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Posts Tagged ‘पंजा’

जिस देशमें गंगा बहेती है

जिस देशमें गंगा बहेती है


वोट की राजनीति करने वालोंको करो अलविदा (एक नुक्कड संवाद रुपी नौटंकी)

वॉटकी राजनीति कौन करता है और कौन करवाता है?

वॉटकी राजनीति नहेरुवीयन कोंग्रेस करवाती है.

नहेरुवीयन कोंग्रेस कौन है?

नहेरुवीयन कोंग्रेस वह है जिसका चूनाव चिन्ह पंजा है

इसको नहेरुवीयन कोंग्रेस क्युं कहेते हो?

क्योंकि जवाहरलाल नहेरुने इस पार्टी को अपनी घरेलु और वंशवादी पार्टी बना ली है.

घरेलु पार्टीका मतलब क्याहै?

घरेलु पार्टीका मतलब है जवाहरलाल मोतीलाल नहेरु के वंशसे संबंधित औलाद ही कोंग्रेस पार्टीका नंबरवन होद्देपर रह सकती है. यह स्थान उसके लिये १०० परसेन्ट आ रक्षित है. और वह ही सर्वेसर्वा रहेगी.

नंबरवन होद्दा और सर्वेसर्वा का मतलब क्या है?

नंबरवन मतलब उसके उपर कोई रहेगा नहीं, वह जो कहेगा वह सबको मानना पडेगा. अगर कोई उपलब्धि आ पडी तो इसका श्रेय इस नंबर वन को ही देना पडेगा. और इतना ही नहीं जो कुछ भी विफलता आयी सामान्यतः तो विफलता ही आतीं हैं तो उन सबकी जिम्मेवारी कोई न कोई नेताको अपने सरपर लेनी पडेगी.

इसका मतलब क्याविफलताकी जिम्मेवारी कैसे ठोकी जायेगी?

नंबर वन यानीकी नहेरुवंशकी तत्कालिन औलाद तय करेगी कि बलीका बकरा किसको बनाया जाय.

वह कैसे?

जैसे कि चीनके सामने हमारी युद्धमें घोर पराजय हुई तो जिम्मेवार कृष्ण मेनन को बनाया गया, पहेली तीन पंचवर्षीय योजना अंतर्गत आर्थिक क्षेत्रमें विफलता हुई तो सीन्डीकेटको जिम्मेवार बनाया गया. स्टेटबेंकमें ६० लाखका गफला हुआ तो नगरवाला को बनाया गया. युनीयन कार्बाईडका गेस कांड हुआ तो एन्डरसन को बनाया और उसके साथ कुछ लेनदेन करके उसको देशके बाहर भगा दिया. शिख और मुस्लिम आतंकवाद के लिये पाकिस्तानको जिम्मेवार बनाया गया. शेर बजारमें गफला हुआ तो हर्शद महेता और नरसिन्ह रावको बनाया गया

लेकिन नरसिंह राव तो प्रधान मंत्री थे ?

हां, लेकिन वे नंबरवन सोनिया गांधीका कहेना नहीं मानते थे और जो उपलब्धियां उन्होने की थी वे सबका श्रेय अपने पर ले रहे थे इसलिये उनको हटाना जरुरी था और कोई कुत्ते को मारना है तो उसको पागल ठहेराना नहेरुवंशके फरजंदोका स्वभाव है.

लेकिन अभी अभी जो कौभान्ड हुए उनका क्या?

देखो कोमनवेल्थ गेम के लिये कलमाडी है. टु-जी कौभान्ड के लिये राजा है. आदर्श टावर के लिये महाराष्ट्र के मंत्री है. महंगाइ के लिये शरद पवार है.

लेकिन शरद पवार को तो कहां हटाया है?

हां, ये बात भी सही है. लेकिन याद रखो जिनको भी हटाये है वे सब ऊच्चतम न्यायालयसे जब डांट पडी तब ही हटाये हैं. जबतक उच्चन्यायालयसे डांट न पडे, चूप रहेनाका और अपनेवालों के गुनाहोंपर कोइ कदम नहीं उठानेका.  

लेकिन इससे तो पंजेकी यानी कि, नहेरुवीयन कोंग्रेसकी आबरु जाती है. इसके बारेमें यह पण्जा क्या करता है? क्या उपाय अजमाता है?

इसके तो अनेक उपाय है इसके पास. मिसालके तौर पर नंबरवनकी गलतीयांको के कारण मिली विफलताओंके लिये विपक्षको यातो विरोधीयों को जिम्मेवार ठहेरानेका  और उसके लिये प्रचार माध्यमोंका सहारा लेनेका. ताकि जनताको लगे कि दोष तो नहेरुवीयन कोंग्रेस पक्षके नंबरवनका नहीं, लेकिन उसके विरोधीयोंका है.

