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रामदास आठवलेको पदच्यूत करो

रामदास आठवलेको पदच्यूत करो

रामदास आठवले कौन है?

क्या वह बीजेपीका प्रवक्ता है?

रामदास आठवले बीजेपीका प्रवक्ता नहीं है, लेकिन उससे भी अधिक है.

रामदास आठवले, मोदी के मंत्रीमंडलका एक मंत्री है.

जनतंत्रमें कोई भी मंत्रीका कथन, सरकारका कथन माना जाता है. मंत्रीका  व्यक्तिगत मन्तव्य हो ही नहीं नही सकता.

“यह मेरा व्यक्तिगत मन्तव्य है”

“यह मेरा व्यक्तिगत मन्तव्य है” ऐसे कथनकी प्रणालीका प्रारंभ कोंगीयोंने किया है.

वास्तवमें यदि कोई सामान्य सदस्य, आठवले जैसा बोले और साथ साथमें यह भी बोले कि यह मेरा व्यक्तिगत कथन है, तो भी वह अयोग्य है. क्यों कि उसको चाहिये कि, वह, अपना  व्यक्तिगत अभिप्राय अपने पक्षकी आम सभामें प्रगट करें. ऐसा करना ही उसका  हक्क बनता है. या तो अपने सदस्य-मित्रमंडलमें अप्रगट रुपसे प्रगट  करनेका हक्क है. पक्षके कोई ही सदस्यको, और खास करके आठवले जैसे मंत्रीमंडलके सदस्यको खुले आम बोलना जनतंत्रके अनुरुप नहीं है.

रामदास आठवलेने क्या कहा?

रामदास आठवलेने कहा कि यदि एस.सेनाको अपने  गठबंधनके साथीयोंसे मेल मिलाप नहीं है तो वह पुनः बीजेपीके गठबंधनमें आ सकता है. शरद पवारके पक्षको भी बीजेपीके गठबंधनमें आनेका आमंत्रण है.

रामदास आठवलेको ऐसी स्वतंत्रता किसने दी?

रामदास आठवले जैसे बीजेपी के सदस्यको मंत्रीपद देना ही नरेन्द्र मोदीकी क्षति है. इस क्षतिको सुधारना ही पडेगा. रामदास आठवले जैसे सदस्य के कारण ही बीजेपीको नुकशान होता है.

यदि नरेन्द्र मोदी और उसकी सरकार समज़ती है कि “सियासतमें सबकुछ चलता है” तो यह सही नहीं है. एनसीपी और एस.सेनासे गठबंधन करना बीजेपीके लिये आत्म हत्या सिद्ध होगा.

क्यों आत्म हत्या सिद्ध होगा?

महाराष्ट्र के चूनावके परिणाम घोषित होनेके बाद  एनसीपीके विधानसभाके नेताने ही बीजेपीका  विश्वासघात किया है. इस घटना को बीजेपीको भूलना नहीं चाहिये.

इसके अतिरिक्त एन.सी.पी.का आतंरिक व्यवहार और संस्कार ऐसा ही रहा है जो गद्दारीसे कम नही है. एन.सी.पी.को दाउद गेंगका दायाँ हाथ माना जाता है. यह खुला गर्भित सत्य है.

बांद्रके रेल्वे स्टेशनके पासकी मस्जिदकी घटना

एन.सी.पी. महाराष्ट्रने बांदरा रेल्वे स्टेशन (पश्चिम) के पास मस्जिदके सामने हिन्दीभाषीयोंको जानबुज़ कर इकठ्ठा किया था. एनसीपी द्वारा ऐसा करना केन्द्र सरकारके आदेशका अनादर था. इस घटनाका परिणाम महाराष्ट्र आज भी सहन कर रहा है. कोरोना महामारीसे सबसे अधिक संक्रमित महाराष्ट्र है. यदि ऐसा नहीं होता तो भी एनसीपीका व्यवहार, केन्द्रसरकारके आदेशके विरुद्ध था. एन.सी.पी.का  ध्येय “पैसा बनाना”, “केन्द्रकी कार्यवाहीको विफल बनाना” और देशमें अस्थिरता पैदा करना था. यह स्वयंसिद्ध है.

पालघर में हिन्दु संतोकी खुले आम हत्या.

पालघर मे दो हिन्दुसंतोकी और उसके वाहन चालककी हत्या की घटना देख लो. महाराष्ट्रकी सशस्त्र पूलिसोंके सामने हिन्दुविरोधी कोमवादीयोंने इन हिन्दुओंको मार मार के हत्या की. उस समय एन.सी.पी.का एक जनप्रतिनिधि भी मौजुद था. किसीने भी उन हिन्दुओंकी जानबुज़कर सहाय नहीं की. उनका परोक्ष ध्येय था हिन्दु संतोंको सबक सिखाना.

महाराष्ट्रकी सरकारने, अफवाह के नाम पर इस घटनाको कमजोर (डाईल्युट)  बना दिया. एन.सी.पी. के जनप्रतिनिधिके उपर भी कोई कार्यवाही नहीं की. महाराष्ट्र की सरकार स्वयं ही कोमवादी है यह बात इससे भी सिद्ध होती है. उतना ही नहीं जब कुछ लोगोंने राज्य सरकारकी कार्यवाही पर प्रश्न किये तो मुख्य मंत्रीने धमकी देना शुरु किया. एन.सी.पी. के शिर्ष नेता स्वयं ऐसी कार्यवाही पर मौन रहे. यह बात भी उनके कोमवादी मानसिकताका द्योतक है.

एन.सी.पी. को, बीजेपी के साथ गठबंधनका आमंत्रण देना एक गदारी ही है. रामदास आठवलेको मंत्रीमंडसे पदच्यूत कर दो.

एस.सेना का पूर्णरुपसे कोंगीकरण हो गया है.

कंगना रणौतके साथ दुर्व्यवहार

कोंगीके हर कुलक्षण, एस.सेनाके नेताओंमें विद्यमान है.  वे “जैसे थे वादी है, वे भ्रष्ट है, वे कोमवादी है, वे प्रतिशोध वादी है, वे एकाधिकारवादी है, वे  पूर्वग्रहसे भरपूर है, वे वंशवादी है, वे अफवाहें फैलाते है, वे जूठ बोलते है, वे गुन्डागर्दीकेआदी है, वे  असहिष्णु है…  ऐसा एक कुलक्षण बताओ जो कोंगीमें हो और एस.सेना के नेताओंमें न हो. बांद्रा की घटना, पालघरकीघटना, कंगना रणोतके साथका उनका व्यवहार, कंगना रणोतके घरको तोडनेकी घटना…  इन सबमें एन.सी.पीका व्यवहार और एस.सेनाका व्यवहार उनकी मानसिकताको पूर्णरुपसे प्रगट कर देता है.

इन सब घटना और व्यवहारके कारण कोंगी , एन.सी.पी. और एस.सेना दफन होनेवाली है.

कोंगी, एन.सी.पी. और एस. सेना इनको अपनी मौत मरने दो.

बीजेपी केन्द्रीय सरकार इन तीनोंके नेताओंको कभी भी गिरफ्तार करके कारावासमें पहोंचा सकती है.

इन बातोंको भूल कर यदि रामदास आठवले, इनके साथ गठबंधनमें आनेका न्योता देता है तो वह आठवले एक गद्दार से कम नहीं है.

रामदास आठवले को पदसे और सदस्यतासे च्यूत करो. नही  तो बीजेपीको बडा नुकशान होनेवाला है.

