मोदीजीको विनंती
जनप्रतिनिधिको बोलनेकी छूट देनेकी सीमा कितनी?
खास करके विपक्षके जनप्रतिनिधियोंको कितनी छूट है?
जनप्रतिनिधि तीन प्रकारके होते है.
मंत्री-मंडलका सदस्य, मंत्रीमंडल सरकार चलाता है.
पक्षका प्रवक्ता,
निर्वाचित आम सदस्य.
मंत्री-मंडलका सदस्य मंत्री होता है.
कोई भी कार्य एवं उच्चारण पक्षकी पोलीसीके अनुसार किया जाता है. कोई भी क्षतिके लिये मंत्री-मंडल सामूहिक रुपसे जीम्मेवार है. पक्षका प्रवक्ता समय समय पर पक्षके उद्देशके विषयमें उच्चारण किया करता है. वह जो कुछ भी बोले, वह पक्षकी नीति और उद्देश प्रगट करता है. मंत्री या प्रवक्ता ऐसा स्पष्टीकरण नहीं कर सकता की मेरा कथन मेरा स्वयंका कथन है. “मेरा कथन, मेरे पक्षकी नीति या ध्येय को प्रदर्शित नहीं करता है.”
नूपुर शर्माका कथन देख लो.
जैसे ही उसने मुस्लिमोंके दिलको आहत करने वाली (चाहे वह सच्ची भी हो तो भी) बात कही, और वह भी जब एक मुस्लिम बार बार हिंदुओंके आराध्यको अपमानित करनेवाला मीथ्या प्रश्न पूछता रहा, तब ही नूपुर शर्माने प्रत्याघातमें ही प्रश्न पूछा. तो भी भारतीय जनता पार्टीने उसको निलंबित कर दिया. वह भी पक्षकी पोलीसीके हननके आधार पर.
लेकिन ममता और उसकी गेंगके नेताओ पर एवं शिव सेना (जबसे अघाडी गठबंधन करके सत्तामें आयी है तबसे)के उपर यह नियम लागु नहीं किया जाता है.
ममताके पक्षके नेताने सरे आम बोला था कि लोग हमें वोट नहीं देंगे उनको हम देख लेंगे. सरकारी अफसरोंको सामज़ना चाहिये कि उनको निवृत्त होना है. गवर्नर को समज़ना चाहिये कि वे हमेशा गवर्नर नहीं रहने वाले है, दिल्ली जाते हो तो वापस मत आना …
ममता स्वयं केंद्रीय संस्थाओंकी कार्यवाहीके विरोधमे धरने पर बैठ जाती है. ममताकी गेंगने और संजय राउत (उध्धव सहित)की गेंगने तो कमीनेपनकी हर सीमाएं पार कर दी है. संजय राउत और ममता की असभ्यताकी कोई मिसाल नहीं.
संजय राउतने एक समय कहा था कि “मैं तो नंगा हूँ, किसी भी हद तक जा सकता हूँ. अभी अभी उसने कहा कि आसाममें जो ४० एम.एल.ए. गये है, उनकी लाशें सीधी पोस्टमोर्टम के लिये भेजी जायेगी. इससे अधिक बडी धमकी कौन दे सकता है?
शरद पवारने भी कहा था कि; जो शिव सेनाके बागी सदस्य है, उनको कडा भूगतना पडेगा.
वैसे भी उद्द्धव गेंग मीनी-गुंडोंकी सेना है. बीजेपीके साथ जब गठबंधन था तब भी उद्धव सेना बीजेपीकी नेतागीरीसे नाराज़ थी. १९२१ के विधान सभा चूनावसे पहेलेसे ही उद्धव सेनानीओंने, बीजेपीके विरुद्ध बोलना शुरु कर दिया था. लेकिन बीजेपीने उनको नजरांदाज किया.
उद्धवसेनामें गुंडोंका कितना प्रभूत्व है वह हमने देखा है.
जब दाउदका, दायां हाथ और बायां हाथ उद्धवसेनाके साथ गुंडागर्दीमें सहभागी हो जाय तो आप सोच सकते है कि वे क्या नहीं कर सकते?