लेकिन शासककी विफलताओंको विरोधीयोंकी विफलता कैसे प्रस्थापित कर सकते हैं?

प्रसार मध्यमों द्वारा और वितंडावाद पैदा करके ऐसा काम किया जा सकता है.

लेकिन आम जनता तो ऐसी निरक्षर और अनपढ है वह कैसे शब्दोंके जालवाली विवादकी भाषा समझ पायेगी?

पंजेने और उसके साथीयोंने इसलिये तो आमजनताको निरक्षर और अनपढ रखा है. यह व्यायाम तो पंजा अपने शासनके ६० सालसे लगातार करता आया है ताकि आमजनता कुछ समझ न सके. पंजा आम जनता को भ्रममें रखके और उन सब निरक्षर और अनपढ को हमेशा प्रचार माध्यमों द्वारा गुमराह करता है.

लेकिन यह निरक्षर और अनपढमें फर्क क्या है?

निरक्षर वह है जो गरीब होने के कारण स्कुलमें जा नहीं सकता और इसलिये कुछ भी पढनेके काबिल नहीं है. और अनपढ वह है जो गरीब होनेकी वजहसे मझदुरी करनेमें ही व्यस्त रहेता है और इसलिये वह ग्यानकी पुस्तके पढ नहीं सकता. इसलिये वह सच्ची बात समझनेमें कमजोर रहता है, और पंजा उसे उल्लु बना सकता है.

लेकिन जो लोग पढे लिखे है वह इनको सच्ची बात बता देंगे तो?

क्या तुम बुद्धु हो? तुम्हें मालुम नहीं कि ऐसे पढे लिखे और मध्यम वर्गके भी कइ लोग लालची और भ्रष्ट होते है. उनको ये वोटके सौदागर खरीद सकते है. तुम्हे मालुम तो है कि सबसे ज्यादा धनिक पक्ष यह नहेरुवीयन कोंग्रेस पक्ष तो है.

लेकिन यह पंजे के साथ मतलब कि नहेरुवंशीय कोंग्रेसके साथ और कौन कौन हैऔर वॉटकी राजनीति क्या है?

नहेरुवंशीय कोंग्रेसने देश उपर निरपेक्ष बहुमतसे तीन दशक तक शासन किया. अगर वह चाहतातो देशमें चमत्कार भी कर सकता था. युरोपीय देश तो द्वीतीय विश्वयुद्धमें पायमाल हो गये थे, तो भी उंचा उठ गये. हमारा देश उनसे भी उंचा उठ सकता था. कमसे कम गरीबी हठ सकती थी और रोटी कपडा मकान और काम तो सबको मील सकता ही था. लेकिन इन लोगोंने ऐसा कुछ किया ही नहीं. अपने ही जेब भरे और अपने वालोंको फोरेनकी बेंकोंमें बेकायदा अकाउन्ट में अरबों रुपये जमा किये और सदस्यों की वेतन और पेन्शन बढाने लगे. आज देशमें ४० करोडकी आबादीकी महिनेकी आय ५०० रुपये से कम है और ये संसदके सदस्यका मासिक वेतन एक लाख के करिब है. सब भत्ता मिलाके ढाई लाखके उपर जाता है. और फोरेनकीं जमा राशी और अपने धंधेकी आय तो अलग.

मतलब कि, इनको तो चांदी ही चांदी है. अरे चांदी चंदी क्या. सोना ही सोना…. और प्लेटीनम ही प्लेटीनम है. तो ये वोटकी राजनीति क्या है?

वॉटकी राजनीति आमजनताको एक दूसरेके साथ टकरानेकी और फिसाद करवानेकी है.

ये टकराव कैसे होता है?

ये टकराव धर्मके नाम पर, जातिके नामपर, विस्तारके नाम पर, भाषाके नामपर संप्रदायके नाम पर जनता को आपसमें टकराओ. और अपना उल्लु सीधा करो.

पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेस यह सब कैसे करती है?

यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशी कोंग्रेस मुसलमानोंको कहती है,  तुम खतरेमें हो. तुम्हारी सभी मस्जीदे खतरेमें हैं. तुम्हारा धर्म खतरेमें है. तुम्हे हम रिययतें देंगे. तुम्हारे धर्म की रक्षा हम ही कर पायेंगे. हम तुम्हें अनेकानेक पत्नी करनेकी छूट देगे. फलां फलां लोग तो कट्टरवादी है. वे तुम्हे अनेकानेक पत्नीयां करनेकी छूट्टी नहीं देंगे. आगे चलकर न जाने क्या क्या तुम पर अत्याचार करेंगे. तुम तो उससे दूर ही रहो.

