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कोंगी गेंग की एक और चाल – १

कोंगी गेंग की एक और चाल – १

आप समज़ते होगे कि पुलवमामें एक आतंकी हमला करवानेमें भारतकी कोंगी-गेंग-संगठनने,  [जिसमें विपक्षी संगठनके साथ साथ, टूकडे टूकडॅ गेंग, कश्मिरकी विभाजनवादी गेंग सामिल है उसने, पाकिस्तान, आइ.एस.आइ., पाकिस्तानी सेना …] कुछ बडी गलती कर दी. आप यह भी सोचते होगे कि कोंगी गेंगको लगता होगा कि यह तो पासा उलटा पड गया.

इस घटनामें दो शक्यताएं है. या तो इस गेंग संगठनने विस्तृत आयोजन नहीं किया होगा या तो आतंकी गेंगको आतंकी हमला करना है, इतना ही सिर्फ निर्णय किया होगा. समयके बारेमें सुनिश्चित निर्णय लिया नहीं होगा.

समय को सुनिश्चित करनेमें कोंगी गेंग संगठनकी क्या कठिनाइयां हो सकती है?

कोंगीयोंको पहेलेसे ही मालुम नहीं पडा था कि चूनावकी घोषणा किस तारिखको होने वाली है.

वैसे तो, कोंगीके कई मददगार, सरकारके हर विभागमें डटके बैठे हुए है. यानी कि, प्रशासनमें, न्यायालयमें, चूनाव आयोगमें और सुरक्षा संस्थाओमें. क्यों कि सामान्यतः व्यक्ति सहायकके प्रति कृतज्ञ बना रहेता है. वह कृतघ्न नहीं बनता. कोंगी और उनके बीचमें लेनदेनका संबंध रहेता है. भीन्न भीन्न किस्सेमें कैसी लेन देन होगी, वह संशोधनका विषय है.

तो कोंगी गेंगकी कहाँ चूक हो गई?

ऐसा लगता है कि, नरेन्द्र मोदीके शासन व्यवस्था तंत्रमें, कोंगी अपने पालतु जासुसोंसे पक्की माहिति नहीं निकलवा पाया. या तो कोंगीको गलत माहिति मिली. क्यों कि इमानदार होना भी एक चीज़ है.

मोदी सरकारके पास इन पुट तो थे ही कि, यह कोंगी-गेंग-संगठन कुछ आतंकी हमला तो करवाने वाला है. और चूनावके पहेले कुछ अनहोनी होने वाली है. हो सकता है कश्मिरसे दूर दूर तक जैसे २००८में मुंबई मे ब्लास्ट करवाया था, ऐसा ब्लास्ट फिर एक बार करवा दे, और उससे कौमी-दंगे कमसे कम मुंबईमें/या तो सूचित शहर/शहरोमें तो हो ही जाय. स्थानिक बीजेपी सरकार उसके उपर नियंत्रण तो कर लें, लेकिन इस दरम्यान कोंगी-गेंग-संगठन कई अफवाहें फैला सकता है.

लेकिन हुआ यह कि आतंकवादी गेंगका धैर्य कम पडा या तो भारतके भीतरी भागमें आतंकी हमला करवाना और वह भी बीजेपी शासित राज्य/राज्योंमे  हमला करवाना उसके बसकी बात न रही. कश्मिरमें दो प्रकारके आतंकवादी है. सीमापारके और कोंगी शासन दरम्यान पैदा किये  कश्मिरके भीतरी आतंकवादी और उसके सहायक.

बीजेपीका तो “ओल आउट” अभियान जारी है. धर्मांधताकी और उनको हवा देनेवालोंकी यदि मिसाल चाहिये तो आप कश्मिरके कुछ नेताओंके कथनोंको देख लिजिये. उनको हवा देने वाले कोंगी और उनके सांस्कृतिक कश्मिरी सहयोगीयों के कथनोंको देख लिजिये. कश्मिरीके विभाजवादी और पाकिस्तान परस्त नेताओंके विरुद्ध कुछ नये कदम तो बीजेपीने उठाये है. कश्मिरमें आतंकवाद मरणासन्न किया है. आतंकवादके नाम पर मुस्लिमोंका वोट ईकठ्ठा करना अब कोंगी गेंगके लिये इतना आसान नही है.

