Posts Tagged ‘पालघर’
सुओ मोटो? काहेका सुओ मोटो?
Posted in Uncategorized, tagged अर्बन नक्षल, अल्पसंख्यक, असहिष्णु, आतंकवादीका मानवाधिकार, आदित्य नाथ योगी, आनंद प्रिय, औरतों पर दुष्कर्म, कर्णयुग्म, कश्मिर, काहेका सुओ मोटो, गुण्डोंका जाल, दिमाग नहीं लगाना, दुष्कर्म, देश द्रोही, धर्म निरपेक्ष, नियम चाहिये, निर्मम हत्या, निवृत्त मुख्य न्यायाधीश, परिभाषा हम्प्टी डम्प्टी, पालघर, प्रच्छन्न दबाव, फर्जी सेक्युलर, बडे बडे वकील, बहुमत, बहुसंख्यक, बुर्ज़वा जैसे थे वादी, भू माफिया, भ्रातृभाव के गुणोंसे लिप्त, मारकर मिटानेवाले, युपीका संस्कार, लव धाय नेबर, लीबरल, लुट्येन गेंग्ज़, वंशवादी पक्ष, वकिलकी प्रज्ञा, वयोवृद्ध संत, शांति प्रिय, शासक पक्ष, श्वानोंकी तरह, संयुक्त राष्ट्र संघ, सुओ मोटो, हम टीवी नहीं देखते, हमसे प्रमाणित, हमारा प्रिय समुदाय, ५ प्रतिशत, ९५ प्रतिशत on October 25, 2020| Leave a Comment »
रामदास आठवलेको पदच्यूत करो
Posted in Social Issues, tagged अफवाह, अफवाहें फैलाना, अमित शाह, असहिष्णु, अस्थिरता पैदा करना, आंतरिकव्यवहार, आत्महत्या, एकाधिकारवादी, एन.सी.पी.का विधान सभाका नेता, एनसी.पी., एस.सेना, कथन, कार्यवाही, केन्द्र सरकारके आदेशसे विरुद्ध, कोंगीयोंने प्रारंभ किया, कोमवादी मानसिकताका द्योतक, कोरोना महामारी, कोरोना संक्रमित, गठबंधनके साथी, गुन्डागर्दीकेआदी, घटनाकोकमजोर, जनप्रतिनिधि, जूठ बोलना, दाउद गेंग, दायाँ हाथ, नरेन्द्र मोदी, पालघर, पूर्वग्रहसे भरपूर, प्रणाली, प्रतिशोध वादी, प्रश्न उठे, बांद्रा रेल्वे स्टेशन पश्चिम की मस्जिदके पास, बायां हाथ, बीजेपीका प्रवक्ता प्रवक्ता से अधिक, मंत्रीमंडल, मेल मिलाप, राजनाथ सिंह, रामदास आठवले, वंशवादी, विश्वास घात, व्यक्तिगत मन्तव्य, शरद पवार, संतोकी हत्या, सशस्त्र पूलिस, हक्क on September 29, 2020| Leave a Comment »
रामदास आठवलेको पदच्यूत करो
रामदास आठवले कौन है?
क्या वह बीजेपीका प्रवक्ता है?
रामदास आठवले बीजेपीका प्रवक्ता नहीं है, लेकिन उससे भी अधिक है.
रामदास आठवले, मोदी के मंत्रीमंडलका एक मंत्री है.
जनतंत्रमें कोई भी मंत्रीका कथन, सरकारका कथन माना जाता है. मंत्रीका व्यक्तिगत मन्तव्य हो ही नहीं नही सकता.
“यह मेरा व्यक्तिगत मन्तव्य है”
“यह मेरा व्यक्तिगत मन्तव्य है” ऐसे कथनकी प्रणालीका प्रारंभ कोंगीयोंने किया है.
वास्तवमें यदि कोई सामान्य सदस्य, आठवले जैसा बोले और साथ साथमें यह भी बोले कि यह मेरा व्यक्तिगत कथन है, तो भी वह अयोग्य है. क्यों कि उसको चाहिये कि, वह, अपना व्यक्तिगत अभिप्राय अपने पक्षकी आम सभामें प्रगट करें. ऐसा करना ही उसका हक्क बनता है. या तो अपने सदस्य-मित्रमंडलमें अप्रगट रुपसे प्रगट करनेका हक्क है. पक्षके कोई ही सदस्यको, और खास करके आठवले जैसे मंत्रीमंडलके सदस्यको खुले आम बोलना जनतंत्रके अनुरुप नहीं है.