मुकेश अंबाणीसे सुरक्षा-कर वसुलीके लिये क्या प्लान तयार किया था और एक व्यक्तिको कैसे मौतके घाट उतार दिया!! दुसरेको कैसे मारना था उसका प्लान तयार था. एक गुंडेका गुट, दुसरे महा गुंडेके गुटसे मिल जाय, और साथमें पूलिसका नेटवर्क भी साथ दें तो फिर बात ही क्या है?
पक्षको गुंडोके द्वारा चलाना इंदिरा गांधी चालु किया था. गुंडोके द्वारा पक्षको चलाना है तो गुंडोका उत्पादन करना पडता है.
गुंडोंका उत्पादन कैसे हुआ?
नहेरुने ऐसी नीतियां बनायी थी कि गरीब गरीब ही रहे.
इसके पहेले जीन्नाने मुस्लिमोंको “डायरेक्ट एक्षन” द्वारा हिंदुओंको “जहाँ देखो वहाँ मार डालो” की छूट दे दी थी. अंग्रेज सरकार इसके उपर मौन और निस्क्रीय रही.
नहेरुकी सरकारने भी इन गुंडो पर कभी भी कार्यवाही ही नहीं की. यदि नहेरुने इन गुंडो पर कार्यवाही की होती तो ये सब गुंडे, पाकिस्तान भाग जाते. दाउद, सुकर, खत्री, युसुफ, सबके सब भूपतके साथ पाकिस्तान भाग जाते.
नहेरुने अपने शासन दरम्यान कई और गुंडे (स्मग्लर सेना) पैदा किया. नहेरुने ३०० प्रतिशत सोनेकी और घडीयों पर, इंपोर्ट ड्युटी रक्खी. सब स्मग्लर और कस्टम वाले मालामाल हो गये.
इंदिराने तो गुंडोको नेता बना दिया.
प्लेन हाईजेक करनेवालोंको चूनावमें टीकट दिया.
साम्यवादीयोंका तो यह ध्येय है कि सत्ताप्राप्ति के लिये गुंडोका उपयोग करना, जूठ फैलाना, अराजकता फैलाना, गद्दारोंका साथ लेना और विरोधीयोंको मार डालना आवश्यक ही है. इंदिरा गांधी तो साम्यवादीयोंसे भी बढकर थी. उसने सुकर बखिया, युसुफ पटेल, हाजी मस्तान, दाउद इब्राहिम, जैसे अनेक गुंडे पैदा किया. ममता और उसकी गेंग, इंदिरा की प्रोडक्ट है. यदि गुंडे, गुंडागर्दी करते है तो कोंगी सदस्योंने क्या गुनाह किया है? जब कोंगीयोंका अधिवेशन होता था तो रेल्वेकी तरफसे स्पेशीयल ट्रेनें दौडती थीं. किसी टीकटचेकरकी हिमत नहीं कि कोंगीसे टीकट मांग सकें.
महाभारतसे भी बडी और कई खंड वाली इन कोंगीयोंकी और उनके सांस्कृतिक सहयोगीयोंकी सहस्रों पुस्तकें बन सकती है.
मोदीजीसे विनंती है कि इन गद्दारों पर लॉ एंड ओर्डरका शिकंजा कसो. ये लोग कुछ भी कर सकते है. महात्मा गांधीने भी कहा था कि सरकार गद्दारों को गोली मारेगी. वैसे तो इस बात उन्होंने मुसलमानोंके लिये कही थी. लेकिन यह बात हिंदुओंको भी लागु पडती है. चाहे वह पूर्व कोंगी या नहेरुका वंशज या कट्टर हिंदु बालासाहेब ठाकरेका वंशज ही क्यों न हो. ( ता- २५ – ०९ – १९४७ दिल्लीमें गांधी – १ , नवजीवन प्रकाशन).
मोदीजी, हम योगीजी प्रधान मंत्री बने उस समय तक प्रतिक्षा नहीं कर सकते.
शिरीष मोहनलाल महाशंकर दवे