अब कोंगी गेंग करेगी क्या?

कोंगी गेंग अपनी लडाई जारी रखेगी. जो पेइड मीडीया (प्रेस्टीट्युट) है उनके लेखकोंके भूगतानमें वृद्धि तो होगी ही. क्यों कि कोंगी-गेंगके सहयोगी इन मूर्धन्योंका काम थोडा और कठिन हो रहा है.

अब इन मूर्धन्योंका लक्ष्य है अर्ध दग्ध जनता और निरक्षर जनताको गुमराह करना.

इन अदाओंपर मीडीयाको आफ्रिन बनना है

निरक्षर जनतामें, जो मोदी शासन दरम्यान लाभान्वित है, वह जनता तो मोदी भक्त हो ही गई है. जो जनताका हिस्सा बच गया है, उनको पैसे, जातिवाद, प्रदेशवाद, भाषा वाद और धर्मके नाम पर बहेकाना है. हो सकता है कि कोंगी गेंग इनको असमंजसमें डालके उनको मतदानसे रोके या तो “नोटा-बटन” दबानेको प्रेरित करें. कोंगी गेंगकी मुराद तो बेलेट पेपर लाना था जिससे बुथ केप्चरींग आसान रहे.

कोंगी गेंग जो नरेन्द्र मोदी/बीजेपी के विरुद्ध हवा (माहोल) बनाना चाहती है, उसमें ये निरक्षर लोग कितने सहयोगी बनेंगे यह बात सुनिश्चित नहीं है.

लेकिन अर्धदग्ध लोगोंको असमंजस अवस्थामें लाना कोंगी गेंगके लिये अधिक आसान है.

वह कैसे?

बेकारीमें वृद्धि, महंगाई और किसानोंकी समस्या, इनके बारेमें जूठ फैलाना कोंगी गेंगके लिये आसान है. वैसे तो हमारे मित्र बंसीभाई पटेल कहेते है कि उनको ₹५००/- प्रतिदिन देने पर भी मज़दुर मिलते नहीं है. नये नये कोंट्राक्टर बने लोग फरियाद करते है कि हम बडी मुश्किलसे डूंगरपुर जाके एडवान्स किराया देके रोजमदार मज़दुर लाते है, वे पैसे लेके भाग जाते है. यह सत्य संबंधित लोगोंके लिये सुविदित है. लेकिन तो भी “बेकारीकी बाते चल जाती. एक समस्या यह भी है कि कुछ बेकार लोग ऐसे भी है जो अपने गाँव/शहरमें ही नौकरी चाहते है. यह समस्या गुजरात महाराष्ट्रमें ज्यादा है. गुजरातमें तो यदि किसी कर्मचारीका  तबादला दुसरे राज्यमें हो जाय तो भी उसको अपनी नानी याद आ जाती है.

बीजेपी के शासन दरम्यान महंगाई का वृद्धिदर कमसे कम है. वेतनवृद्धिका दर अधिक है. खाद्य पदार्थोंमेंसे अधिकतर खाद्य पदार्थ सस्ते हुए है. फिर भी महंगाईके नाम पर, आप जनताको, गुमराह करनेमें थोडे बहूत तो सफल हो ही सकते हो.

किसानोंकी समस्या तो अनिर्वचनीय लगती है. ५५ सालके अंतर्गत यदि किसान स्वयंका उद्धार नहीं कर पाया, तो खराबी उसके दिमागमें है. जो अपनी आदतोंसे टस और मस नहीं होना माँगता, उसको सिर्फ ईश्वर ही बचा सकता है. और ईश्वर भी उनको ही मदद कर सकता है, जो अपनी मदद खूदको करें.

हाँ जी, मोदीकी बुराई करनेमें आपको अरुण शौरी, चेतन भगत, यशवंत सिंहा जैसे भग्नहृदयी और  शशि थरुर (जिसके विरुद्ध एक क्रिमीनल केस चलता है), वैसे तो मिल ही जायेंगे. उनमें कुछ भग्न हृदयी स्थानिक लेखक गण भी तो होगे जो स्वयंको तटस्थ माननेका घमंड रखते है.

कोंगी गेंगके लिये सबसे बडे शस्त्र कौनसे है?

कोंगीवंशका एक और नया, मादा फरजंदको, चूनाव मैदानमें लाया गया है.