रामदास आठवलेने क्या कहा?
रामदास आठवलेने कहा कि यदि एस.सेनाको अपने गठबंधनके साथीयोंसे मेल मिलाप नहीं है तो वह पुनः बीजेपीके गठबंधनमें आ सकता है. शरद पवारके पक्षको भी बीजेपीके गठबंधनमें आनेका आमंत्रण है.
रामदास आठवलेको ऐसी स्वतंत्रता किसने दी?
रामदास आठवले जैसे बीजेपी के सदस्यको मंत्रीपद देना ही नरेन्द्र मोदीकी क्षति है. इस क्षतिको सुधारना ही पडेगा. रामदास आठवले जैसे सदस्य के कारण ही बीजेपीको नुकशान होता है.
यदि नरेन्द्र मोदी और उसकी सरकार समज़ती है कि “सियासतमें सबकुछ चलता है” तो यह सही नहीं है. एनसीपी और एस.सेनासे गठबंधन करना बीजेपीके लिये आत्म हत्या सिद्ध होगा.
क्यों आत्म हत्या सिद्ध होगा?
महाराष्ट्र के चूनावके परिणाम घोषित होनेके बाद एनसीपीके विधानसभाके नेताने ही बीजेपीका विश्वासघात किया है. इस घटना को बीजेपीको भूलना नहीं चाहिये.
इसके अतिरिक्त एन.सी.पी.का आतंरिक व्यवहार और संस्कार ऐसा ही रहा है जो गद्दारीसे कम नही है. एन.सी.पी.को दाउद गेंगका दायाँ हाथ माना जाता है. यह खुला गर्भित सत्य है.
बांद्रके रेल्वे स्टेशनके पासकी मस्जिदकी घटना
एन.सी.पी. महाराष्ट्रने बांदरा रेल्वे स्टेशन (पश्चिम) के पास मस्जिदके सामने हिन्दीभाषीयोंको जानबुज़ कर इकठ्ठा किया था. एनसीपी द्वारा ऐसा करना केन्द्र सरकारके आदेशका अनादर था. इस घटनाका परिणाम महाराष्ट्र आज भी सहन कर रहा है. कोरोना महामारीसे सबसे अधिक संक्रमित महाराष्ट्र है. यदि ऐसा नहीं होता तो भी एनसीपीका व्यवहार, केन्द्रसरकारके आदेशके विरुद्ध था. एन.सी.पी.का ध्येय “पैसा बनाना”, “केन्द्रकी कार्यवाहीको विफल बनाना” और देशमें अस्थिरता पैदा करना था. यह स्वयंसिद्ध है.
पालघर में हिन्दु संतोकी खुले आम हत्या.
पालघर मे दो हिन्दुसंतोकी और उसके वाहन चालककी हत्या की घटना देख लो. महाराष्ट्रकी सशस्त्र पूलिसोंके सामने हिन्दुविरोधी कोमवादीयोंने इन हिन्दुओंको मार मार के हत्या की. उस समय एन.सी.पी.का एक जनप्रतिनिधि भी मौजुद था. किसीने भी उन हिन्दुओंकी जानबुज़कर सहाय नहीं की. उनका परोक्ष ध्येय था हिन्दु संतोंको सबक सिखाना.
महाराष्ट्रकी सरकारने, अफवाह के नाम पर इस घटनाको कमजोर (डाईल्युट) बना दिया. एन.सी.पी. के जनप्रतिनिधिके उपर भी कोई कार्यवाही नहीं की. महाराष्ट्र की सरकार स्वयं ही कोमवादी है यह बात इससे भी सिद्ध होती है. उतना ही नहीं जब कुछ लोगोंने राज्य सरकारकी कार्यवाही पर प्रश्न किये तो मुख्य मंत्रीने धमकी देना शुरु किया. एन.सी.पी. के शिर्ष नेता स्वयं ऐसी कार्यवाही पर मौन रहे. यह बात भी उनके कोमवादी मानसिकताका द्योतक है.
एन.सी.पी. को, बीजेपी के साथ गठबंधनका आमंत्रण देना एक गदारी ही है. रामदास आठवलेको मंत्रीमंडसे पदच्यूत कर दो.
