२०२४में गद्दारोंको हरानेकी व्यूह रचना – २
December 4, 2021 by smdave1940
२०२४में गद्दारोंको हरानेकी व्यूह रचना – २
सामुहिक रुपसे हमारा ध्येय स्पष्ट नहीं
सबसे बडी हमारी समस्या यह ही है कि हम राष्ट्रवादी लोग अधिकतर यह नहीं सोचते कि हमारी चर्चा मीथ्या की दिशामें जा रही है. और हममेंसे कई लोग इस परिस्थितिको समज़ ही नहीं पाते हैँ. और अपनी शक्तिको और समयको बरबाद करते है.हिक
लुट्येन गेंगवाले अपने ध्येयमें स्पष्ट है कि, मोदीको हरानेके लिये सीवील वॉर, एवं हिंदुओंका विभाजन के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं है. इसलिये वे हिंदुओंको और मुस्लिमोंको-ख्रीस्तीयोंको उकसाना चाहते है. ख्रीस्तीयोंको उकसानेके लिये लुट्येन गेंगवाले लोग, पश्चिमी मीडीयाकी सहायता लेते है. और पश्चिमी मीडीया वाले, उनको यह सहाय देते भी है. मुस्लिमोंको उकसानेके लिये तो भारतके मुस्लिमनेता तयार है. इनके अतिरिक्त, हमारे समीपके मुस्लिम देश के शासकोंके लिये तो, (खास करके पाकिस्तानकी सरकारों के लिये यह) मुस्लिम जनमतको हिंदुओंके विरुद्ध उकसाना एक जनाधार है और उसमें आर्थिक रुपसे चीन उनकी सहायता करता है.
हमारे देशके पथभ्रष्ट मुस्लिम लोग, लुट्येनगेंगवालोंको और आतंकवादीयोंको भरपूर सहायता करते है क्योंकि ये लुट्येन गेंग वालोंका तो एक मात्र ध्येय है कि मोदी को हराना. इससे सरल कोई मार्ग है ही नहीं. क्यों कि “विकास” और “नैतिकता” के मुद्दे पर मोदीको हराना तो उनके बसकी बात नहीं है.
लुट्येन गेंगोका दुसरा ध्येय है कि हिंदुओंको विभाजित करो. हिंदुओंको विभाजित करने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है. इसलिये ये लोग दलित, जाट, पटेल, मराठा, नीनामा, यादव, क्षेत्रवादी, भाषावादी, … आदि लोगोंमें जो कमअक्ल , स्वकेंद्री और अज्ञ लोक होते है उनको “तुम्हे अन्याय हुआ है” ऐसे विषय वस्तुको लेकर ब्लोग, लेख, समाचार, … द्वारा, हिंदुओंको विभाजित करते है.
हिंदुओंमे कुछ लोग जो फेंसींग पर बैठे है या कम अक्ल या अज्ञ है या स्वकेंद्री है वे, इनकी जालमें फंस जाते है, और अहंकारके कारण उनको हवा भी देते है.
राष्ट्रवादीयोंको समज़ना चाहिये कि इससे कुछ हिंदु लोग पथभ्रष्ट हो सकते है.
ऐसे हिंदु लोग मतदानसे विमुख रह सकते है. या नोटा (एक भी प्रत्याषी मतके योग्य नहीं है)का बटन दबा सकते है.
इस बातका इस ब्लोगके लेखकका अनुभव है. १९७९ – ८०मे जब जनता पार्टीकी सरकार गीरी, तब मीडीया विश्लेषक लोग, जनता पार्टीके नेतागणकी निंदा के लिये तूट पडे थे.
इसके परिणाम स्वरुप, जो लोग, इंदिराके आपात्कालमें कारावासमें भी गये थे, वे लोग भी मतदानके लिये नहीं गये थे. इसके कारण भ्रष्ट कोंगी सरकार, फिरसे सत्तारुढ हो गयी थी. और इस कोंगी और उनके सांस्कृतिक सहयोगी पक्षोंने भारतका क्या हाल किया था वह आप सब लोग जानते ही है.
ममताका नया दांव
दलित वर्ग को लक्ष्य बनाना ममताके लिये सरल था. ममताने खुले आम, दलितोंको डर बताया था कि हम जितेंगे तो तुम लोगोंके उपर खेरात करेंगे. यदि हमारा प्रत्याषी हार गया तो, तुम्हारी खैर नहीं.