“मादा” (फीमेल)शब्दका क्यूँ उपयोग किया है?

उस मादाकी सामाजिक उपलब्धीयां शून्य होनेके कारण  उसका विवरण करना असंभव है. यदि कोई मीडीया मूर्धन्य उसका विवरण करें, तो उसको जूठ ही बोलना पडेगा. आप कहोगे कि कोंगी गेंगके पालतु मीडीयाके लिये तो जूठ बोलना एक शस्त्र के समान है तो फिर एक और परिमाणमें जूठ बोलनेमें क्या आपत्ति है? अरे भाई ये मीडीया वाले समज़ते है कि जूठ तो बोलो ही, लेकिन जूठका चयन ऐसा करो कि उस जूठको अति दीर्घ काल  तक विवादास्पद रख सको. ऐसा होने से आम जनता उस जूठको सत्य मान लेगी या तो असमंजसमे पड जायेगी.

जैसे कि;

बाजपाईने इन्दिरा घांडीको “दुर्गा” कहा था,

 बाजपाईने मोदीको “राजधर्म” निभानेकी बात कही थी,

मोदी ने हर देशवासीकी जेबमें १५लाख रुपये देनेकी बात कही थी,

कथित शब्दोंके भावार्थका स्पष्टीकरण, या इन्कारके बाद भी आप यह जूठ चला सकते है.

हमारा मूल विषय था कि, उस एक और मादा पात्रका, चूनावकी सियासतमें प्रवेश करवाना और उसके गुणगान के लिये, सातत्यसे रागदरबारी छेडना. सिर्फ इसलिये कि, उस मादा की योग्यता यह है कि, वह मादा  नहेरुवंशकी फरजंद है.

नहेरुवंशके फरजंदोंको “कालका बंधन नहीं है”, “ज्ञानका बंधन नहीं है” “तर्कका बंधन नहीं है” “सत्यका बंधन नहीं है”, “नीतिमत्ता”का बंधन नहीं है क्यों कि जबसे इन्दिरा गांधीने नहेरुवीयन कोंग्रेस ओफ ईन्डिया”को इन्दिरा नहेरुवीयन कोंग्रेस (आई.एन.सी) बनाके, कोंगीके लक्ष्मी-भंडारकी चाभी (Key) अपने हस्तक कर दी थी. इन्दिराने देशको बिना किसी भयसे, लूटनेकी आदत बना दी थी, तबसे कोंगीके लक्षी-भंडारके पास, कुबेर भी मूँह छीपा लेता है.

और आप तो जानते है कि

यस्यास्ति वित्तं, स नर कुलिनः स श्रुतवानः स च गुणज्ञः ।

स एव वक्ता स च दर्शनीय, सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते॥

(जिसके पास धन है, वह कुलवान है, वह ज्ञानी है, और वह ही गुणोंको जाननेवाला है, वही अच्छा भाषण देनेवाला है, और वही दर्शन करनेके योग्य है, क्यों कि सभी गुण, धनके गुलाम है.)

 इन्दिरा गांधीने और उसके फरजंदोने देशको अधिकतम लूट लिया है, उनके पास अपार संपत्ति है.  इस लिये सभी गुण ही नहीं, किन्तु धनकी लालसा वाले सभी  नेतागण, कोंगीके बंधवा-दास है. समाचार माध्यमोंमे भी धन लालसा वाले या तो भग्न हृदयी मूर्धन्योंकी कमी नहीं.

अब इस नहेरुवंशी मादाकी भाटाई तो करनी ही पडेगी न?

इस मादाकी पार्श्वभूमिमें यदि कोई कारकीर्दि (रेप्युटेशन) न हो तो क्या हूआ ? उसके हर कथन को हम अतिशोभनीय बना सकते है ही न ? हम क्या कम चमत्कार करनेवाले है?

तो अब, हम समाचार माध्यम वाले, असली और नकली चर्चा चलायेंगे. क्यों कि;

दूसरा शस्त्र है चूनावी चर्चाएं,

चूनावी चर्चामें हमारे लिये निम्न लिखित विषय अछूत है,

(१) गुजरातके डाकू भूपतको पाकिस्तान भागा देना. उसके प्रत्यापर्णकी बात तक नहेरुने नहीं की, तो कार्यवाही तो बात ही भीन्न है.