लेकिन अगर मुसलमान ये पंजे को पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसको यह कहेगा कि हम तो पहेले भी गरीब थे और आज भी गरीब है. तुमने हमारे लिये कुछ किया नहीं है.  तो यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशी कोंग्रेस ये मुसलमान भाईयोंको क्या कहेगी?

 अरे बुद्धु यह पंजापंजा मतलबकी नहेरुवंशीकोंग्रेस इन मुस्लिमभाइओं को कहेगी  किहमारे कारण तो तुम अभी जिन्दा हो. अगर हम नहीं होते तो ये लोग को तुम्हे तलके खा जाते.

लेकिन भैया १९७७ से १९७९ में जनता पार्टीका शासन था. बीचमें दो तीन साल जनतादलका शासन था, १९९९ से २००४ तक भी ये पंजेका,  पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसका शासन नहीं थाउस समय तो मुस्लिमभाइओंको तो कोइ हानी नहीं हुई. उसका क्या?

अरे भैया मुसलमान भाई भी तो गरीब होते है. उनको भी तो अनपढ और गंवार रखे है. गरीब अनपढ थोडे सवाल कर सकते है?

लेकिन जो पढे लिखे मुस्लिम होते है वे तो ऐसे सवाल कर सकते है ने?

अरे भाइ बुद्धु, जैसे अखबारको खरीदा जाता है, वैसे पैसेवाले को भी लालच दे जा सकती है. ऐसे सवाल अगर करते भी है तो उसको छपा नहीं जाता. ऐसे मुस्लिम नेताओंको, पंजापंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेस सम्हाल लेता है. और यह पंजा, पंजा मतलब की नहेरुवंशीय कोंग्रेस उनको कहेती है देखो हम कैसा इन कट्टर वादीयों के खिलाफ बोलते ही रहते है. हम उन्हे क्या क्या नहीं कहते! हम उन्हे सरसे पांव तक भ्रष्ट ऐसा कहते है. हम उनको आतंकवादि कहते हैं, हम उन्हे अलगतावादि कहते है, हम उन्हे मुडीवादीयोंके पीठ्ठु कहेते हैं, हम उन्हे देशको बरबाद करने वाले कहते हैं, हम उन्हे सफ्रोनवादी और सफ्रोनके साथी कहते हैं, हम उन्हें तुम गरीबोंके दुश्मन कहते हैं. हम उनको मौतके सौदागर कहते हैं. ये सब हम तुम्हारे लिये सिर्फ तुम्हारे लिये करते है.

लेकिन यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसअन्य जनता को कैसे विभाजीत करता है?

यह पंजा,पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसग्रामवासीयोंको कहेगी कि ये शहरवाले सब पैसे वाले है. वे तुम्हे लुटते आये है. शहरमें बडे बडे उद्योगपति होते हैवे तुम्हारा उत्पादन सस्तेमें ले लेते है. और खुदका किया हुआ उत्पादन तुम्हे महंगेमे बेचते है. तुम्हारे भाइ लोग जो शहरमें नौकरी के लिये जाते है उनको भी कम वेतन देके शोषण करते हैं. हम उसके उपर कार्यवाही करते है तो वे लोग न्यायालय में चले जाते हैं और तुम्हे मालुम तो है कि, न्यायालयमें जब मामला चला जाता है तो हालत क्या होती है! हम खुद न्यायालयसे परेशान है. लेकिन हमने ठान रखी है कि हम सबको सीधा कर देंगे. तुम हमे वॉट दो. हम सबमें सुधार लायेंगे.

लेकिन न्याय व्यवस्था और सब नीति नियम तो यह पंजेने पंजा मतलबकी नहेरुवंशीयकोंग्रेसने अपने साठ सालके शासन दरम्यान ही बनाये है. तो उन्होने ये साठ साल दरम्यान फेरफार क्यों नहीं किया ऐसा अगर ग्रामीण जनता प्रश्न करेगी तो यह पंजा क्या जवाब देगा?

अरे भाई ऐसा सवाल तो शहरकी गरीब जनता भी कर सकती है !!. लेकिन गरीब जनता सवाल थोडा कर सकती है? सवाल करनेवालेका जेब गरम करके, या लालच देके या कुछ सौगाद देके या तो बाहुबली की उपस्थितिमें कोई सवाल थोडा कर सकता है?

बाहुबली तो सवाल कर सकता है न!!

अरे बुद्धु, बाहु बली तो पंजेका साथी भी तो होता है.

अगर बाहुबलीकी गैर मौजुदगीमें ऐसा सवाल कर दीया तो?