दलित वर्ग एक ऐसा हिंदु वर्ग है जो आज भी गरीब है. उनको ये मोदी/बीजेपी विरोधी लोग लक्ष्य बनाते है. ममताको जब पता चला कि दलितोंने उसके पक्षको मत नहीं किया है तो उसने लाखों दलितोंके उपर अत्याचार किया, उनके घरोंको जलाया, उनको उनके घरोंसे भगाया, उनकी महिलाओं की आबरु को निलाम किया, उनको नग्न करके उनके उपर दुष्कर्म किया. और ये सब रोहींग्या मुसलमानोंसे करवाया. ममताने स्वयंने गवर्नर एवं न्यायाधीश तक को हत्याकी धमकी दी/दिलवायी. ममता समज़ती है कि दलित लोग गरीबीके कारण लड नहीं सकते. और दलितोंको डराना और उनका वॉट लेना सरल कार्य है. और ममताने वह करके दिखाया है. यह प्रणाली अब पूरे भारतमें ये लुट्येन गेंग वाले लोग लागु करेंगे. दलितोंका धर्म परिवर्तन कराना भी सरल कार्य है. दलित लोग न तो न्यायालयका द्वार खटखटा सकते है न तो वे लोग लड सकते है. उनके लिये तो रोटी और जानका सवाल है.
आरएसएस वाले कुछ भी कर नहीं पाये.
यदि आर एस एस वाले प्रतिकारत्मक कार्यवाही करते तो, ल्युट्येन गेंग उनका जीना हराम कर देती. क्यों कि अभी भी न्यायतंत्र, ल्युट्येनगेंग वालोंसे मुक्त नहीं है. आज भी ममता और उनके साथी मुक्तरुपसे घुम रहे है और जी चाहे वह बोलते रहेते है.
एक बडा प्रश्न है.
हमें एक बात सुनिश्चित करना चाहिये कि हमें क्या चाहिये?
हमें मुसलमानोंका क्या करना है?
हमें मुसलमानोंको नेस्त नाबुद करना है?
या
हमें मुसलमानोंको हमारे देशसे भगाना है?
या
हमें मुसलमानोंके साथ रहेना है?
हमें यह भी सोचना है कि हम राष्ट्रवादीयोंकी हिंसा करनेकी ताकत क्या है? हमारे बीजेपी/मोदी सरकारकी ताकत क्या है.
मुसलमान लोग खुले आम धमकी दे कर हजारों हिंदुओंकी हत्याएं कर सकते हैं, अगणित हिंदु महिलाओं पर बलात्कार कर सकते है, सेंकडो हिंदुओंके घर जला सकते है, लाखों हिंदुओंको कश्मिरसे या कहींसे भी भगा सकते हैं. ये सब उन्होंने किया. फिर भी ये कोंगीयोंके, उनके सांस्कृतिक साथीयोंके और न्यायाधीशोंके कानोंमें कभी भी जू तक नहीं रेंगी.
इसके उपरांत मुसलमान लोग, देशमें अनेक केरेना बना सकते है.
और ये हिंदु लोग, कश्मिरकी बात तो छोडो, एक केरेना तक बना नहीं सकते. यह है भारतमें भारतीय मुस्लिमोंकी और घुसणखोर मुस्लिमोंकी ताकत.
ईश्वरकी कृपा मानो कि, उसने नरेंद्र मोदीको और बीजेपीको जिताया. और मुस्लिमोंकी ताकत घट रही है. लेकिन यदि फिरसे लुट्येन गेंग सत्ता में आती है तो लुट्येन गेंगवाले लोगोंकी, मुस्लिमोंकी और ख्रीस्तीयोंकी ताकत असीम बढ सकती है. हमें ईश्वर के भरोसे नहीं रहेना है. ईश्वर उन्हीको मदद करता है जो खुदकी मदद करते है. हर दफा ईश्वर अपने आप, मदद नहीं करता.
हिंदुओंकी क्या ताकत है?
हिंदु लोग युद्धमें किसी को भी हरा सकते है. हिंदु लोग हमेशा जितते ही आये है. सिकंदर से लेकर अयुब खान तकको हराया है . हिंदु तब हारे है जब भारतस्थित गद्दारोंने दुश्मनोंको साथ दिया . निर्दोष लोगों की हत्या करना आम भारतीय (हिंदुओं) जनमानसका संस्कार नहीं है.
हमें भूल जाना है कि, हम कभी एक हिंदु केरेना भी बना पायेंगे. क्यों कि हिंदुओंकी सांस्कृतिक प्रकृतिकी ऐसी है ही नहीं.
तो राष्ट्रवादीयोंके लिये विकल्प क्या है?
विकल्प है भी या नहीं?
जी हांँ , विकल्प है और वह विकल्प सुचारु भी है. हमें हम पर आत्मविश्वास होना चाहिये.
वह कैसे?
(क्रमशः)
शिरीष मोहनलाल दवे
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