(२) युद्धमें हारी हुई ७१००० चोरस मील भारतीय भूमिको, वापस लेनेकी हम नहेरुवीयनोंने संसदके समक्ष प्रतिज्ञा ली थी,

(३) हमारी आराध्या इन्दिराने एक करोड बांग्लादेशी बिहारी मुस्लिमसे जाने जानेवाली घुसपैठीयोंको वापस भेजनेकी प्रतिज्ञा ली थी,

(४) हमारी आराध्या इन्सिराने आपात्काल लागु किया था और जनतंत्रकी धज्जीयाँ उडाई थीं.,

(५) हमने भोपाल गेस कांडके आरोपी एन्डरसनको, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रीकी नीगरानीमें, बेधडक, और खूल्ले आम, देशसे भागजानेकी सुविधा प्राप्त करवाई थी. और उसको वापस लानेमें गुन्हाइत बेदरकारी दिखायी थी,

(६)  ओट्टावीयो क्वाट्रोची को ठीक उसी प्रकार देशसे भगाया था, ताकि उसपर न्यायिक कार्यवाही न हो सके. उसको वापस लाने की कुछ भी कार्यवाही हम वंशवादी कोंगीयोंने नहीं की थी,

(७) कोंगीके सहयोगी पीडीपीके शासनमें,  मंत्रीकी पूत्रीका आतंकवादीयोंने अपहरण (हरण) किया (करवाया) और उसके बदलेमें सात खूंखार आतंकवादीयोंको हम कोंगीयों और हमारे सहयोगीने मूक्त किया था. इसके उपर कोई चर्चा नहीं, कि यह घटना किसकी विफलता थी? या तो यह एक सोची समज़ी चाल थी? आज कोंगी, फारुख, ओमर, महेबुबा मुफ्ति आतंकवादीयों की भाषा बोलते है.

(८) कश्मिरमें खूल्ले आम कश्मिरी हिन्दुओंको धमकी दी कि इस्लाम कबुल करो या मरनेके लिये तयार रहो. फिर ३०००+ हिन्दुओंको कतल किया, १००००+ महिलाओंको रेप किया, ५०००००+ हिन्दुओंको निराश्रित किया. न कोई जाँच बैठी, न कोई एफ.आई.आर. दर्ज हुई, न किसीकी गिरफ्तारी हुई, न न्यायिक कार्यवाही हुई, न कोई समाचार प्रसिद्ध होने दिया, न कोई चर्चा होने दिया, और हम कोंगीयोंने  और हम कोंगीयोंके सहयोगी शासकोंने मौजसे दशकों तक शासन किया.

(९) दाउद को भगाया. हम कोंगीके पास दाउदका कोई भी डेटा उपलब्ध ही नहीं था. क्यों कि हम ऐसा रखनेमें मानते ही नहीं है. हमने कभी भी उसको वापस लानेकी कोई कार्यवाही नहीं की.

(१०) न्यायिक प्रणाली  कोंगीयोंने बनाई, दशकों तक क्षतियों पर ध्यान नहीं दिया, बेंकोने हजारो गफले किये. निषिद्ध फोन बेंकींग द्वारा माल्या, निरव मोदी, चौकसी जैसे फ्रॉड को हमने जन्म दिया.

मोदीने ५ वर्षमें ही प्रणालीयां बदली, कौभान्डोंको पकडा और जो कोंगी स्थापित प्रणालीयोंके कारण देश छोड कर भाग गये थे उनको वापस लानेकी तूरंत कार्यवाही की जो आज रंग ला रही है.

कोंगी लोग और उनका पीला पत्रकारित्व  ये सब चर्चा नहीं करेगा.     

चूनावी चर्चाएं हम वैसी करेंगे जिनमें हम फर्जी और विवादास्पद आधारोंपर मत विश्लेषण कर सकते है. जाति, धर्म आदि विभाजनवादी आधारों पर अपनी मान्यताओंको सत्य मान कर बीजेपीके विरुद्धमें जन मत जा रहा है ऐसी भविष्य वाणी कर सकते है. ऐसा तारतम्य पैदा करके कोंगी गेंगके अनुकुल, निचोड निकालना है. इसी कार्यमें अपना वाक्‌पटूता का प्रदर्शन करते रहेना. यह भी एक उपशस्त्र है.  