अरे भाई जब जेब गरम करदी हो या थोडी और ज्यादा पीला दी हो तो कोइ भला क्या सवाल कर सकता है!!.

अच्छा तो यह तो बात हुई ग्राम्यजनता और शहरकी जनताका टकराव करवने की. और कौनसे टकराव है?

अरे भाई सबसे बडा टकराव तो जाति भेदका है.

वह क्या है?

ठाकुर, पंडित, लाला और जटको लडाओ.

वह कैसे?

यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसठाकुरको बोलेगा कि तुम तो राजा हो. तुम्हारा तो शासन होना ही चाहिये. वो पंडित हुआ तो क्या हुआ. उसको कहो पाठशाला चलावे. देखो हमने तुम्हारी जातिका ही उम्मिदवार रख्खा है. उसको ही वोट देना है. ये पंडित, लाला और जट तो कोई कामके नहीं

यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसपंडितको बोलेगा कि, अरे पंडितजी देखो यह नहेरु जी भी तो पंडित है. हमने पंडितोंका हमेशा आदर और खयाल रखा है. उनको हमेशा नंबरवन दिया हुआ है. आप पंडितोंकी तो बनी बनाई पार्टी है. हम पंजे, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेस वाले तो आपके शरणमें है. आपको ही हमे डूबोना है या तारना है.

यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसये लाला मतलब बनीयाको ऐसा बोलेगीअरे भाई लालाजीहमने आपका हमेशा खयाल किया है. हमारे शासनकी वजहसे ही आप दिन दुगुने और रात चौगुने बढे है. हम तो चाहते है आप और ज्यादा कमाओ. आप ही जो है वो दया धरम करम करते है. आपसे तो धरती टीकी हुई है. और देखो महात्मा गांधी तो बनीया ही तो थे. उनका हम कितना आदर करते है. जितना हम जवाहरलाल और ईन्द्रा का नाम नहीं लेते उतना हम महात्मा गांधीका नाम लेते हैं. समय समय पर मौका मिलने पर उनकी तस्विर भी लगाते है. ये पंडित और ठाकुर तो ईतने कामके कहां? लेकिन क्या करे कभी गधेको भी बाप बनाना पडता है.

यह पंजा, यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेस जाट को ऐसा बोलेगी, अरे भाई जट. तुम तो जगतका बाप हो. तुम जब धान पकाते हो तो यह सारी दुनिया खाना खा सकती है. तुम जगतके तात होते हुए भी आज तुम्हे लालाके सामने हाथ फैलाना पडता है. पहेले के जमानेमें तो ये लाला और ठाकुरने तुम पर क्या क्या अत्याचार नहीं किये? तुम तो ठीक तरहसे याद भी नहीं कर सकते हो. परंतु हमे तो सब कुछ याद है. हम भूलाकर भी नहीं भूला सकते. ये तो तुम्ही हो जो ईतना सहन करने पर भी उन सबको अन्नपूर्णा की तरह खाना खिला रहे हो. देखो, यह वल्लभभाइ पटेल भी तो जट थे. लेकिन अगर वल्लभभाई पटेल न होते तो देशका क्या हाल होता.!!  लेकिन ये पंडित और ठाकुर लोग उनसे कितने जलते थे. अब ये बात तो पूरानी हो गयी. तुम तो भूल भी गये हो .  लेकिन चरण सिंग को भी बादमें लगा कि किसानोंका आदर तो हमारा पंजा पक्ष,  पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेस पक्ष ही कर सकता है. और उनका सुपुत्र आज हम पंजेको, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसमें ही शोभायमान है. हमने तुम्हे कितनी रीयायतें दी हैंतुम इसकी गिनती भी नहीं कर सकते. लेकिन तुम्हारी सब रीयायतें ये सब लाला वेपारी लोग और बाबु लोग चाउं कर जाते है. हमारे तुम्हे दुये हुए हर सौ पैसेमेंसे ये लोग ९५ पैसे खा जाते है. हम अब बहुत कडक होने वाले है. हमारा यह द्रढ संकल्प है. और हम हमारे संकल्पमें वचन बद्ध है. हम हमारे सभी संकल्प पूरा करनेमें मानते है. और किया भी है. हमने वादा किया और बैंकोका राष्ट्रीय करण कियाहमने वादा किया ठाकुरोंका सालियाणा बंद किया. ठाकुरोंको मूंहकी खिलाई. 

लेकिन भैया, पंजेने यह पंजा, पंजा मतलबकी नहेरुवंशीय कोंग्रेसने ऐसा तो कोई वादा उस वख्त किया नहीं था  कि, वह बेंकोका राष्ट्रीयकरण करेगी और ठाकुरोंका सालियाणा बंद करेगी. 