नरेन्द्र मोदीजी, अमित शाहजी और रजनाथ सिंहजी हमारी आपसे चेतावनी है. दुश्मनों पर लॉ एन्ड ओर्डरका डंडा चलाओ.

 

शिरीष मोहनलाल दवे

चमत्कृतिः

एकेनापि कुवृक्षेण दह्यमानेन वन्हिना,

दह्यते तद्‌ वनं सर्वं, कुपुत्रेण कुलं यथा

एक खराब वृक्षमें स्थित अग्नि, सारे वनको जला कर नष्ट कर देता है,

ऐसे ही एक कुपुत्र (यहाँ पर समज लो एक पक्षका मानसिकतासे भ्रष्ट  नेता रामदास आठवले) बीजेपीको नष्ट कर देगा. कोंगी, एन.सी.पी. और एस.सेना को अपने मौत पर मरने दो. उनका मरना सुनिश्चित है.

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क्या म्युनीसीपल कमीश्नरमें स्मार्ट सीटी बनानेकी क्षमता है?

नरेन्द्र मोदीने कहा कि हम स्मार्ट सीटी बनायेंगे और सीटीके रहेनेवालोंका भी सुझाव लेंगे.

यदि ऐसा है तो कभी स्मार्ट सीटी बन ही नहीं पायेगा.

गधे लोग माफ करें

नगरनिगम आयुक्त (म्युनीसीपल कमीश्नर) से लेकर साफाई वाले तकके पास कोई दृष्टि ही नहीं है.

सबसे पहेले तो इन सभीको “यह नगर अपना है” यह भावना होना आवश्यक है. यदि ऐसी भावना होती है तभी स्मार्ट सीटी की दृष्टि उनमें आ सकती है.

आप प्रश्न करोगे कि

यह “यह नगर अपना है ऐसी भावना” का

अर्थ क्या है?

म्युनीसीपालीटीके प्रत्येक कर्मचारीको यह आत्मसात होना आवश्यक है कि वह समझे कि उसको अपना कर्तव्य निभानेके लिये पैसे मिलते है. अपना कर्तव्य निभानेवाले कार्यको, देशकी सेवा समझना आवश्यक है.

किन्तु वास्तवमें ऐसा है क्या?

यदि नियमके शासनको लागु किया जाय तो नगरनिगम आयुक्त (म्युनीसीपल कमीश्नर) से लेकर सफाईवाले तक निलंबित हो जायेंगे. निलंबित ही नहीं वे कारावासमें भी भेजे जा सकते हैं.

नगरनिगम आयुक्त (म्युनीसीपल कमीश्नर) और उसकी सेनाके अधिकारीगण जैसे कि वॉर्ड अधिकारी, नगर आयोजन अभियंता (टाउन प्लानींग एन्जीनीयर्स)  और संविदाकारगण (कोन्ट्राक्टर्स) सब कारावासमें जा सकते है. इन लोगोंके कार्यपर अनुश्रवण (मोनीटरींग) करनेवाले नगर विकासके सचिव, और निगमके जनप्रतिनिधिगण भी पदच्युत हो सकते है. अपने पदके लिये अयोग्य घोषित किये जा सकते है.

इन अधिकारीयोंमें संकलनक्षमता न होने के कारण अन्य भी कई समस्याएं उत्पन्न होती है और विद्यमान समस्याओंमे वृद्धि होती है.

यह समस्या है जन असुविधाः

उदाहरणः ५० लाखसे उपर जनसंख्यावाले अहेमदाबादमें एक भी पदमार्ग (फुटपाथ) ऐसा नहीं है कि जिसपर पादयात्री बिना कष्ट चल सके. अपंग और वृद्ध की चक्रपीठयान (व्हील चेर)को चलानेकी तो समास्या तो विचारो ही नहीं. इसका विचार मात्र करना नगरके अधिकारीयोंके बुद्धिसे पर है. ऐसा हाल भारतके हर नगरका है.

अनधिकृत संनिर्माणः

व्यापक मात्रामें हुए अनधिकृत संनिर्माण (अनओथोराईझ्ड कंस्ट्रक्सन), अनअधिकृत उपयोग, जनमार्ग पर अतिक्रमण, अस्वच्छता और अनियमित और निरंकुश वाहनव्यवहार, इस सबके लिये कौन उत्तरदायी है? अवश्य ही जिनको इन नियमोंको सुनिश्चित और अनुशासित रखनेके लिये वेतन मिलता है वे उत्तरदेय है. यदि इनमें क्षति आती है तो उनको दंडित करना ही अनिवार्य है.

यदि नियमपालनहीनता व्यापक है तो नगरनिगमका आयुक्त ही अवश्य  उत्तरदायी बनता है.

यदि नगर निगमका कोई अधिकारी ऐसा कहे कि उनके उपर जनप्रतिनिधियोंका दबाव होता है, तो ऐसे अधिकारीको वह जनप्रतिनिधिसे लिखित आवेदन मांगे और उनको लिखित अवगत करें कि आपका आदेश या प्रार्थना नियमसे सुसंगत नहीं है. और इस पत्रसे जनताको भी अवगत करें. यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसको पदच्यूत करना चाहिये. क्यूं कि अधिकारीका कर्तव्य नियमसे चलना है. उसने ऐसी शपथ ली  होती है.

अब देखो. अनधिकृत संनिर्माण की समस्याका समाधान इन लोगोंने कैसे निकाला?

समस्याका समाधान अधिकारीगण, न्यायालय, जनप्रतिनिधिगण और निर्माणकर्ता (बील्डर) सबने मिलीभगत करके यह समाधान निकाला?

सर्वप्रथम आप  अवगत हो जाओ कि, नगर निगमके आयुक्त, उसकी सेनाके अधिकारीगण, निर्माण कर्ता सबने मिलके संयुक्त आयोजित दुराचार (ओर्गेनाईझ्ड क्राईम) किया. बलिका बकरा क्रेता (परेचेझर) को बनाया.

चोर (निर्माण कर्ता बील्डर) दृश्यमान है, चोरीका माल (अवैध निर्माण) दृष्यमान है, चोरीकरने देनेवाला चोकीदार (अधिकारीगण) दृश्यमान है, और जिसको ठगा (क्रेता परचेझर) भी दृश्यमान है. किन्तु, क्यों कि इन दुराचारका आचरण करने वाले नगर निगमके आयुक्त, उसकी सेनाके अधिकारीगण, निर्माण कर्ता जिन्होंने मिलके संयुक्त प्रपंच किया उनकी दंडसे रक्षा करना है. उन्होने क्या किया? जो ठगा गया है उससे दंड वसुल किया. कैसे?

एक समयका समाघात मूल्य (इम्पेक्ट फी), क्रेतासे (परचेझरसे) वसुल कर लो. वार्ता संपूर्ण.

यह समाधान तो चौपट राजाने जो समाधान निकाला था उससे भी मूर्खतापूर्ण है.

सर्व प्रथम यह वास्तविकतासे अवगत हो जाओ कि, अवैध निर्माणसे वाहनव्यवहारमें और जनसुविधाओंमें क्षति आती है. इससे अकस्मात भी होते है. अनधिकृत निर्माण है वह अनाधिकृत है. समय चलते अधिक आपत्तियां बढ सकती है.

यदि किसीने वाहनव्यवहार नियमका भंग किया तो क्या आप उनसे ईम्पेक्ट फी लेके उसको नियमका सतत उलंघन करनेकी अनुमति दे सकते हैं?