एस.सेना का पूर्णरुपसे कोंगीकरण हो गया है.
कंगना रणौतके साथ दुर्व्यवहार
कोंगीके हर कुलक्षण, एस.सेनाके नेताओंमें विद्यमान है. वे “जैसे थे वादी है, वे भ्रष्ट है, वे कोमवादी है, वे प्रतिशोध वादी है, वे एकाधिकारवादी है, वे पूर्वग्रहसे भरपूर है, वे वंशवादी है, वे अफवाहें फैलाते है, वे जूठ बोलते है, वे गुन्डागर्दीकेआदी है, वे असहिष्णु है… ऐसा एक कुलक्षण बताओ जो कोंगीमें हो और एस.सेना के नेताओंमें न हो. बांद्रा की घटना, पालघरकीघटना, कंगना रणोतके साथका उनका व्यवहार, कंगना रणोतके घरको तोडनेकी घटना… इन सबमें एन.सी.पीका व्यवहार और एस.सेनाका व्यवहार उनकी मानसिकताको पूर्णरुपसे प्रगट कर देता है.
इन सब घटना और व्यवहारके कारण कोंगी , एन.सी.पी. और एस.सेना दफन होनेवाली है.
कोंगी, एन.सी.पी. और एस. सेना इनको अपनी मौत मरने दो.
बीजेपी केन्द्रीय सरकार इन तीनोंके नेताओंको कभी भी गिरफ्तार करके कारावासमें पहोंचा सकती है.
इन बातोंको भूल कर यदि रामदास आठवले, इनके साथ गठबंधनमें आनेका न्योता देता है तो वह आठवले एक गद्दार से कम नहीं है.
रामदास आठवले को पदसे और सदस्यतासे च्यूत करो. नही तो बीजेपीको बडा नुकशान होनेवाला है.
नरेन्द्र मोदीजी, अमित शाहजी और रजनाथ सिंहजी हमारी आपसे चेतावनी है. दुश्मनों पर लॉ एन्ड ओर्डरका डंडा चलाओ.
शिरीष मोहनलाल दवे
चमत्कृतिः
एकेनापि कुवृक्षेण दह्यमानेन वन्हिना,
दह्यते तद् वनं सर्वं, कुपुत्रेण कुलं यथा
एक खराब वृक्षमें स्थित अग्नि, सारे वनको जला कर नष्ट कर देता है,
ऐसे ही एक कुपुत्र (यहाँ पर समज लो एक पक्षका मानसिकतासे भ्रष्ट नेता रामदास आठवले) बीजेपीको नष्ट कर देगा. कोंगी, एन.सी.पी. और एस.सेना को अपने मौत पर मरने दो. उनका मरना सुनिश्चित है.
क्या इस्लामका सर्वनाश सुनिश्चित हो गया है?
Posted in Social Issues, tagged अनिर्णायकता और अकर्मण्यता के गुलाम, अब्दुल कलाम आज़ाद, अभद्र पोस्टींग, अभिव्यक्ति, अहिंसाके नाम पर कायरता, इस्लाम, कोंगी, कोंगीका शासनकाल, कोंगीने राजधर्म का पालन नहीं किया, कोंगीयोंके सांस्कृतिक साथी, कोंगीयोंको जनता चून चून कर मारेगी, गांधीजीकी भविष्यवाणी, गिरफ्तार, जनतंत्र, जबलपुरमें शिला लिखित, जला दो, तथा कथित, तारेक फतह, दलितकी पोस्टींग, देशका विभाजन, पाकिस्तान नष्ट हो जायेगा, पालघर, पूलिस स्टेशन, प्रेफेट महम्मद, बेंगलुरु, भारतका मुसलमान वफादार नहीं, महात्मा गांधीका उत्तर, मानसिक पतन, मुख्तार अब्बास, मुस्लिम मोब, मुस्लिमोंकी मांगका आधार, लियाकत नहेरु करार, शांतिप्रिय, सन्यासीयोंको मार डाला, सरकार गोली मारेगी, सर्वनाश, सुनियोजित, हमारे हवाले कर दो, हसन निस्सार, हिन्दुओंका संहार, हिन्दुओंकी सुरक्षा on August 16, 2020| Leave a Comment »
क्या इस्लामका सर्वनाश सुनिश्चित हो गया है?