कोंगीवंशका नया आगंतुक, मादा फरजंदको, प्रसिद्धि देनेमें सभी मीडीया कर्मीयोंमे तो स्पर्धा चल रही है.

इस मादा फरजंदकी सामान्य उक्ति को भी बडे अक्षरोंमे प्रसिद्धि देने लगे है.

मिसाल के तौर पर,

“५५ साल कोंगीने कुछ नहीं किया ऐसी बातोंसे मोदीको बाज़ आना चाहिये. हरेक मुद्देकी एक एक्सपायरी डेट होती है.”

मीडीया बोला; “वाह क्या तीर छोडा है इस नेत्रीने …. इसकी तो हम समाचार प्रसिद्धिमें बडी शिर्ष रेखा बना सकते है.

अरे भाई जिसका असर, यदि देश भूगत रहा हो, उसकी एक्स्पायरी डेट यानी उसकी मृत्युतीथि तो तब ही आयेगी जब आपके चरित्रमें परिवर्तन आयेगा या तो वह असरकी मृत्यु होगी. आप ५५ साल तक गरीबी हटाओ बोलते रहे लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाये, और मोदीने प्रभावी कदम उठाये और साथ साथ समय बद्धताकी सीमा भी सुनिश्चित की, तो आपके पेटमें उबलता हुआ तैल क्यों पडता है?

नहेरु की, चीनके साथ हिमालय जैसी बडी गलतीयां, इन्दिरा गांधीकी उतनी ही बडी गलतीयां, जिनमें सिमला समज़ौता, सेनाकी जीती हूई काश्मिरकी भूमि भी पाकिस्तानको परत करना, आतंकवादको बढावा देना, हिन्दुस्तानके भाषावाद, क्षेत्रवाद, धर्म के नाम पर सियासती विभाजनवादको प्रचूरमात्रामें बढावा देना … आदि बातें बीजेपी ही नहीं,  देश भी भूल नहीं पायेगा.

मीडीया मूर्धन्य पगला गये है …

मिसाल के तौर पर आजके डीबी (दिव्यभास्कर)भाईने एक फर्जी (कल्पित) चर्चा प्रकट की है. ऐसे समाचार माध्यमोंके लिये “तुलनात्म” चर्चा बाध्य है क्यों कि ऐसा करना उनके एजन्डामें आता नहीं है.

अब तक यह डीबीभाई अन्य मीडीया-भाईकी तरह ही “रा.घा. (राहुल घांडी)को, नरेन्द्र मोदीके समकक्ष मानते है. वैसे तो कोई भी मापदंडसे इन दोनोंकी तुलना शक्य है ही नहीं. लेकिन डीबीभाई बोले अरे भाई हम कहाँ महात्मा गांधी सूचित “समाचार माध्यमके चारित्र्यको (आचार संहिताको) मानते है? हमारा एजन्डा तो सिर्फ बीजेपी के विरुद्ध माहोल पैदा करना है. हम तो है कवि. हमें कवियोंकी तरह कोई सीमा, चाहे वह नीतिमत्ताकी ही क्यों न हो, बाध्य नहीं है.

डी.बी.भाई अब इस नहेरुवंशी मादा फरजंदको भी मोदी समकक्ष मानने लगे है. और इस मादाको भी फुल कवरेज दे रहे है.

एक कल्पित चर्चाके कुछ अंश देखो

वैसे तो बीजेपीने कई बार स्पष्ट किया है कि “राम मंदिर” न्यायालय के फैसलेके आधिन है, तब भी इसको इस मादाके मूँहसे बीजेपीको “पंच” मारा गया, कि आपको चूनाव के समय ही राम मंदिरकी याद क्यों आती है? चूनावके समय ही गंगाकी याद  क्यों  आती है?

वैसे तो मोदी इससे भी बडा पंच मार सकता है. लेकिन भाई, इस मादाकी रक्षा करना हमारा एजन्डा है.

इस मादा कहेती है, “मोदी तुमने इस देशकी सभी संस्थाओंको, चाहे वे आर.बी.आई. हो या सीबीआई हो, नष्ट कर दीया है.”