अनाधिकृत निर्माणका वास्तविक और अर्थपूर्ण समाधान

जो अनधिकृत निर्माण है उसके उपर समाघात मूल्य (इम्पेक्ट फी)के स्थान पर समाघात कर (ईम्पेक्ट टेक्ष) लागु करना अनिवार्य है. वह प्रतिवर्ष लागु होना चाहिये. प्रत्येक वर्ष इस करमें २० प्रतिशतस  वृद्धि होगी. निर्माण कर्तासे पांच सालका कर वसुल किया जायेगा. तभी निर्माण कर्ताको निर्माण के उपयोगकी अनुमति मिलेगी. ऐसी अनुमतिके अभावमें यदि निर्माणकर्ता, निर्माणके किसी भी भागका विक्रय करता है तो वह विश्वास घाती माना जायेगा और सीधा कारावास जायेगा.

ऐसा नियम बनने के पश्चात, नये निर्माणके लिये वोर्ड अधिकारी और अभियंता उत्तदायी होगा. और वे पदच्यूत होगे. वैसे भी उनके उपर न्यायिक कार्यवाही आज भी हो सकती है.

अतिक्रमणकी समस्याका समाधानः 

अतिक्रमण एक आपराधिक आचार है. उसमें तो जो दोषी है वह कारावासमें ही जायेगा. इसमें पुलिस तंत्र उत्तरदायी है. पुलिस विभाग स्वयंके स्नेही गुंडोसे सप्रेम हप्तावसुली करता है.

मार्गपर पशुओंका मूक्त चलनः

समस्याका समाधान करनेमें नगर निगमके अधिकारीयों कि मूर्खताः

अधिकारीयोंने समस्याका समाधानका मार्ग क्या निकाला?

स्थान स्थान निविदा लगा दी, कि मार्ग पर पशुओंको मुक्त चलनके लिये रखना दंडनीय है. फोन करो “ ……..”. फिर पशुपाल वह फोन क्रमांक पर काला रंग लगा देता है, ताकि वाचन अशक्य बने. अधिकारी समझता है कि उसका कर्तव्य समाप्त हो गया.

इसी समस्याका एक और समाधान अधिकारीयोंने यह बनाया कि, पशुओंको पकडनेका काम संविदाकार (कोन्ट्राक्टर)को देदो. इसमें तीन प्रकारके लाभ है. अधिकारी संविदके (कोन्ट्राक्टके) लिये निविदा (नोटीस) देगा, और इससे संविदाका अनुमोदन (एप्रुव) करनेमें धनप्राप्ति होगी.

तत्‍ पश्चात संविदाकारसे सातत्यसे धनप्राप्ति होती रहेगी  क्यूं कि संविदकार भी पशुओंके स्वामीसे पशु न पकडने के लिये धनप्राप्ति कर लेगा. इसमें इन अधिकारीयोंका भाग निश्चित करेगा.

तृतीय लाभ यह है कि यदि प्रश्न उठा कि, मार्ग पर इतने सारे पशु क्यूं है? तो अधिकारी कहेगा कि देखो हमने तो ये ये काम किये? इतने सारे नोटीस बोर्ड लगायें और इतनी संख्यामें पशुओंको पकडे. पशुओंको रखनेका स्थान जो निश्चित किया है उसका विस्तार ही इतना कम है कि हम ज्यादा पशुओंको पकड नहीं सकते.

समस्याका वास्तविक अर्थपूर्ण समाधान यह हो सकता हैः

जैसे वाहनको रजीस्ट्री क्रम संख्या दे ते हैं उसी तरह पालतु पशुओं को भी रजीस्ट्री क्रम संख्या दो. पशुओंको पकडना आवश्यक नहीं है. केवल सी.सी केमेरा या निरीक्षण प्रवास करके फोटो लेके दंड वसुली करो.

वाहन व्यवहारमें अराजकताः

समस्याः मार्ग उपर “लेन मार्कींग”, “वाहन पार्कींग मार्कींग”, “ पर्याप्त ट्राफिक सीग्नल”, “झीब्रा क्रोसींग”, “स्टोप मार्कींग रेखा”, “वेग सीमा बोर्ड” आदि कई जगह होते नहीं है.

समस्याका समाधान अधिकारीयोंने क्या निकाला?

चार ट्राफीक पुलीस, ट्राफीक सीग्नल पर के पास रख दी.  ये चार पुलिस वाहन व्यवहारका नियमन करेती है. किन्तु प्रत्येक प्रहरमें तो ऐसा किया नहीं जा सकता, इसलिये मध्यान्हसे पहेले यत किंचित प्रहर और मध्यानके पश्चात्‍ एक दो तीन प्रहर तक पुलिस रखी जायेगी. कुछ वाहन चालकोंको पकडेगी और कुछ सुनिश्चित किया हुआ दंड वसुल करेगी. जिसमें कुछ दंड अलिखित भी रहेगा जो स्वयं और उपरी अधिकारीके लिये निश्चित रहेगा.

द्वीतीय समाधान यह है कि यह ट्राफिक पुलिस कभी कभी एक गुलाबका पुष्प भी देगी. ताकि वाहन चालक आनंदित रहे.

अभी अभी अहेमदाबादमें वाहन परिवहन विभाग, ट्राफिक पुलिसको, बीलबुक के स्थान पर एक विजाणु यंत्र देनेवाली है, जिससे वह पुलिस, दंडनीय व्यक्तिको चलान दे सकें. यदि यंत्रमें क्षति आयी तो?

क्या हमारे मार्ग परिवहन मंत्री बेवकुफ है?

लगता ऐसा ही है.

हमारे केन्द्रीय मार्ग-परिवहन मंत्रीने एक और समाधान निकाला है, कि मार्ग अकस्मातको रोकने के लिये सरकार मार्ग परिवहन के लिये कुछ संस्थाएं स्थापित स्थापित करेगी ताकि  वाहन चालकोंमें वाहनपरिवहन के नियमोंका ज्ञान हो.

अरे भाई क्या बिना वाहनचलन अनज्ञप्ति (ड्राईवींग लाईसन्स) वाले वाहन चालकसे या वाहनपरिवहनके नियमोंसे अज्ञात वाहनचालक लोग ही क्या वाहनपरिवहन के नियमोंका उलंघन करते है?

समास्याका समाधान

समास्याका समाधान यही है कि सर्व प्रथम आप मार्ग परिवहनके नियंत्रण की संज्ञा और बोर्ड सुचारु और सुनिश्चित योग्य स्थान पर लिखें.  आप हर चतुर्मार्ग (क्रोस रोड) पर, और  हर ५०० मीटर परके अंतर पर सीसीकेमेरा लगावें. उसके लिये एक उत्कृष्ठ सोफ्ट वेर प्रणाली स्थापित करे ताकि कोई भी नियमका भंग करने वाला छूट न पावे.   

सीसीकेमेराकी विजाणु प्रणाली क्या हो सकती है?

जो वाहन परिवहन नियमका अनादर करेगा, उस वाहनको सीसी केमेरा प्रणाली परिलक्षित (आईडेन्टीफाय) करेगी और अभिलेखित (नोटीफाय) करेगी.

वह दंडनीय व्यक्तिको ईमेल द्वारा निवेदित करेगी, कि आपके वाहनने मार्ग परिवहन नियम “ .., “ का भंग किया है. आपके द्वारा आपका वाहनके क्रयनके (वाहनको परचेझ करनेके) समय वाहन परिवहन रजीस्ट्री कार्यालयमें रजीस्ट्री क्रमांक लेने के या अपना स्वामित्व रजीस्ट्री करवाने के समय जो बेंक एकाउन्ट सूचित किया था उस बेंक एकाउन्ट नंबरसे हमने दंड वसुली कर दी है.