जब भी तथा कथित शांतिप्रिय धर्म, इस्लामके मुसलमानों बहेकावेमें आके देशकी संपत्तिको नुकशान करते हुए हम देखते है तो ऐसा लगता है कोंगीने अपने शासन कालके अंतर्गत इन मुस्लिमोंका किस हद तक पतन किया है!!
यह केवल मुसलमानोंके मानसिक पतनकी समस्या नहीं है. कोंगीयोंके सर्वनाशकी भी यह भविष्यवाणी है.
आश्चर्य इस बातका है कि जिस इस्लामने अब्दुल कलाम आज़ाद, हसन निस्सार, तारेक फतह, मुख्तार अब्बास … ऐसे और कई सारे नेतागण को जन्म दिया उस इस्लामको मानने वाले कैसे इतने निम्नस्तर पर पहूंच गये?
देशका विभाजन के समय
देशके विभाजनके समय भी भारतमें रहेने वाले मुसलमानोंके बारेमें यह प्रश्न उत्पन्न हुआ था.
यदि भारत देशके मुसलमान, भारतको वफादार नहीं रहे तो क्या होगा? इतना ही नहीं, एक प्रश्न यह भी उठा था कि यदि पाकिस्तानस्थित हिन्दुओंकी सुरक्षा पर, पाकिस्तानके मुस्लिम शासकोंने ध्यान नहीं दिया तो क्या होगा?
महात्मा गांधीका उत्तर सुनिये.
(१) यदि पाकिस्तान, अपने व्यवहारमें पाक नहीं रहा तो पाकिस्तान नष्ट हो जायेगा.
(२) यदि भारतका मुसलमान भारतको वफादार नहीं रहा तो सरकार उसको गोली मारेगी.
अहिंसामें माननेवाले और अहिंसामें पूर्ण श्रद्धा रखनेवाले महात्मा गांधीने इस प्रकार दो भविष्यवाणी की थी.
गांधीजीको कोसनेवालोंको गांधीजीको पढना चाहिये. यदि वे बिना पढे ही गांधीजीको कोसते रहेंगे तो वे अविश्वसनीय ही बन बनते हैं.
अहिंसाके नाम पर कायरता दिखाना गांधीजीको ग्राह्य नहीं था. और यह बात जबलपुरके गांधीचोक पर भी शिलालिखित है.
पहेली भविष्य वाणी गांधीजीने, तत्कालिन पाकिस्तानवासी हिन्दुओंकी सुरक्षाके अनुसंधानमें, की थी. हिन्दुओंको सुरक्षा देना पाकिस्तानके शासकोंकी प्रतिबद्धता थी. यदि पाकिस्तानको अपने नामकी सार्थकता रखना है तो यह पाक (पवित्र) कर्तव्य, उसके लिये निभाना अनिवार्य था.
किन्तु पाकिस्तानने प्रारंभसे ही पाकिस्तान स्थित हिन्दुओंका संहार करना चालु कर दिया था. और वह आज पर्यंत चालु रक्खा है. पाकिस्तानमें हिन्दुओंकी जनसंख्या उस समय (१९५१) २४ प्रतिशत थी. अब १.६ प्रतिशत है.
इसका तात्पर्य है कि, हिन्दु लोग,, पाकिस्तानमें सुरक्षित नहीं थे और नहीं है. पाकिस्तानमें हिन्दुओंके उपर अत्याचार हुए. उनका बलपुर्वक धर्म परिवर्तन हुआ और जो माने नहीं उनको भागके भारत आना पडा.
नहेरुने १९५४मे पाकिस्तानवासी हिन्दुओंकी सुरक्षा के लिये पाकिस्तानके प्रधान मंत्री लियाकत अली, के साथ एक करारनामा किया था. किन्तु नहेरु अपनी आदतके अनुसार, पाकिस्तानके शासकके उपर कभी इस करारका पालन करवानेके लिये दबाव नहीं बनाया.
नहेरु अनिर्णायकताके और अकर्मण्यताके गुलाम थे. उन्होंने अपने शब्दोंकी किमत कभी भी समज़ा नहीं. नहेरुके कोंगी अनुगामी भी अनिर्णायकताके गुलाम ही सिद्ध होके रहे है. इसका कारण केवल यही था कि नहेरुवीयनोंको कुछ फर्क नहीं पडता था. इनकी चर्चा हम कभी और समय करेंगे.
