अधिक फर्क गांधीजी और नहेरुमें है. इस विषय पर एक पुस्तक भी उपलब्ध है.
(९.२) कोंग्रेसका विलय करो यही गांधीका अंतिम आदेश था.
एम. के. गांधीकी निंदा करनेमें और करानेमें कोंगीयोंका ध्येय क्या है?
गांधीजीकी बुराई करने के फलस्वरुप क्या परिणाम आने वाले है?
गांधीजीकी बुराई करनेमें भयंकर बात क्या है?
यदि आप देश प्रेमी और राष्ट्र वादी है तो आपका फर्ज धर्म क्या है.
गांधीजीकी निंदा करना और उसको फैलाना, यह बात कोई व्यूह रचना का भाग हो सकता है क्या?
कोंगीयोंकी लुट्येन गेंगके लिये कोई भी निंदास्पद व्यवहार असंभव नहीं.
(क्रमशः)
शिरीष मोहनलाल दवे
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બધુજ લખાણ ખુબજ સત્ય અને પ્રશંસનીય છે.
On Wed, 17 Nov 2021, 16:36 Third Eye (ત્રીજી આંખ), wrote:
> smdave1940 posted: ” नकलीको असली कहो और ध्वस्त करो – ४ (१) हमने पहेले ही
> देख लिया है कि कुछ लोग “एम. के. गांधीजीकी बुराई करनेमें क्यों सक्रीय है?
> अधिकतर किस्सोंमे जो वीडीयो-लेख प्रस्तूत करनेवाले होते हैं उनको यह देखाना है
> कि वे किस सीमा तक निडर राष्ट्रवादी है कि वे, अपना राष”
>
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Thank you Vandanaben
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