आपकी जानकारीके लिये हमने आपके वाहन परिवहन नियम भंग करनेकी जो वीडीयो क्लीप ली थी उसको इस ई-मेलके साथ संलग्न की है. यदि आपको लगता है कि आपके उपर लगाया गया दंड उचित नहीं है तो आप, “ … “ न्यायालयमें अपना पक्ष रखनेके लिये जा सकते हैं. यदि न्यायालय आपके पक्षमें आदेश देगा तो हमे वह मान्य होगा और हम आपके एकाउन्टमें दंडकी रकम जमा कर देंगे.”

अकस्मातके समय ही मार्गपरिवहन नियमन पुलिस अकस्मातके समय पर उस स्थान आयेगी. अन्य सभी कार्य सीसीकेमेरा सोफ्टवेर विजाणु प्रणाली ही करेगी. वह पुरी सक्षम होगी. और यह हो सकता है.

सीसीकेमेरा सोफ्टवेर विजाणु प्रणाली सक्षमता क्या क्या होगी?

वाहन परिवहन संकेतोंके नियमोंका अनादर,

१ अन्य वाहनसे आगे जानेके लिये लेन परिवर्तित करते रहेना, यानी कि एक लेन पर नहीं रहेना और बार बार लेन बदलना,

२ मार्गके लेनके मध्यमें वाहन नहीं चलाना,

३ यदि द्वीचक्री वाहन है तो एक लेनमें दो से अधिक हो जाना,

४ एक द्वी चक्री वाहन पर बिना सुरक्षा टोपी बैठना,

५ वाहनमें सुनिश्चित संख्यासे ज्यादा व्यक्तियोंका बैठना,

६ सुरक्षा पट्टी नहीं बांधना,

७ एक हाथसे वाहन चलाते चलाते दुसरे हाथसे मोबाईल फोन पकड कर बातें करना,

८ वेग सीमा का उलंघन करना,

९ दो वाहनोंके बीचमें योग्य अंतर नहीं रखना,

१० संकेत-दीप (ट्राफीक सिग्नल)  न होने वाले झीब्राक्रोसींग पर पादयात्रीको प्राथमिकता न देना,

११ आने वाले झीब्रा क्रोसींग के संकेत बोर्ड से ले कर झीब्रा क्रोसींग तक, वाहनको ५ किमी/कलाकसे ज्यादा वेगसे चलाना,

१२ अयोग्य स्थान पर वाहन पार्कींग करना (जहां वाहन पार्कींगका मार्कींग नहीं है वहां वाहन पार्क करना),

१३ अयोग्य रीतसे यानी की वाहनको पार्कींगके मार्कींगके केन्द्र में पार्कींग न करके वाहनको टेढा, आगे या पीछे पार्कींग करना,

१४ विकलांग पार्कींग स्थान पर विकलांग न होते हुए भी वाहन पार्क करना, (भारतमें यह विचारना नगर निगमके नियामकके मस्तिष्ककी विचार सीमासे पर है)

१५ निम्न लिखित गतिसीमाका उलंघन करनाः

१५.१ द्रुतगति मार्ग पर ६०-८०-१०० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१५.२ राज्य मार्ग पर वेग सीमा ४०-६०-८० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१५.३ नगरके राजमार्ग पर वेग सीमा २०-४०-६० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१५.४ नगरके सामान्य मार्ग पर २०-४० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१५.७ नगरकी गली के मार्ग पर १०-२० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१५.८ कोलोनीके मार्ग पर ५-१० किमी/कलाक या यातायातके अनुसार कम

१६ इन सीमाओंका जो उलंघन करेगा उसको सीसी केमेरा प्रणाली परिलक्षित (आईडेन्टीफाय) करेगी और अभिलेखित (नोटीफाय) करेगी.

१७ सी.सी. केमेरासे नारी के साथ अभद्र व्यवहार, चोरी, डकैती, मारपीट, अकस्मात, गुन्हाखोरी, आतंकवादकी गतिविधियां, अपहरण, मार्ग पर होता अतिक्रमण, आदि कई असामाजीक प्रवृतियां पर अंकूश आजायेगा.

यह सब करनेसे नगर एक सामान्य नगर बनेगा. स्मार्ट सीटी नहीं.

सीटीको स्मार्ट बनानेसे पहेले शासनके अधिकारीयोंको स्मार्ट बनाओ. किन्तु ये शासनके अधिकारी गण, न्यायालय, जनप्रतिनिधिगणमें से ९९ प्रतिशत भ्रष्ट है. शासनके सर्वोच्च अधिकारीको (सचिवालय के सचिव, नगर पालिकाके कमीश्नर आदि सबको पदभ्रष्ट कर दो. और उनके स्थान पर मेनेजमेन्टके निष्णात व्यक्तिओंको नियूक्त कर.

अहो !! आश्चर्यम्‌

अहमदाबाद घाटलोडिया विस्तारके एक मार्गका “गौरव पथ” नाम करण किया गया.

इसका आधार क्या था? सभी दुकानके बोर्ड एक कद और एक रंगके बनाये गये थे. और सब दुकाने अपनी फुटपाथ साफ रखते थे.

किन्तु क्या इतना ही करना गौरव पथ की योग्यता है.

गौरव पथ कैसा होना चाहिये?

१ जो निवास स्थानीय विस्तार है, उसमें व्यवसायकी दुकान बनाने पर निषेध होना चाहिये,

२ एक भी निर्माण अतिक्रमण और  अनधिकृत नहीं होना चाहिये,

३ मार्ग पर वाहनका पार्कींगका निषेध होना चाहिये,

४ मार्ग की लघुतम लेन संख्या ३+३ होना चाहिये,

५ वर्षा ऋतुमें जल निकासकी योग्य व्यवस्था होनी चाहिये जिससे जल संचय मार्ग पर न हो,

६ प्रत्येक आवास संकुलमें स्वयंके वाहन और अतिथि के वाहनकी पार्कींग व्यवस्था होनी चाहिये,

७ सभी आवास और निर्माण मार्गके स्तरसे उंचे होना चाहिये,

८ मार्ग परके वाहनव्यवहार के संकेत बोर्ड और नगर पालिकाके आवास क्रम संख्या के बोर्ड होना चाहिये,

९ मार्गकी फुटपाथ समतल और लघुतम चौडाई ५ मीटर की होनी चाहिये जिससे विकलांग अपना हाथसे चलने वाला त्रीचक्री वाहन चला सके और शिशुका त्रीचक्री वाहन (स्ट्रोलर) भी फुटपाथ पर चल सके.

यदि ऐसा है तो उसका गौरव ले सकते है और उसका नाम गौरव पथ रख सकते है. नगरके सभी मार्ग गौरव पथ होने चाहिये.

शिरीष मोहनालाल दवे

टेग्झः

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What is expected by the people of India from Narendra Modi – Part – 2

नरेन्द्र मोदी जब प्रधान मंत्री बन जाय, तब भारतीय जनता उनसे क्या अपेक्षा रखती है? – २

जनप्रतिनिधि के चयन, निर्वाचन, नियुक्ति और उसको पदच्यूत करनेवाली प्रक्रियामें संशोधनः

जनप्रतिनिधिके अधिकार, कर्तव्य और उसकी सीमा और परिसीमाके बारेमें हमें स्पष्ट हो जाना पडेगा.