एक बात अवश्य याद रखना है कि हिन्दुओंने अपने देशके निवासी मुस्लिमोंको कोई कष्ट नहीं दिया. कोंगीयोंने तो लघुमतियोंको हिन्दुओंसे भी अधिक अधिकार और सुरक्षा दिया. वास्तव में असमान व्यवहार, जनतंत्रका अनादर ही है. किन्तु कोंगीयोंको और उनके सांस्कृतिक साथीयोंको इससे कोई फर्क पडता नहीं है. उनकी न्याय अन्यायकी परिभाषा धर्मके आधार पर है. उन्होंने तो महात्मा गांधीका बार बार और लगातार खून किया है और करते रहे हैऔर यदि नष्ट नहीं हुए तो उनका खून करते रहेंगे. नहेरुवीयन कोंग्रेसकी (कोंगीकी) यह जन्मजात प्रकृति है.
महात्मा गांधीको यह ज्ञात था कि नहेरु और उसकी कोंग्रेस कैसी है. इसलिये ही उन्होंने एक और भविष्यवाणी की थी कि, “एक समय आयेगा कि जव कोंगीयोंको चून चून कर जनता मारेगी.”
कोंगीका सर्वनाश सुनिश्चित है. लेकिन कब?
पाकिस्तान का तो नष्ट होना सुनिश्चित है.
किन्तु भारतका भविष्य क्या है?
कोंगीयोंने अपने शासनकालमें पूरे होशहवासमें, अपने राजधर्मका पालन नहीं किया है. इसके अगणित उदाहरण है. और यही कोंगी, देशके सिद्ध देशद्रोहीयोंके साथ मिलकर, देशको नष्ट करने पर उतर आयी है.
कोंगीके सांस्कृतिक साथी “आम आदमी” पक्षने, मज़दुरोंको आधीरातको “डीडी बसें तयार है अपने राज्यमें चले जाओ” ऐसी खुले आम घोषणा करके ईकठ्ठा किया. इसी पक्षने विदेशी कट्टरवादी मुस्लिमोंको मर्कज़में महासभा करने दिया. इनसे पुरे भारतमें महामारी फैली. इसके पहेले दिल्लीमें प्रदर्शन, रास्ता रोको और सुनियोजित तरिके से मुस्लिमोंसे आग लगवाई और खून खराबा करवाया. अन्य स्थानों पर भी ऐसा ही करवाया.
बेंगलुरुमें क्या हुआ?
एक दलितने, एक मुस्लिमकी, हिन्दु-देवीयोंकी अभद्र चित्रकी पोस्टींगके उत्तरमें प्रोफेट महम्मदकी अभद्र चित्रकी पोस्टींग की.
यह दोनों पोस्टींग कैसे हुई यह संशोधनका विषय है. लेकिन प्रोफेट महम्मद के चित्रकी अभद्र पोस्टंगके कारण एक ही घंटेमें दो पूलीस स्टॅशनके मुस्लिमोंकी भीड जमा हो गयी. पुलिस स्टेशनमें तोड फोड की उनमें वाहनोंको आग लगायी, पथराव होने लगे… जिसने अभद्र पोस्टींग की थी वह एक कोंगी सदस्यका भतीजा था. दोनोंके घरको तोड दिया. ऐसा लगता है कि जैसे कि यह सब पूर्वसे ही सुनियोजित था.
मुस्लिम मोबकी मांग थी कि जिस व्यक्तिने (जो कोंगी सदस्यका भतीजा था) उसको मुस्लिम मोबके हवाले कर दिया जाय.
कोंगीके लडके को जो दलित और हिन्दु था उसको तो गिरफ्तार कर ही लिया था. उसका कहेना था कि उसका एकाउन्ट हेक हो गया था. फिर भी उसकी गिरफ्तारी हो गई. लेकिन जो मुस्लिम था जिसने अति अभद्र चित्र पोस्ट किया था, उसका क्या हुआ? उसका कुछ नहीं हुआ. हिन्दु दलितने तो कहा भी है कि उसका एकाउन्ट हॅक हो गया था. मुस्लिमने तो ऐसा कुछ कहा भी नहीं है. तो भी उसकी रफ्तारी हुई है या नहीं उसके बारेमें कुछ पता नहीं.
मुस्लिमोंकी मांग थी कि प्रोफेट महम्मदकी अभद्र पोस्टींग करनेवाला लडका उनके हवाले कर दिया जाय.