अरे बुद्धु उस समयके कई लोग और नेतागण तो मर भी गये. और किसकों सबको सबकुछ याद रहता है. अगर कोई बोलेगा तो हब कहेंगे वह जुठ बोलता है. और सियासत करता है. ऐसे लोग सिर्फ सियासत करनेमें ही माहीर है. उनको जनता की कहां पडी हैये तो हम है कि गरीबोंके लिये मर मीटते हैं. हमने देखो तुम लोगोंको फसलकी अच्छी किमत मिले ईसलिये वॉलमार्ट जैसी कंपनीयांको ला रहे थे लेकिन ये विपक्षी लोगोंने ठान ली थी कि उसको आने देना ही नहीं है. तुम्हे फसल की अच्छी किमत मीले तो ये लोगोंको जलन होती है. तुम उनको पहेचान लो.

और भैयाये पंजे वाले पंजे वाले मतलब कि नहेरुवीयन कोंग्रेस वाले दलित लोंगो को क्या कहेंगे?

अरे बुध्धु दलितोंको बहेकाने नेके लिये तो उनके पास कुबेरका भंडार है. यह पंजा, पंजा मतलब नहेरुवंशी कोंग्रेस पक्ष उनको कहेगा; हे दलित भाइओ, ये आप अति पीडितजनसमाज है. ये तिलक तीराजु और तल्वारने आपके उपर हजारों सालसे अत्याचार गुजारे है. आपके साथ इन्होनें पशुसे भी ज्यादा अत्याचार किया है. ये लोग आपको पशुसे भी तूच्छ समझते थे और अभी भी समझ रहे है. ये लोगका पूरा साहित्य आपके उपर किये अत्याचारोंसे भरपूर है. वह द्रोण जीसको ये लोग आचार्य कहेते है उसने एक लव्यका कैसा हाल किया था? अरे उसको तो जाने दो, राम जैसे राम जो इन लोगोंके भगवान है उसने शंबूक जो आपके जातिका था उसका खामोंखा शिरच्छेद किया था. और सूपर्णखा जिसने सिर्फ मेरेजके लिये राम और लक्ष्मण को प्रपोझ किया तो उसके नाक कान काट दिये थे. ऐसे तो कई अनगिनत अपराध इन लोगोंने किये है. आप ने सब कुछ सह लिया. दूर की बात जाने दो. बाबा साहेब आम्बेडकर जो पढेलिखे थे तो भी उनके उपर घोर अत्याचार किये थे. अगर उनके उपर किये गये अत्याचारोंके बारे में लिखा जाय तो एक महाभारतके समान दलदार पुस्तक बन सकती है. और आप देखो. हमारी इन्दीरागांधीने उनके बोलने पर सेन्सरशीप डाली और कुछ नेताओंको इमर्जेन्सीमें १८मास जेलमें रखा तो मानो कि, आभ तूट पडा ऐसी हवा चलाई. आपके उपर तो इन लोगोंने हजारो सालकी इमर्जेन्सी चलाई थी तो भी कानमें जू तक रेंगी नहीं थी. और हमने जब आपके लिये आरक्षण की बात चलाइ तो ये लोग चील्लाने लगे. हम पंजे वाले,  पंजेवाले मतलब नहेरुवंशी कोंग्रेस पक्ष, आपको उंचा उठानेके लिये वचन बद्ध है. दूनियाकी कोई भी ताकत हमे इसमेंसे रोक नहीं सकती. चाहे हमें अपनी जान भी क्यों न देनी पडे हम आपको उंचा उठाके ही रहेंगे हम तुम्हारी औरतको भी उंचा उठायेंगे.मतलब कि  हें हें हें . और देखो, ये मायवती ने दलित होते हुए भी आपके लिये क्या किया? कुछ नहीं. खुदने पांच सौ रुपयेकी नोटेंका हार पहना और खुदके बूत लगाये. आपको कभी एक भी नोट मीली? नहीं न!! वह तो खुद के लिये और सत्ताके लिये काम करती है. आप तो पहेले भी गरीब और पीछडे हुए थे आज भी वैसे ही है.

लेकिन भैया, आपने जो कुछभी बूरा बूरा पंडित, ठाकुर लाला और जट के बारेमें कहा वह सब तो ये पंजेको ही लागु पडता है, तो ये सब बाते दलित वर्ग मानेगा कैसे? एक दो प्रधान मंत्री को छोडके सभी प्रधान मंत्री युपीमेंसे ही तो आये थे और वे सभी ये पंजेवाले मतलब कि नहेरुवंशी कोंग्रेसके यातो उनसे मिले हुए पक्ष वाले थे, उन्होने क्या किया? ऐसा अगर कोई सवाल करेगा तो ये पंजा, पंजा यानी कि, नहेरुवंशीय कोंग्रेस पक्ष वाले क्या जवाब देगा और युपीमें इस पक्षने ही तो कमसे कम तीस साल तक एक चक्री शासन किया हैतो भी आज इन्हीका फरजंद युपीकी जनता को भीखमंगी कहेता है ऐसा क्यों?