जनप्रतिनिधि कौन है?

जनप्रतिनिधि क्या जनताका कर्मचारी है?

अगर हां, तो उसके उपर सरकारी कर्मचारीगण वाली (पब्लिक सर्वन्ट के लिये निर्धारित और सूचित) आचार संहिताको उपयोजित (एप्लीकेबल) करनी चाहिये. लेकिन भारतीय संविधानके अनुसार जनप्रतिनिधिके लिये अलग, अर्धदग्ध और अस्पष्ट, उपबंधन (प्रोवीझन) और प्रक्रिया है.

जनप्रतिनिधि, वास्तवमें जनताका प्रतिनिधि है जो अपने अपने क्षेत्रकी जनताकी समस्याओंका, विचारोंका, इच्छाओंका, आकांक्षाओंको विधान परिषद [विधि, विधान और उनकी प्रक्रियाओंके विषय पर विधेयकका प्रारुप (ड्राफ्ट) बनानेवाली और उसको स्विकृति देने वाली जनप्रतिनिधियों की सभा)में प्रतिबिंबित करता है. और कर्मचारीगण द्वारा जनहितमें कार्यान्वित करवाता है और उनके उपर अनुश्रवण (मोनीटरींग) करता है.

जनप्रतिनिधिका कार्यकाल ५ वर्ष है या तो विधान परिषद भंग हो जाने पर नष्ट हो जाता है.

क्या जनता, अपने जनप्रतिनिधिको उसके कार्यकालकी निश्चित अवधिके पूर्व उसको पदच्यूत कर सकती है?

उत्तर है; “ना” और “हां.”

“ना” इसलिये कि, भारतीय संविधानमें जनप्रतिनिधिको कार्यकालके पूर्व ही, पदच्यूत करनेकी कोई प्रक्रिया नहीं है.

“हां” अगर विधान परिषदका प्रमुख चाहे तो वैवेकिक शक्ति (डीस्क्रीशनरी पावर) से संविधानमें बोधित प्रक्रियाके अनुसार उसको पदच्यूत कर सकता है.

लेकिन इसमें तत्‍ क्षेत्रीय जनताके अभिप्राय और ईच्छाका प्रतिबिंबन अस्पष्ट है. जनता अपनी ईच्छासे अपने प्रतिनिधिको पदच्यूत नहीं कर सकती. यदि जनता अपने प्रतिनिधि पर कोई भी प्रकारके आंदोलन द्वारा मनोवैज्ञानिक प्रभाव लावे और उसको पदत्याग पत्र देना पडे वह परिस्थिति अलग है.

तो इसमें क्या करना चाहिये?

हम एक जन वसाहतका उदाहरण लेते है.

एक जन वसाहत है. इस वसाहतमें कई प्रकारके आवास है, बडे आवास है, छोटे आवास है, बहुमंजीला आवास है, झुग्गी झोंपडीयां भी है, कार्यालय है, उद्योग है, पैदल मार्ग है, वाहन मार्ग है आदि आदि … .

यहांके आवासीयोंने विचार किया कि, इस वसाहतमें कई सारे काम है. इनकी सफाईका काम, अनुरक्षणका काम, नव सर्जनका काम, काम करनेवालों पर अवलोकन और अनुश्रवणका काम आदि आदि…  इन सब कार्योंको कोई एक व्यक्ति करें  या करवायें ऐसा आयोजन करें.  हम किसीको इन कामोंको करनेका संविदा (कोन्ट्राक्ट) दे दें. यह व्यक्ति हमारे आदेशों और निर्देशोंके अनुसार काम करेगा और करवायेगा.

“फलां” पक्ष नामक एक अभिकर्ता

एक “फलां” पक्ष नामक एक अभिकर्ता (एजन्ट) आ गया. उसने प्रस्ताव दिया कि हम एक संविधान का प्रारुप आपको देंगे और आप जैसी कई वसाहत है. आप आपका प्रतिनिधि हमें दें. आपका यह प्रतिनिधि आपके विचारोंके अनुरुप, प्रारुपको स्विकृति देगा, या विकल्पका प्रस्ताव देगा, उसको हम संमिलित करेंगे और इन प्रतिनिधियों द्वारा जो अंतिम प्रारुप बनेगा वह संविधान बनेगा. इसमें मानवीय अधिकारोंका, शोषण हिनताका, न्याय, प्रतिनिधि के चूनाव आदि आदि सब कर्तव्योंका संमिलन होगा और इस संविधानके आधार पर कर्योंका निष्पादन (एक्झीक्युशन) और अनुश्रवण होगा. यह प्रतिनिधि आपसे कर द्वारा खर्च वसुल करेगा और थोडीसी मझदूरी / वेतन लेगा.

अब हुआ ऐसा कि ऐसा संविधान बन जाने पर और स्विकृत हो जाने पर वह एजन्टने  अपनी तरफसे जनप्रतिनिधिका नाम भी प्रस्तावित किया. जनताने उसको चूनाव द्वारा स्विकृत किया, किंतु यह जनप्रतिनिधि और उसका पक्ष कपट करने लगा और करवाने लगा. कर बढाने लगा, अपने सभ्योंकी मझदूरी, सुख सुविधाओंमें वृद्धि करने लगा. ऐसे विधेयक पसार करने लगा कि जनताकी दीनता बढे और संपत्तिवान ज्यादा संपत्तिवाले बने.

ऐसा कई वसाहतोंमें होने लगा. तो एक वसाहतने पारदर्शिताके लिये सूचनाका अधिकार संमिलित करवाया. प्रयोजन यह था कि जन प्रतिनिधि संविधानके अंतर्गत जो कुछ भी सुधार करे वह पारदर्शितासे करे.

पक्षने कहा ठीक है आप जो माहिती मांगेंगे वह हम देंगे. बात खतम.

ऐसी परिस्थितिमें भी जनप्रतिनिधि अपने वर्तनमें कोई सुधार नहीं लाता है.

जनप्रतिनिधि कहेता है पक्षने मेरे नाम का प्रस्ताव रक्खा था और आपने मुझे पांच वर्षके लिये स्विकृत कर ही लिया है. इसलिये मेरा उत्तरदायित्व पक्षके साथ है. संविधानके अनुसार मेरा कार्यकाल रहेगा.

जनताने कहा तू हमारा प्रतिनिधि है. पक्षने तो तुम्हे सिर्फ प्रस्तावित ही किया है. पक्षने तुम्हारा चयन किया है. हमने तुम्हारा निर्वाचन किया है.

जनप्रतिनिधि और पक्षने कहा, संविधानमें जो प्रावधान है उसके उपर आप जनता लोग नहीं जा सकते. संविधान के उपर कोई नहीं है.

जनता कहेती है संविधानके उपर जनता है. जनता है तो संविधान है.

पक्ष कहेता है, संविधानमें संशोधनके लिये अधिकृत हम ही है. तूम लोग कौन होते हो?

जनता कहेती है कि तो हमारे मूलभूत अधिकारोंका क्या? यदि हमने प्रतिनिधिको चूना है तो उसका प्रतिनिधित्व नष्ट करना हमारा मूलभूत अधिकारा है. यदि वह ढंगसे काम नहीं करता है तो हम उसको पदभ्रष्ट कर ही शकते है.