वैसे तो मोदी उत्तर दे सकता है कि “तुम सर्व प्रथम जनतंत्रमें संस्थाकी परिभाषा क्या होती है वह समज़ो. वाणी विलास मत करो.  न्यायालय, चूनाव आयोग, सुरक्षा दलें, शासन व्यवस्था, आर.बी.आई., सीबीआई ये सभी संस्थाएं बंद नहीं की गई है. जनतंत्रकी सभी संस्थाएं संविधानीय प्रावधानोंके अंतर्गत चल रही है. लेकिन जब आपका शासन था तब कमसे आपात्कालको याद करो. शाह पंचने क्या कहा था? अरे आपके गत शासनके कार्यकालमें ही न्यायालयने आपको आदेश दिया था कि कालाधन वापस लानेके लिये विशेष जांच समिति बनाओ लेकिन आपने वर्षों तक बनाया नहीं( यहां तक कि आपकी पराजय भी हो गयी),  जैसे आपको न्यायालयका आदेश बाध्य ही नहीं है. न्यायालयका खूदका कथन था कि आपने सीबीआईको पोपट बना दिया है.

(क्रमशः)

शिरीष मोहनलाल दवे

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कोंगी गेंग पुलवामा हमले पर अपनी रोटी शेकने लिये सज्ज है

कोंगी गेंग पुलवामा हमले पर अपनी रोटी शेकने लिये सज्ज है

सावधान भारत

जब पुलवामा पर आतंकी हमला हुआ था तो पूरे देशमें पाकिस्तानके विरोधमें आक्रोश प्रकट हुआ, तो अधिकतर जनता को लगा कि, कोंगी पक्ष इस हमले को सियासती मुद्दा नहीं बनायेगी.

लेकिन जो लोग कोंगीका चरित्र जानते है उनको तो मालुम ही था कि, कोंगी गेंग, इस घटनासे सियासती लाभ लेनेकी चेष्टा ही नहीं किन्तु भरपुर लाभ लेनेके लिये अफवाहें तक फैलाएगी.

वास्तवमें पुलवामा-हमला एक पूर्वनियोजित सुनियोजित हमला है इस बातको नकारा नहीं जा सकता.

जो जवान शहीद हो गये उनके शव अपने घर पहुंचे और उनका अग्निसंस्कार हो जाय, उसके पहेले ही कुछ कोंगी-गेंग के सदस्योंने (रणवीर सुरजेवाला, शशि थरुर, ओमर, केज्री … ) बीजेपी पर आक्रमण करनेका प्रारंभ कर दिया है.

जूठ बोलना कोंगीयोंकी और उनके मीडीया मूर्धन्योंकी लिये जन्मजात आदत है.

मैं शपथ लेता हूँ

फर्जी घटनाएं पैदा करना भी कोंगी गेंगके लिये स्वभाव जन्य है.

(१) आपने देखा होगा कि राफेल मामलेमें मीडीया गुरु “हिन्दु”ने बेशर्मीसे पीएमओ के एक अधिकारीकी भ्रमित करनेवाली टिपणी को दिखाया, और सुरक्षा मंत्री स्वयंकी टिपणीको छिपाया. रा.गा.को  (रा.घा. राहुल घांडीको) लगा कि उसको ब्रह्मास्र मिल गया. और रा.घा.ने उसको ले के पत्रकार परिषद भी बुलाई. मोदीको बदनाम करनेका परिपूर्ण प्रयत्न किया. ये पूरा नाटक जनताको गुमराह करने वाला आयोजनका एक हिस्सा था. “हिन्दु” के मालिकने तो कहा कि क्या दिखाना और क्या नहीं दिखाना वह उसकी मुनसफ्फी की बात है. यह कुछ दिखाना और कुछ न दिखाना और अपनी कार्यसूचिके अनुसार जनताको गुमराह करना कोंगी गेंगकी पूराना चारित्र है. बीजेपी ने इसका पर्दाफास किया.

(२) “भारतमें इतना काला धन है कि यदि उसको वितरित किया जाय तो हर भारतवासीको १५ लाख रुपये मिल सके” नरेन्द्र मोदीके इस कथनका इस प्रकार प्रसार किया कि बीजेपीके सत्ता पर आनेसे कालाधान पकडा जायेगा और भारतवासीयोंमे यह धन बाँटा जायेगा. “हर भारतवासीको १५ लाख रुपये मिलेगा”.