अरे भाई, यह पंजा, पंजा यानी कि, नहेरुवंशी कोंग्रेस इस सबमें माहिर है. सवाल करनेवाला कैसा है उसके अनुसार ये पंजेकी क्रिया होती है. समाचार प्रसारणवाले तो यानी कि, प्रसार माध्यमवाले तो ऐसा सवाल करेंगे ही नहीं, क्यों कि, वे तो डरपोक है. इमर्जेन्सीमें देखा ही था न कि जब उनको नमन करने का बोला तो वे लोग ये पंजेके पैरमें साष्टांग दंडवत प्रणाम करने लगे थे. और इस समय तो ये लोग बिकनेके काबिल है. इसलिये यह पंजेको उसका तो डर ही नहीं है. जो व्यक्ति या लोकसेवक शूरवीर बनके ये पंजेकी पंजेकी मतलब नहेरुवंशी कोंग्रेस पार्टीकी या उसके नंबरवन को सवाल जवाबमें फंसाने की कोशिस करेगा उनके पीछे गुप्तचर लग जायेंगे और उनके उपर धमकीयों के अलावा जांचपडताल और फरजी मामले दर्ज हो जायेंगे. मालुम नहीं है वीपी सिंग के उपर फर्जी सेंट कीट की बेंकमें एकाउन्ट होनेका मामला दर्ज हुआ था! बाबा रामदेव के उपर भी कई मामले दर्ज हो गये है. रामलिला मैदानमें सोती हुई जनताके उपर लाठीमार हुआ था और एक औरतकी मौत तक इस मारमें हुइ थी. बाबा रामदेवको लगा कि जान बची तो देशके लिये आगे कुछ भी कर सकते है. तो जान बचाने के लिये उनको भागना पडा. ये पंजा जान भी ले सकता है. देशमें ऐसि कई राजकीय मौत हुई है जिसका आजतक पता नहीं. और ये पंजेवाले पक्षने अन्ना हजारेको भी नहीं बक्षा है. उनको भी यह पंजा कहता है कि अन्ना हजारे सरसे लेकर पांव तक भ्रष्टा चारमें डूबे हुए है.

लेकिन भैया ये आरएसएस क्या है. और उसका नाम ये पंजा बारबार क्योंलेता है?

ये आरएसएसवाले लोग वैसे तो देशप्रेमी है. किन्तु उनमेंसे कुछ लोग वैचारिक तरिकेमें अधुरे है. और उनलोंगोंमें अधिरता है. कुछ लोग मंदिर और संस्कृति की रक्षाके बारेमें ना समझीकी बाते करते है. यह पंजा, पंजा यानी कि, नहेरुवंशी कोंग्रेस पार्टी के नेता गुप्त तरिकोंसे इन आरएसएस वाले कुछ नेताओंको बेवकुफ बनानेके लिये उकसाता है और गुप्त व्यवहारसे उनको सूचना करता है कि तुम कुछ बोलो. नहीं तो ये तुम्हारे साथी कोई राजकीय दबाव न होने पर कुछ भी नहीं करेंगे. देखो वैसे तो हम भी तो हिन्दु ही है. और हमारे समयमे ही मंदिर के द्वार खुले थे. और हमारे समयमें ही मस्जीद तोडी गई थी. उसका मतलब तुम लोग समझ सकते हो. ये मुस्लिमों को अगर ऐसा लगेगा कि वे यहा सुरक्षित है तो वे लोग और घुसपैठ करेंगे इसलिये तुम्हे तो मुस्लिम और इस्लामके विरुद्ध लिखते ही रहेना है. अगर तुम लिखते नहीं रहोगे तो तुम और क्या करोगे? जनता को पता कैसे चलेगा कि तुम लोग राष्ट्रभक्त हो? जब तुम मुस्लिम और इस्लामके खिलाफ बोलोगे और लिखोगे तभी तो जनता को पता चलेगा कि तुम लोग राष्ट्र भक्त हो. तुम्हे महात्मा गांधीके खिलाफ भी लिखना ही चाहिये. आखर तुम्ही तो अखंड भारतके दृष्टा हो. हम तो कुछ ऐसा लिख नहीं सकते. तुम लिख सकते हो क्योंकि तुम लोग तो पढे लिखे हो और विद्वान हो. तुम ये भी बात चलाओ कि नहेरु को प्रधान मंत्री किया और वल्लभ भाइ पटेलको नहीं किया ये महात्मा गांधीका घोर अपराध था. और देश उसको कभी माफ नहीं कर सकता. क्योंकि उसका फल देश आज भी भूगत रहा है. मैं वैसे तो पंजे वाला हूं लेकिन मैं क्या करुं मेरी तो मजबुरी है. जब हमारे पक्षके प्रधान मंत्री खुद मजबुर हो सकते है तो मैं और मेरे जैसे तो पहेलेसे ही मजबुर होते है.