पक्ष कहेता है, संविधानमें कोई ऐसा प्रावधान और प्रक्रिया नहीं है. हमने आपके सामने हमारा चूनावका घोषणा पत्र रखा था. अगर हमारा व्यवहार ठीक नहीं है तो तुम लोग हमे आगामी चूनावमें निर्वाचित मत करो. तुम लोग हमारे मध्यावधि कार्यकालमें, विरोध प्रदर्शन करके, बहुमत तुम्हारे साथ है ऐसा सिद्ध नहीं कर सकते हो.

जनता कहेती हैः तुम्हारा चूनाव नीति-घोषणा एक कपट है. तुमने घोषणापत्रमें जो वचनबद्धता प्रकट की थी उसका तुमने पालन नहीं किया. जो घोषणा पत्रमें  नहीं था उसका तुम लोग विधेयक लाये. यह एक छलना और विश्वासघात है.

पक्ष कहेता हैः हमने विश्वासघात किया है, ऐसा सिद्ध कौन करेगा? हमने वादा किया था कि, हम लोकपाल विधेयक का प्रस्ताव लायेंगे और हम उस विधेयकको लाये.

जनता कहेती है तुम्हारा लोकपाल विधेयकका प्रारुप अर्थपूर्ण और परिणाम लक्षी नहीं है. यह एक कपट है. तुम्हे तुम्हारे चूनाव नीति-घोषणा पत्रमें ही लोकपाल विधेयकका प्रारुप (लोकपाल बीलका ड्राफ्ट), प्रकट करना चाहिये था. तुमने व्यवहारमें निरपेक्ष पारदर्शिता नहीं प्रदर्शित कि. तुमने अपने नीति-घोषणा पत्रमें यह कभी भी लिखा नहीं था कि, तुम लोग अपना वेतन / मझदुरीमें वृद्धि करोगे और सुख सुविधा बढाओगे, तो भी तुमने अपने खुदके लाभवाला सब कुछ किया. वास्तवमें तुम जो कोई भी विधेयक लाने वाले थे उन सबका प्रारुप हमारे सामने प्रकट स्वरुपमें रखना तुम्हारे लिये आवश्यक था. किंतु तुमने यह कुछ भी किया नहीं. पारदर्शिता रखना तुम्हारा कर्तव्य है. तुम अपने कर्तव्यसे च्यूत हुए हो इसलिये तुम निरर्हित (डीसक्वालीफाईड) बन जाते हो.

पक्ष और जनप्रतिनिधिः लेकिन इस का निर्णय तो न्यायालय ही कर सकता है.

न्यायालय क्या कर सकता है?

न्यायालय, सूचना अधिकार की आत्माको केन्द्रमें रखकर पारदर्शिताका निरपेक्ष पारदर्शिताके रुपमें   अर्थघटन कर शकता है. और जो विधेयका प्रारुप चूनावके नीतिघोषणापत्रमें नहीं है उन सबको शून्य, प्रभावहीन और अप्रवर्तनीय घोषित कर सकता है. और पक्षको शासनके लिये और राजकीय पक्ष के स्थान पर भी निरर्हित कर सकता है.

और कोई विकल्प?

यदि जन प्रतिनिधिके क्षेत्रके समग्र मतदातामेंसे २०% मतदाता, चूनाव अधिकारीको आवेदन दें कि इस जनप्रतिनिधिको वापस बुलालो तो चूनाव अधिकारीको उस जनप्रतिनिधिके प्रतिनिधित्वके बारेमें जनताके “हां”, “ना” या “निश्चित नहीं” का बटन दबाके मत लेना पडेगा. यदि ५०+% मत, जनप्रतिनिधिके विरुद्ध गये तो वह पदच्यूत हो जायेगा.

ऐसी प्रक्रियाकी अनुपस्थितिमें, जनप्रतिनिधिको पदच्यूत करनेके लिये ५०+% मतदाताओंको अधिकृत अधिकारी या न्यायाधीशके सामने या क्षेत्रके चूनाव अधिकारीके सामने शपथपत्र बनाना पडेगा कि वह अपने क्षेत्रके जनप्रतिनिधिमें विश्वास रखता नहीं है और वह उसकी पदच्युतिके पक्षमें है. और वह अपने जनप्रतिनिधिको पदच्युत करना चाहताहै. ऐसे सर्व शपथ पत्रकी संख्या ५०+% होती है तो जनप्रतिनिधि पदच्यूत हो जायेगा.

तो हमें क्या न्यायालयके अर्थघटनकी प्रतिक्षा करना है?

क्या हमें जनप्रतिनिधि के चयन, निर्वाचन, नियुक्ति और उसको पदच्यूत करनेवाली प्रक्रियामें संशोधन करना है?

Last supper

(Artist’s curtsy)

(क्रमशः)

शिरीष मोहनलाल दवे

टेग्झः संविधान, जनप्रतिनिधि, चयन, चुनाव, पक्ष, अभिकर्ता, एजन्ट, विधेयक, प्रारुप, ड्राफ्ट, निष्पादन, एक्झीक्युशन, निरर्हित, डीसक्वालीफाईड, अर्थपूर्ण, निरपेक्ष, पारदर्शिता, कर्तव्य, अधिकार, कालावधि, विश्वासघात, पदच्यूत, नीति, घोषणा, पत्र, वैवेकिक शक्ति, डीस्क्रीशनरी पावर 

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What is expected by the people of India from Narendra Modi

नरेन्द्र मोदी जब प्रधान मंत्री बन जाय, तब भारतीय जनता उनसे क्या अपेक्षा रखती है?

चूनाव आयोग सुधारः (रीफोर्म्स)

कार्यक्षेत्र और भौगोलिक विस्तार

चूनाव आयोग, भूमि और आवास सहयोग विभाग, जनगणना आयोग, स्थावर संपत्ति पंजीकरण (रजीष्ट्रार ओफ को ओपरेटीव सोसाईटीझ, लेन्ड रेकोर्ड), इन सभी कार्यक्षेत्रोंको चूनाव आयोगमें संमिलित किया जायेगा.

इसका नाम रहेगा चूनाव और स्थावर संपत्ति सहयोग आयोग

कृषि सहकारी संस्थाएं और गृह निर्माण सहकारी संस्थाएं, हालमें तो सहयोग संस्था पंजीकर्ता (रजीस्ट्रार ओफ को ओपरेटीव्झ सोसाईटीझ) के कार्य क्षेत्रमें है. न्यायालयके उपर भी जो भार रहेता है इसमें इसके संलग्न किस्से ही ज्यादातर होते है.

चूनाव इन सहयोगी संस्थाओमें भी होते है. सहयोगी संस्था कृषि, और सहयोगी संस्था गृह निर्माणअनुरक्षणमें, कपट (फ्रॉड), अनीति, और अनियमितता ज्यादा ही रहती है. इन कपट, अनीति और अनियमितताका निर्मूलन करनेके लिये ये सहयोगी संस्थाओंका, उसके सदस्योंका पंजीकरण (रजीष्ट्रेशन ऑफ मेम्बरशीप), विकास और अनुरक्षण (मेन्टेनन्स), समिति (कमीटी) के सदस्योंका चूनाव, और सदस्यताका हस्तांतरण (ट्रन्सफर ऑफ मेम्बरशीप) आदि, चूनाव आयोग के कार्यक्षेत्रमें लाना आवश्यक है.

चूनावमें विस्तार की जनगणना और व्यक्तिकी अनन्यता (आईडेन्टीटी), नागरिकता (सीटीझनशीप), आदि अनिवार्य है. इस लिये जनगणना आयोग भी इसमें संमिलित (मर्ज्ड) होना चाहिये.