मुस्लिमोंकी इस मांगका आधार क्या है?
मुस्लिमोंका कहेना है कि, “जिसने प्रोफेट महम्मदके बारेमें अभद्र पोस्टींग की, उसका न्याय हम करेंगे. हम भारतके संविधानकी प्रत लेके उसकी तथा कथित और फर्जी सुरक्षाके नाम पर प्रदर्शन भी करेंगे, माहात्मा गांधीकी छवी, हाथमे रख कर, असंबद्ध प्रदर्शन भी करेंगे, रास्ता भी महिनों तक रोकेंगे, जनतंत्रके नाम पर अभिव्यक्तिकी स्वातंत्र्यताका फायदा भी उठायेंगे चाहे अन्य लोगके लिये असुविधा ग्रस्त हो”. मुस्लिम लोग आगे कहेते है;
“फिर भी अय पूलिस लोग !
“हमे वह लडका, जिसने प्रोफेट महम्मदका चित्र पोस्ट किया है, हमारे हवाले कर दो. हम ही उसका न्याय करेंगे. यह हमारा हक्क है.
“जी हाँ. जब महाराष्ट्रकी पूलिसने, हिन्दुओंके दो सन्यासीयोंको, क्र्श्चीयन कम कोमी बिरादरोंके बने हुए मोबके हवाले कर दिया था, तो बेंगलुरुकी पूलिस, क्यूँ इस अपराधीको हमारे हवाले नहीं करती?
“अब देखो
“पालघरमें दो सन्यासी जिनमें एक सन्यासी ७० सालका था. दुसरा ३५ सालका था और उसका ड्राईवर, उन तीनोंको हमने मार डाला. जी हाँ हमने इनको मार डाला. क्यों कि उन्होंने हमारे बच्चोकों चोरी किया था.
“हमारे कौनसे बच्चे थे वह हमे मालुम नहीं. इसके पहेले भी हमारे बच्चोको चोरी किया था. वे बच्चे कौन कौन थे वह भी हमे मालुम नहीं. पूलीसको भी मालुम नहीं है. तो हम क्या करे?
“लेकिन हम जूठ नहीं बोलते है वह पालघरकी पूलीसको भी मालुम है. इस लिये तो उन्होंने इन तीनोंको हमारे हवाले कर दिया था. और हमने इन पूलिसके सामने ही इन तीनोंको मार मारके मार डाला. हम जो करते है वह सही ही करते है. उपरोक्त मामलेमें किस नेताको गिरफ्तार किया?
“आपके हिन्दुधर्मके महारक्षक पक्षवाले मुख्य मंत्रीने भी हमारी बात मानी कि यह सब गलतफहमीसे हुआ था. हमने तो उनके उपर कोई दबाव नहीं डाला था कि वे हमारी बात ही माने. लेकिन उन्होंने हमारी बात मान ली. तो हम क्या करें? हमने गलतफहमीसे इन तीनोंको मार डाला, इस बातका आपका मुख्यमंत्री स्विकार कर लें वह भी क्या हमारा गुनाह है? आप तो बडे असहिष्णु है.
“जब एक हिन्दुपक्षकी सरकारकी पूलीस, जिन सन्यासीयोंको हमने बच्चोंके उचक्का करनेवाले माना उन तथा कथित उचक्केवाली हमारी बातसे वह सरकार तुरंत ही संतुष्ट हो गई और उस पोलीसने उन तीनोंको हमारे हवाले कर दिया. तो बेंगलुरुकी बात तो सरल ही थी. बेंगलुरुमें भी हिन्दुपक्षकी सरकार है. इसमें तो “तथा कथित” जैसा कुछ था ही नहीं. सीधा ही मामला था. बेंगलुरुमें उस अपराधीको हमारे हवाले क्यूं नहीं किया? हम शांतिप्रिय धर्मवाले है इसलिये ही न? हम अस्त्र शस्त्र, पेट्रोल बोंब, लाठी ले के आये थे इस लिये क्या? हमें किसीको मारना ही है तो लाठीसे भी मार सकते है.
“केवल लाठी तल्वार पेट्रोल बंब रखनेसे ही हम अपराधी बन जाते है क्या?