लेकिन भैया कोई ऐसा सवाल करेगा कि सरदार पटेलने नहेरुको चीनकी विस्तारवादी नीतिके बारेमें सचेत किया था, और नहेरुने उसकी अनदेखी कि थी, इतना ही तीबेटके उपर चीन के आक्रमण किया तो नहेरुने क्यों तीबेट को मदद नहीं कि? और नहेरु सरकारने तीबेटके उपर चीनका सार्वभौमत्व क्यों मान्य किया था? और चीन की घुसपैठको भी क्यों अनदेखी कि थी? इसके बारेमें संसदको क्यों गुमराह किया था? और चीन के साथ की सरहद को क्यों अरक्षित रखी थी? और इन सब की वजहसे तो चीनने भारतपर आसानीसे विजय पायी थी. आज हमारी ६२००० वर्ग माईल जमीन चीनके कब्जेमें है. नहेरुने तो उस समय प्रण लिया था कि उसका पक्ष मा भारतकी उस धरतीको वापस लिये बीना चैनसे बैठेगा नहीं. उस प्रणको निभानेके लिये पंजेने क्या किया? हमारे जवानोने जो पाकिस्तान पर विजय दिलायी थी उस विजयको इन्दीरा ने भूट्टोके साथ सिमला करार करके पराजयमें पलट दी थी और काश्मिर समस्या सुलझानेका खुबसुरत मौका गवा दीया था जिसके कारण आज तक भारत परेशान है,  ईन्दीराने खालीस्तानी लीडर भींदरानवालेको सन्त घोषित किया और उसने पाकिस्तानका सहारा लेके आतंकवाद फैलाया था और खुल्लेआम स्वर्णमंदिरपर कबजा कर लिया था, खालिस्तानी आतंक वीपी सिंग और चंद्र शेखर तक चला था और इस दरम्यान पाकिस्तानी आतंकवादीयोंको नेटवर्क बीछानेका मौका मील गया.  और हम पाकिस्तानी आतंकसे आज तक परेशान है. ये सब बातें छोड के ये आरएसएसवाले महात्मागांधी पर क्यों उबलेंगे और लिखेंगे?

 अरे बुद्धु ऐसी बाते लिखनेका तो पंजेवाले यानी कि, नहेरुवंशी कोंग्रेस उसे पैसे दिलायेगी. अगर वे ईन्दीरा गांधी और नहेरुके खिलाफ कुछ भी लिखेंगे तो यह पंजा कुछ भी कर सकता है. प्रसारमाध्यमोंसे और पंजेवाले पीठ्ठुओंसे गालीयोंकी भोंछार कर सकता है. महात्मा गांधीके अनुयायी तो बेचारे अहिंसक होते है. वे तो कुछ बोलेंगे भी नहीं.

लेकिन भाई साब इससे पंजेको क्या फायदा होगा?

अरे बुद्धु, जो गांधीजी के उपर आदर रखते है उनको लगेगा कि, ये आरएसेस वाले तो बेवकुफ है तो उसको आदर करने वाला पक्ष भी बेवकुफ ही हो सकता है. चलो किसीको ही वॉट नहीं देंगे. इस प्रकार जो पंजेके विरोधमें है उनकी लो-वोटींग होगी. दूसरी तरफ अल्पजन संख्यकों को डराया है तो उनकी हेवी वोटींग होगी. तो फायदा तो पंजेवाला का यानी कि, नहेरुवंशी कोंग्रेसको ही है न. समझेने तुम अभी?

हां भैया तुम्हारी बात तो सही है. लेकिन दुसरा ये पंजेवाले क्या कर सकते है?

देखो ये जो प्रसारमाध्यमके संचालक और अखबारों के तंत्री और कटार लेखकों उन सबको बोलेगा कि, तुम ऐसे विषय खोज निकालो कि जनताका ध्यान हमारे काले कामोंसे हट कर दूसरे विषयों पर चला जाय.

 

तूम ऐसा करो;

 

अन्ना हजारे गांधीवादी है या नहीं? अगर वे गांधीवादी है तो कितना है? और कितना नहीं है? इन सब पर बुद्धि जीवीयोंकी सरफोडी चलाओ.