चूनाव और जन सहयोग के निम्न लिखित स्तर रहेंगे

राष्ट्रीयस्तर (राष्ट्र) (सर्वोच्च आयुक्त)

राज्य स्तर (राज्य विस्तार) (उच्च आयुक्त)

संसद सदस्य स्तर, (संसद बैठक विस्तार) (जिला आयुक्त)

विधान सदस्य, (स्टेट एसेम्ब्ली बैठक विस्तार) (उपायुक्त)

खंडीय स्तर (वॉर्ड) (सहायक आयुक्त)

बुथ या बुथ समूह (विस्तार से १० बुथ विस्तार या ५००० के आसपास मतदाता) (बुथ अधिकारी)

यह एक उच्च से निम्नस्तर तक बिलकुल स्वतंत्र आयोग रहेगा. इसके कार्यालय, जनसभाखंड और कर्मचारीगण स्थायी होगे.

.   हेतुः चूनाव प्रचारमें सुधार, चूनाव खर्च पर पाबंदीः जब तक चूनावी प्रचारमें सुधार नहीं होगा और चूनाव में पैसेका महत्त्व दूर नहीं होगा तब तक नीतिमत्ता वाले और सेवाभावी लोग चूनाव जित पायेंगे नहीं. इसलिये हरेक अभ्यर्थीका (केन्डीडेटका) चूनाव प्रचार खर्च शासन उठायेगा.

. चूनाव आयोग कार्यक्षेत्र सुधारः ५००० मतदाताओंके भौगोलिक विस्तारके आधार पर एक बुथ या बुथ समूह या एक ग्राम्य विस्तार या नगरका एक विभाग में एक राजपत्रित अधिकारी (gazetted officer)  होगा.

इस राजपत्रित अधिकारीके पदका नाम बुथ अधिकारी  रहेगाः

बुथ अधिकारीका अपने भौगोलिक विस्तारमे निम्न लिखित कर्तव्य और उत्तरदायित्व

पंजीकरणः

अपने विस्तारकी स्थावर (जमीन और मकान आदि) मिल्कतोंका पंजीकरण यह अधिकारी करेगा.

जनगणनाः

निवासीयोंकी नोंध यह अधिकारी करेगा. इस के कारण जनगणना का पंजीकरण अपने आप होता रहेगा. ,

सहकारी संस्था पंजीकरण और संचालनः

सहकारी गृह निर्माण और अनुरक्षण संगठन कृषि सहकारी संगठन के कारोबार पर अनुश्रवण (मोनीटरींग) और उसका पंजीकरण और नियमन का काम यह अधिकारी करेगा. हरेक सहकारी संस्थाका प्रमूख यह अधिकारी होगा.

यह अधिकारी उपरोक्त संगठनोंके पंजीकरण और संचालन की कार्यवाही करेगा. तद उपरांत यह अधिकारी, उपरोक्त सहकारी संगठनोके सदस्योंका पंजीकरण, सदस्यता का हस्तांतरण, संशोधन, संस्थाका अनुरक्षणसदस्यसभा सामान्य सभा बुलाना और उसका संचालन और कार्यवाहीका अभिलेखन (रेकोर्ड) रखनेका काम करेगा.

ज्यादातर अनियमितता, अनीति और कपट स्थावर संपत्ति और सहकारी संगठन द्वारा ही होते है. ये सब कपट और अनीति बंद हो जायेगी. क्यों कि किसीभी कपट, अनीति और अनियमितता का उत्तरदायित्व (रीस्पोन्सीबीलीटी) इस अधिकारी पर रहेगा.

चूनाव प्रचार निरीक्षण और सभा संचालनः

जनप्रतिनिधित्व के अभ्यर्थीयोंका चूनाव प्रचार सभाओंका संचालन यह अधिकारी करेगा.

यह अधिकारी अपने द्वारा अपने विस्तारमें स्थित, प्रबोधित (सजेस्टेड), सूचित या सुझाये गये स्थान या सभाखंड में आवेदित (एप्लाईड फोर), जनसभाका संचालन करेगा और वक्तव्योंका और प्रचार साहित्यका रेकोर्ड रखेगा.

यह अधिकारी प्रश्नोत्तरी और समान मंचपर (कोमन प्लेटफोर्म) विभिन्न जनप्रतिनिधित्व के अभ्यर्थीयोंकी या उनके द्वारा सूचित व्यक्तियोंकी चर्चासभाओंका संचालन करेगा.

यह अधिकारी सरकार द्वारा संचालित दूरदर्शन पर, और समान मंच पर, सामूहिक और व्यक्तिगत व्याख्यान कार्यक्रम पक्षके अभ्यर्थी और अपक्षीय अभ्यर्थीयों के साथ चर्चा करके कर्यक्रम की अनुसूचना (शीड्युल ओफ प्रोग्राम) जारी करेगा. यह अनुसूचना सरकार वेब साईट पर पर जारी करेगी. प्रचार की यह अनुसूचना सभाखंड और बुथ कार्यालयमें प्रदर्शित रक्खी जायेगी.

हर अभ्यर्थीके चूनाव क्षेत्रकी एक वेब साईट बनाई जायेगी और जन सूची, मतदाता सूची, सदस्यता, हस्तांतरण, समय समय के अभ्यार्थी, अभ्यार्थी परिचय, चूनाव घोषणा, चूनाव और अनुसुचित प्रचार, प्रचार अभियान माहिति, चूनाव परिणाम, ईत्यादि माहिति वेब साईट पर उपलब्ध रहेगी.

. विधेयकमें पारदर्शिता और जनस्विकृति

भारतीय संविधान अनुसार, राजकीय पक्ष और जनता के बीचमें सीधा संबंध नहीं है. निर्वाचित व्यक्ति को जनप्रतिनिधि कहा जाता है. वैसे तो राजकीय पक्षको कई रियायतें मिलती है. इस लिये उनका उत्तरदायित्व बनता है. लेकिन वास्तवमें ऐसा दिखाई देता नहीं है.

जनप्रतिनिधिके लिये कोई व्यक्ति आवेदन (प्रार्थनापत्र) दें उसके पहले उसकी लोकप्रियता सिद्ध करने लिये एक प्रारंभिक सर्वेक्षण जरुरी है. पक्ष वाले तो अपना व्यक्ति खुद तय करेंगे और इसमें जरुरत पडने पर क्षेत्रीय अधिकारीकी मदद ले सकते है.

जो व्यक्ति अपक्ष है वह कितना लोकप्रिय है यह सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्रीय अधिकारी बुथ अधिकारीयोंकी मददसे एक प्राथमिक सर्वेक्षण करवायेगा. और उनमें जो सर्व प्रथम पांच निर्वाचित बनेंगे वे ही अंतीम चूनावमें भाग ले सकते हैं.

. पक्षीय या अपक्षीय अभ्यार्थीका नीतिघोषणा (ईलेक्सन मेनीफेस्टो) पत्रः

जो विषय घोषणा पत्रमें संमिलित नहीं है उस विषय पर कोई जनप्रतिनिधि विधेयक (बील) ला सकता नहीं है. क्यों कि यह जनताके सामने पारदर्शिता नहीं है.