“एक तरफ आप हमारी सीधी और सरल बातको मानते नहीं है. ऐसा करके आप हमें उकसाते है तो अपराधी तो आप ही बनते है न? हिंसा करनेके लिये उकसानेवाला क्या छोटा अपराधी है? लेकिन आप अपराध करनेके लिये उकसाने वालेको अपराधी मानते ही नहीं है.
दिल्लीके दंगेमें आप पार्टीका सदस्य संमिलित था. आप कैसे कह सकते है कि जिस केज्रीवालने देशभरमें कोरोना नही फैलाने के लिये, रातको लोगोंकी भीड इकठ्ठा कर दी थी? यदि गोडसे आर एसएसका सदस्य नहीं था तो भी आप पुरे आरएसएसको गांधीका खुनी मानते है तो “आप”के कर्ता हर्ता केज्रीवाल भी तो दिल्लीके दंगोंका बाप हुआ. कोंगी भी तो आतंकवादका बाप है. और इस निष्कर्षके तो हजार प्रमाण है.
“देखीये हम अल्पसंख्यक है. और हमारे अधिकार हिन्दुओंसे कहीं अधिक है. यह प्रणालीसे भी सिद्ध है. हमारे सुज्ञ लोग और बीजेपीके शिर्ष नेतागण भी यह बातका अनुमोदन करते है. “जो लोग मुर्दे को भी नहीं जलाते वे जिंदाको क्या जलायेंगे?”
“हमने कश्मिरमें सब कुछ खुल्ले आम किया है. हमने १०००० से भी अधिक हिन्दु महिलाओं पर रेप किया, हमने १०००से अधिक हिन्दुओंका कत्ल किया, हमने ५०००००से अधिक हिन्दुओंको उनके घरसे भगाया और निराश्रित किया. यह सब हमने खुले आम किया. और यह सब जनतंत्रीय भारतके आधिन जनतंत्रीय काश्मिरमे किया. हम भी तो जनतंत्रवादी है. इसकी मिसाल तो आपकी सर्वोच्च अदालत है. हमारा कोई भी आदमी या नेता गिरफ्तार नही हुआ. अरे हमारे नेता तो मजेसे विदेश जाकर मौज करने लगे थे और वापस आके आपको ही उनको मुख्य मंत्री बनाना पडा. और आपके केन्द्रके हिन्दु शासकको भी गिरफ्तार नहीं किया. हमारे कश्मिरी नेताको केन्द्रका गृह मंत्री बनाना पडा. फिर क्या कहेना!! हमने तो पूरे देशमें दूर दूर तक बडे मजेसे आतंक फैला दिया. न तो आप कोई स्पेसीयल ईन्वेस्टीगेशन टीम बना पाये. न तो कोई एफ.आई.आर. दर्ज कर पाये.
“अरे भाई हमतो खुले आम, आपके तीर्थ यात्रीयों पर सूचना देके हमला करते है. आपके सुज्ञ जनोंके कानमें जू तक नहीं रेंगती.
“अमरनाथ यात्रीयों की सुरक्षाके लिये आप अमरनाथ श्राईन बोर्ड के लिये भूमि उपलब्ध करना चाहते उस बात पर हमने और हमारी सरकारने भी कडा विरोध किया और पुरे राज्यमें हंगामा किया. आप क्या कर पाये? शून्य ही न?
“क्या आपमें ताकत है कि आप हमारे हजयात्रीओं पर हमला करें? अरे एक विरोधका सूर भी तो निकालके देखो? पूरी दुनिया आपके उपर थू थू करेगी. हम तो खुले आम बोलते है और हमला भी करते है. और आपके शिर्ष नेता भी कबुल करते है कि हम मुस्लिमोंका ही भारत पर अधिक अधिकार है.
“जब हम कोंगी जैसी पर्टीको हमारी लुगाई बनाके देशको दशकों तक लूट सकते है तो उद्ध्व ममता जैसे कई हमारे शरणमें आ ही जाते है. देख लिया न?
“हमने कई मंदिर तोडे और अब भी तोडते है. उसके उपर बनाई एक मस्जिदको आपने तोडा तो हमने आपको पुरी दुनियामें बदनाम कर दिया. उस तूटी मस्जिदके उपर, मंदिर बनानेमें आपको अपनी नानी याद करवा दी. यह है हमारा जनतंत्र. जब आप लुट्येन गेंगका एक बाल भी बांका नहीं कर सकते तो हमे क्या कर पाओगे?
शिरीष मोहनलाल दवे
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