(३) गुजरातके २००२ दंगेके बाद जब अटलजी गुजरात आये तो तो उन्होंने बोला था कि “मुख्य मंत्रीका फर्ज होता है राजधर्म बजाना” बाजपाईके बगलमें पास बैठे नरेन्द्र मोदीने कहा “हम राजधर्म ही बजा रहे हैं”. तब अटलजीने कहा “हमें विश्वास है कि मोदीजी राजधर्म बजा रहे है”.

लेकिन मोदी विरोधियोंने “मुख्यमंत्रीका फर्ज होता है राजधर्म बजाना” इस बातको ही पकड लिया और वे हमेशा  बार बार इसीबातका प्रचार करते रहे और यही कहेते रहे कि मोदीने राजधर्म का पालन नहीं किया. ऐसी अफवाह फैलानेमें कोंगी-गेंग और बीजेपी-विरोधी अन्य गेंगे भी सामेल हो गयी थीं. आज तक ये जूठ चल रहे हैं.

(४) इन्दिरा गांधीने कोंगीका विभाजन करनेके समयमें ऐसा ही प्रचार किया कि; “मेरे पिताजीको तो बहुत कुछ करना था लेकिन ये बुढ्ढे लोग (कामराज, अतुल्य घोष, सादोबा पाटिल, मोरारजी देसाई … अदि) उनको करने नहीं देते थे. इन्दिरासे किसीने यह नहीं पूछा कि वह इसके आधारमें कुछ उदाहरण तो दें.  नहेरुका जनहित का कौनसा काम था  जो नहेरु करना चाहते थे, पर “उन बुढ्ढे लोगोंने नहेरुको न करने दिया हो.” मीडीयाको खिलाना पीलाना तबसे इन्दिरा गांधीने शुरु कर दिया था.

“मोदीको हटाना है” कोंगीका पुराना प्लान है

मणीशंकर अय्यर पाकिस्तान गये थे, और उन्होंने पाकिस्ताको खुलेआम कहा था कि, आपको मोदीको हटाना है. जब पाकिस्तानमें गवर्नमेन्ट, आतंकवादी संगठन, दाउद, आई.एस.आई. और सेना एक साथ हो तब “आपको मोदीको हटाना है” उसका मतलब साफ है कि भारतमें दंगा करवाओ, भारतमें आतंकवादी हमले करवाओ, भारतमें मोदी विरुद्ध माहोल बनवाओ या मोदीको मार दो.

कोंगी कहेती है;

“फर्जी बाते करना, निराधार आरोप करना और भारतके मीडीयाको खरिद लेना तो हमें खूब आता है, और आप यदि हमने दिखाये काम करोगे तो हमारा बीजेपीको हरानेका  काम अति आसान हो जायेगा.

“यदि मोदीको हम लोग कैसे भी हटा पाये तो, हमारी दुकाने फुलफेज़में चालु हो जायेगी और हमारे उपर जो न्यायिक कार्यवाही चल रही है वह भी समाप्त हो जायेगी.

“सी.बी.आई., न्यायतंत्र, चूनाव आयुक्त, ब्युरोक्रसी आदि तो हमारे पालतु पोपट है क्यों कि हमने इनके अधिकारीयोंका बहुत काम किया है और हमने उनकी सहायता भी बहूत की है. इसी लिये तो हम जनताको कहेते है और परोक्ष रुपसे इन संस्थाओंके अधिकारीओंको चेतावनी भी देते हैं कि यदि आपने हमारे विरुद्ध गंभिर कार्यवाही की तो याद रक्खो हम तुम्हें छोडेंगे नहीं. क्यूं कि हमने इनको पोपट बना दिया था, हमें डर है कि बीजेपीके ये लोग पोपट न बन जाय. इस लिये हम बीजेपी उपर (भले ही निराधार) आरोप लगा रहे है कि बीजेपीने इन संस्थाओंकी स्वतंत्रता छीन ली है. हम कैसे है, वह तो इन अधिकारीयोंको खूब मालुम है. हम जब पुरा “शाह जाँच आयोग”को और उनके संबंधित सभी दस्तावेजोंको तहस नहस कर सकते है तो ये न्यायालय, ब्युरोक्रसी, चूनाव आयोग, सी.बी.आई. क्या चीज़ है?  हमने क्या ६५ वर्ष के हमारे शासनमें जख मारा है?