विधेयक का प्रारुप (ड्राफ्ट ओफ थे बील)

जो भी व्यक्ति या पक्ष या पक्षकी व्यक्ति जो जनप्रतिनिधित्व के लिये अभ्यार्थी है, वह अगर चूना गया तो अपने आगामी कार्यकालमें क्या क्या विधेयक लानेवाला है उसका प्रारुप क्षेत्रीय अधिकारी के पास उसको प्रस्तूत करना पडेगा. कोई भी अभ्यार्थीने या अगर उसके पक्षने ऐसा विधेयक का प्रारुप प्रस्तुत (सबमीट) करवाया नहीं है, तो ऐसा विधेयक वह सभामें (संसद, विधानसभा, परिषद, या कोई भी विधेयक पारित करनेका वाली अधिकृत सभा) प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है.

हालमें व्यवस्था ऐसी है कि जनप्रतिनिधि का पक्ष विधेयकका प्रारुप शासन ग्रहण करनेके पश्चात अपने कार्यकाल दरम्यान बनाती है और परिषद में प्रस्तुत करके पारित (पास) करवाती है. वास्तवमें जनताके साथ यह एक बेईमानी है. जनताकी आवाज इसमें प्रतिबिंबित होती नहीं है. इतना ही नहीं इस प्रक्रीयामें पारदर्शिता नहीं है.

आपात स्थितिमें विधेयक

अगर आपात स्थितिमें कोई विधेयक की जरुरत पडी तो, राष्ट्रीय चूनाव आयूक्त ऐसे विधेयकके प्रारुपको जनताके सामने प्रसिद्ध करेगा औरहां”, “नाऔरतटस्थ” (यस, नो, कान्ट से) में जनमत लेगा.

अति आपात स्थितिमें विधेयक

अगर अति आपातकालकी स्थिति है तो राष्ट्रपति इसके उपर अपना अभिप्राय देगा और अध्यादेश (ओर्डीनन्स) जारी करेगा. इसको मासमें जनताके सामने रखना पडेगा. अगर जनताने ५०+ प्रतिशतसे नामंजुर किया तो शासक पक्षको सत्ता त्याग करना पडेगा. अगर ऐसा नहीं है तो सरकार चालु रहेगी.

सरघस, बडे विज्ञापन पट्ट, और दिवारों पर लिखने पर पाबंदीः

पक्षका अभ्यार्थी और अपक्ष अभ्यार्थी सिर्फ अपना चूनाव घोषणापत्र (जिसमें विधेयक का प्रारुप संलग्न होगा), अपना अंगत और व्यावसायिक सेवा विवरण (प्रोफाईल), अपनी कार्यशैली (गवर्नन्स स्टाईल) अपने विचार सिद्धांत (स्कुल ऑफ थोट्स एन्ड प्रीन्सीपल्स),  और वक्तव्य (प्रवचन) का विवरण दे सकता है. इसका मुद्रण (प्रीन्टींग) खर्च चूनाव आयोग उठायेगा. सभा खर्च भी चूनाव आयोग उठायेगा.

गैर सरकारी दूरदर्शन चेनलों पर चूनाव प्रचारका खर्च अभ्यार्थी के खाते में जायेगा. जितना खर्च सरकार अपने सरकारी दूरदर्शन चेनलों पर करेगी उतना खर्च जनतप्रतिनिधित्वका आभ्यार्थी कर पायेगा.

अगर अभ्यर्थी चाहे तो अपने चूनाव प्रचारकी दृष्यश्राव्य (वीडीयो) कृति (क्लीप) सरकारी दूरदर्शन चेनल को प्रस्तूत कर सकता है. चूनाव आयोग, पक्ष के चूनाव पत्र पर सूचित प्रक्रिया में संमिलित कर देगा. जनता उसको अपनी अनुकुलतामें देख लेगी.

कृषि और आवास सह्योग विभाग

ठीक उसी प्रकार कृषि और आवास सह्योग आयोगको चूनाव आयोगमें संमिलित करके संशोधन करना है.   

कृषि और आवास सह्योगी संस्था के विषयमें भी, निविदा (पब्लिक नोटीस), संस्थाका कार्य क्षेत्र, संस्था परिचय, सदस्यताकी पात्रताका मापदंडसंस्था पंजीकरण, सदस्य सूची, सदस्यकी माहिति, विकास और अनुरक्षण की समिति के सदस्यों की के चूनाव प्रक्रीया अनुसूचना और पूरी प्रक्रीया, विकास और अनुरक्षण लेखा (एकाउन्ट) और लेखा परीक्षा (ऑडीट) विवरण, समिति सभा, सामान्य सभा, सभा घोषणा प्रक्रीया (एकोर्डीग टु स्टेच्युटरी प्रोवीझन्स फोर कोलींग फोर मीटींग), वक्तव्य नोंध, आदि सभी व्यवहार बुथ अधिकारी करेगा और सभी प्रक्रिया वेब साईट पर उपलब्ध रहेगी.

प्रकिर्णः

बुथ अधिकारी, व्यक्तिकी अनन्यताका प्रमाणपत्रः

इस क्षेत्रके निवासीकी छबी, कद, जन्म तीथी, आदि और गोपित प्रक्रीयासे रखा हुआ अंगुलीयां छाप, नेत्र छाप, हस्ताक्षर छाप आदि अनन्यताका पंजीकरण क्रमसंख्यावाला अनन्यताका प्रमाणपत्र कार्ड बनायेगा और देगा.

दस्तावेजों का नोटराईझेशन और पंजीकरण

बुथ अधिकारी, स्थानिक दस्तावेजोंका नोटराईझेशन और पंजीकरण करेगा,

बुथ अधिकारी, स्थानिक स्थावर संपत्तिका, सर्वेक्षण, मानचित्र, हस्तांतरण, बंधक विलेख, आदि निष्पादित और पंजीकरण करेगा.  

बुथ अधिकारी, स्थानिक व्यक्तिओंकी प्रतिज्ञा पत्र, और जिम्मेवारी पत्र, आदि दस्तावेज निष्पादित करेगा और पंजीकरण करेगा.

स्थान और कार्योंका पंजीकरण 

उत्पादनबिक्रीवहनसूचनाशिक्षणव्यापारीसेवाअभिकरण आदि संस्था, व्यक्ति, व्यक्ति समूह को अपना कार्यस्थल, स्थानांतरण, हस्तांतरण और कर्मचारीके विवरण का एक सूचित आवेदन पत्र प्रस्तूत करना पडेगा और उसका पंजीकरण करवाना पडेगा. बुथ अधिकारी एक आधारभूत वेब साईट रखेगी और एक मानचित्र के अंतर्गत सभी विवरण जनता देख पायेगी. बुथ अधिकारी इस वेब साईटको अद्यतन रखेगा. जो संस्था व्यक्ति और व्यक्ति समूह, जन लोक के साथ व्यवहार है, उनके बारेमें जनता के प्रति पारदर्शिता होनी चाहिये.   

यह एक रुपरेखा है और इसको नियमबद्ध भाषामें रखकर भारतीय संविधानमें सामेल करना है.

शिरीष मोहनलाल दवे

टेग्झः चूनाव आयोग, संशोधन, सुधार, जन, मतदार, सर्वेक्षण, जनप्रतिनिधि, पंजीकरण, अनन्यता, प्रमाणपत्र, जनगणना, क्षेत्र, विधेयक, अभ्यर्थी, आवेदक, आवेदन, राजपत्रित, अधिकारी, बुथ, खंड, जिला, तहेसील, उच्च, सर्वोच्च, ग्राम, नगर, स्थावर,  संपत्ति, सदस्य, सदस्यता, हस्तांतरण, कृषि, मानचित्र, खर्च, लेखा, विवरण, बंधक विलेख, परीक्षा,

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