 

अन्ना कितना विफल रहे? अन्ना ने तो महाराष्ट्रके बाहर कुछ किया ही नहीं है. उनको देशके प्रश्नोंका क्या पता, वे तो ज्यादा पढे लिखे भी नहीं है,

 

अन्नाके साथी लोग के बारेमें अफवाहें फैलाओ. उनके साथीयों के बारेमें बालकी खाल निकालो. उसमें फूट पाडो. फूट नहीं पडती है तो भी लिखोके फूट पडी है. उनके निवेदनोंको तोड मरोडके लिखो. उनके पीछे सीबीआइ लगा दो.

 

बाबा राम देवके बारेमें और उसके दवाइ और योगके बारेमें अफवाहें फैलाओ. वे रामलीला मैदानसे डरकर भाग गये उसको बढा चढाके बार बार लिखो, बाबा राम देवके साम्राज्य के बारेमें लिखो और उसमें घोटाले ही घोटले ऐसा लिखो. है नहीं है तो भी घोटाले है ऐसी हवा फैलाओ. उसके उपर जांच बैठाओ. जैसे हमने मोरारजी देसाई और वीपी सिंगके बारेमें किया था उससे भी बढकर इनलोंगोंके बारेमें करो.

 

अगर समय है तो राम मंदिर के बारेमें चर्चा करो और चर्चा चलाओ. वीएचपी और बजरंगदल के लिडरोंको उकसाओ और नहीं उकसते है तो उनकी टीका करो. कोई न कोई माई का लाल तो मिल ही जायेगा जो राम मंदिर ही नहीं लेकिन ताजमहालके बारेमें भी मुसलमानोंके खिलाफ लिखने वाला होगा. उतना ही नहीं मुसलमानोंने क्या क्या अत्याचार हिन्दुओंके उपर किये थेऔसके उपर अलगसे लेख लिखवाओ और उसको बहेकाओ. ये आरएसएसवालोंमेंसे कई लोग तो ऐसा लिखने के लिये आतुर होते हैं.

 

लेकिन भैया, इससे क्या होगा?

 

अरे बुद्धु, ऐसा लिखने से मुस्लिमोंको लगेगा कि ये सभी हिन्दु धर्मके बारेमें सोचने वाले ही है. और अगर इनका शासन आया तो हम लोग तो कहींके भी नहीं रहेंगे. ये लोग जरुर बदला लेंगे. हमें तो ये पंजे के शरणमें ही जाना चाहिये.

 

तो भैया, पंजा, पंजा मतलब नहेरुवंशी कोंग्रेस इस तरह, विखवाद और विभाजनकी अफवाहों के जरिये देशकी जनताको विभाजित करनेका कलुशित काम कर रही है और काला-लाल-धन विदेशोंमे जमा करवा रही है, आतंक वादको हवा दे रही है यही ना?

 

हां बुद्धु हां,इसिलिये मैं कहेता हुं कि इस वॉटबैंक की और काला-लाल धनकी राजनीति पैदा करने वाले और चालाने वाले पंजेसे देशको बचाओ.

समझो, आज कोंग्रेस और उसके सहयोगी शासित सभी राज्य सबसे पीछडे हुए है. इसका कारण पंजे की और उनके सहयोगी पक्षोंकी वोट की राजनीति ही है. हमारे देशके पास क्या कुछ नहीं है?

उज्वल इतिहास, विद्वत्ता पूर्ण साहित्य  और मांधाता, राम, कष्ण, चंद्रगुप्त मौर्य, विक्रमादित्य, हर्ष जैसोंकी धरोहर है. अगत्स्य, वशिष्ठ, व्यासकौटिल्य, बुद्ध, शंकराचार्य, विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, जैसे विद्वानोंकी परंपरा है, विशाल और उच्च हिमालय, विशाल समूद्र तट, अफाट रण प्रदेश, विस्तृत और गाढ वनप्रदेश क्या क्या नहीं है हमारे पास? विशाल मानव साधन को क्या हम उर्जा श्रोत और धरतीको नवसाध्य करनेमें नहीं लगा सकते? लगा सकते हैं जरुर लगा सकते हैं. लेकिन पंजेने साठ सालमें यह सब क्युं नहीं किया? उनके ही सभी प्रधान मंत्री थे तो भी हमारा राज्य और हमारा देश क्यों गरीब, बेकार और पिछडा रहा? इसलिये कि यह पंजा यही चाहता था कि, गरीब गरीब ही रहे और अनपढ अनपढ ही रहे तो वे खुद और उसके अपन वाले विदेशोंमें काला-लाल धन अवैध  तरिकोंसे धन जमा कर सके और चूनाव के समय पर वोटोंकी राजनीति कर सके.    

शिरीष दवे

 

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