“अब देखो हम क्या करने वाले है!!

“हमारे मूर्धन्य लोग चालाकी पूर्वक समाचार पत्रोंमें लेख लिखते रहेंगे;

“हमारे समाचार पत्र, हमारी लिये हमारे अनुकूल समाचारकी  शिर्ष रेखाएं प्रकाशित करेंगे या तो बीजेपीके प्रतिकुल समाचारों की शिर्ष रेखाएं बनाएंगे,

“हमारे कुछ लोग प्रो-बीजेपीका मुखवटा पहेनके कई सालोंसे बीजेपीमें घुसे हुए है;

ये बीजेपीके मुखवाटे वाले मोदीके उपर राम मंदिर निर्माणमें वचन न निभाना, वेद अनुरुप शिक्षाका प्रबंध न करना, वेदोंके अनुरुप संविधान न बनाना, उर्दु का सर्वनाश न करना, गौ-हत्या बंधी के अमल पर निस्क्रिय रहना, आदि के समर्थनमें लगातार चर्चा करते रहेंगे,   दुरात्मा गांधीको महात्मा क्यूँ कहेना, उसको राष्ट्र पिता क्यूँ कहेना?, गांधीने देशको विभाजित किया, गोडसेकी वीरताको पुनःस्थापित करो, शहीद भगत सिंहकी और गोडसेकी छबीको करन्सी नोटों पर स्थापित करो …. ऐसी चर्चा भी लगातार चलाया करेंगे,. बीजेपी, आरएसएसमें भी कई अल्पज्ञ, और अशिक्षित लोग है, उनका हमें सहारा मिलेगा और इससे हमारा उल्लु सीधा होगा. हम कोंगी गेंगवाले कोई कम नहीं है. हमने क्या वैसे ही हमारे बाल धूपमें सफेद किया है क्या? समज़ गये न, हम कौन है?

“हम कोंगी गेंगवाले राक्षस है. हम मायावी है. हमारा उल्लु सीधा कैसे करना वह हम खूब जानते है.

“आतंकवादी हमला करवाने तो हम सफल हुए. लेकिन थोडी हलकी रही.

“हम तो पूरे देशमें कोमी दंगा करवाने की ठानके बैठे थे. हमारे शासित राज्योंमें तो हमने थोडे दंगे करवानेकी कोशिस की, लेकिन हमारे शासित राज्योंमें हम अधिक दंगा नहीं करवा शकते यदि वे बीजेपी शासित राज्योंमें प्रसरते नहीं. इस लिये अभी यह काम हमने ठंडे बक्सेमें रक्खा है.

“हम कोंगी गेंगवाले सरासर जूठ द्वारा मोदीकी बुराई करते रहेंगे.

“ “राफेल” के विषयमें हम नरेन्द्र मोदीको चोर कहेते रहेंगे,

“नरेन्द्र मोदीने कोई भी विकास  नहीं किया और वह विकासका जूठ फैलाता रहेता है ऐसा कहेते रहेंगे,

“नरेन्द्र मोदीने दलित, किसान, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकोंके लिये कुछ भी नहीं किया ऐसा बोलते रहेंगे,

“नरेन्द्र मोदीने बेकारी बढाई ऐसा कहेते रहेंगे,

और खासम खास तो हम पुलवामा हमलेके बाद भी मोदीकी आँखें नहीं खूली, नरेन्द्र मोदी सिर्फ वाणीविलास करता रहा है और पुलवामा हमले बाद भी उसने निस्क्रियता दिखाई है. जब हमारे जवान मरते थे तब नरेन्द्र मोदी  नौका विहार करता था …  जब देशकी जनताने अपने चूल्हे बंद रक्खे थे तब नरेन्द्र मोदी गेस्टहाउसमें ज्याफत उडा रहा था … ऐसी तो कई बातें हमारे दिमागमें है उसको उजागर करते ही रहेंगे. कश्मिरकी स्थिति बिगाडने के लिये नरेन्द्र मोदी ही उत्तरदायी है. जब हमारा शासन था तब कश्मिरमें परम शांति थी और वह कश्मिरके लिये स्वर्णीम समय था. अब देखो, कश्मिरमें हररोज कोई न कोई मरता है.

शिरीष मोहनलाल दवे

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