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भारतकी विभाजनवादी शक्तिओंको पराजित करनेके लिये बीजेपीकी व्युह रचना

भारतकी विभाजनवादी शक्तिओंको पराजित करनेके लिये बीजेपीकी व्युह रचना

व्युह रचना हमारे उद्देश्य पर निर्भर है.

हमारा उद्देश्य नरेन्द्र मोदी/बीजेपी को निरपेक्ष बहुमतसे जीताना है. इसका अर्थ यह भी है कि हमे विभाजनवादी पक्षोंको पराजित करना है.

हम शर्मिन्दा है

 विभाजनवादी शक्तियां …….. सीक्केकी एक बाजु

भारतमाता, हम शर्मिंदा है ….,  तेरे द्रोही जिन्दा है

हमारी समस्याएं क्या है?

() समाचार माध्यम समस्या है. क्यों कि अधिकतर समाचार माध्यम विभाजनवादी शक्तियोंके पास है. इसलिये विपक्ष के नेताओंके सुनिश्चित उच्चारणोंको अधिकाधिक प्रसिद्धि मिलती है. और बीजेपीके नेताओंकी एवं बीजेपीके समर्थक नेताओंके उच्चारणोंको विकृत करके प्रसारित किया जाता है या तो कम प्रसिद्धि मिलती है या तो प्रसिद्धि ही नहीं मिलती है.

() समस्याओंकी प्राथमिकता

() मुद्दोंका चयन और उनकी संदर्भकी आवश्यकता

() विपक्षकी व्युहरचनाको समज़नेकी या तो उसका विश्लेषण करनेकी अक्षमता.

() विपक्ष पर प्रहार करनेकी बौद्धिक अक्षमता

() अपने ही मतदाताओंको बांटने पर सक्रीय रहेना और अपने ही नेताओंकी आलोचना करना, चाहे विपक्षकी ही क्षति या  उनका ही फरेब क्यूँ न हो,

() सोसीयल मीडीयाकी शक्तिका भरपूर उपयोग करना

() अधिकतर समाचार माध्यम चाहे विपक्षके पास हो, फिर भी हम उसके उपर आक्रमण करके हमारे हस्तगत समाचार माध्यमोंसे मुकाबला कर सकते है. उतना ही नहीं हम विपक्षके समाचार माध्यमोंमें भी प्रतिक्रियाएं दे कर कुछ प्रतिकार तो कर ही सकते हैं. सोसीयल मीडीया भी एक सशक्त शस्त्र है, हम उसका भरपुर उपयोग कर सकते है.

() भारतीय मतदाता, अशिक्षण, सुशिक्षण का अभाव और गरीबीके कारण, धर्म, जाति, विस्तार, भाषा के आधार पर विभाजित है. वास्तवमें, इसके मूलमें नहेरुवीयन कोंग्रेसका लंबा कुशासन और उसके नेताओंकी स्वकेन्द्री वृत्ति और आचार है.

विकास

नरेन्द्र मोदी/बीजेपीने विकासको प्राथमिकता दी है. वह सही है.

विकास हर क्षेत्रमें होना है. इस लिये विकासमें शिक्षणका विकास भी निहित है. प्राकृतिक स्रोतों और मानवीय स्रोतोंका और शिक्षाके समन्वयसे विकास हो ही रहा है. और इस विकासको जनताके समक्ष लाना है और यह काम बीजेपी के प्रचारक कर ही रहे है. राष्ट्रवादीयोंको भी इसमें अपना योगदान देना चाहिये.

प्राचीन इतिहास

दुसरा मुद्दा है इतिहास. इस इतिहासको जो पढाया है उसको विस्मृत करना. खास करके प्राचीन कालका इतिहास. इस इतिहासने भारतको उत्तर और दक्षिणमें विभाजित किया है. यह काम अति कठिन है क्योंकी कई विद्वान लोग इसमें स्थित विरोधाभाष होते होए भी उसको छोडनेमें संकोच रखते है और छोडना नहीं चाहते. और जो विभाजन वादी लोग है वे लोग सच्चा इतिहास पढाने के प्रचारको धर्मके साथ जोड देतें हैं. “इतिहासका भगवाकरणऐसा प्रचार करते है.

मध्ययुगी इतिहासः

जातिवादः

जातिवादकी समस्याका मूल मध्ययुगी इतिहास में है. जातिवाद इस समय में जड बना. किन्तु इसी समयमें कई सवर्ण जातिके लोगोंने जातिवादका विरोध किया उसका इतिहास साक्षी है. इन लोगोंके बारेमें दलितोंको विस्तारसे समज़ाना चाहिये. सोसीयल मीडीया पर भी जिन्होंने जातिवादका विरोध किया उनका सक्षमताके साथ विस्तारसे वर्णन करना चाहिये.

इस्लाम

इसमें भी कई बातें है. किन्तु अधिकतर बातें विवादास्पद है. इसको केवल इतिहासकारों पर ही छोड दो. इसमें खास करके हिन्दु, मुस्लिम के बीचकी बाते है. इन बातोंको इस समय चर्चा करना घातक है.

अर्वाचीन इतिहास

ईसाई धर्मप्रचार की कई हिंसात्मक बातें गुह्य रक्खी गई है. इन बातोंको अकटूता पूर्वक उजागर करना चाहिये.

() विभाजनवादी परिबलमें कौन कौन आते हैं?

OTHER SIDE OF THECOIN

                       सीक्केकी दुसरी बाजु

सभी विपक्षी दल और कोमवादी दल विभाजन वादी ही हैं. वैसे तो विपक्षी दल पूरा कोमवादी है. लेकिन इस जगह पर हम कोमवादी दल उसको ही कहेते हैं जिनमें उस कोमके सिवा अन्य धार्मिक व्यक्तिका प्रवेश निषेध है.  इन सबका चरित्र और संस्कार समान होनेके कारण नहेरुवीयन कोंग्रेस पर किया हुआ प्रहार सबको लागु पडेगा.

सबसे प्रथम है नहेरुवीयन कोंग्रेस. नहेरुवीयन कोंग्रेसको कमजोर करनेवाला सबसे ज्यादा सशक्त मुद्दे क्या है?

देशके लिये विघातक और विभाजनवादी नीति, आतंकवादका समर्थन, वंशवाद, जनतंत्रका हनन, तानाशाही, प्रतिशोधवाली मानसिकता और आचरण, अतिविलंबकारी विकास, यथावत गरीबी, अशिक्षास्वकेन्द्री मानसिकता, ६५ वर्ष लंबा शासन, भ्रष्टाचार, अफवाहें फैलाना और चारित्र हनन करना. इन सभी मुद्दोंको आप उजाकर कर सकते है.

जब भी कोई मुद्दा ये विभाजनवादी एवं कोमवादी घुमाते हुए प्रसारित करते है, उसीके उपर आपको कडा प्रहार करना है. अन्यथा भी हमें कोई मुद्देको उठाके उनके उपर सशक्त प्रहार करना है.

 () विपक्षकी व्युह रचना क्या है?

विपक्षकी व्युह रचनामें लघुमतियोंकी वोट बैंक बनाना है. वोट बेंकका मतलब यह है कि जिस वर्गमें अधिकतर लोग अशिक्षित (समास्याको नहीं समज़ सकनेवाले), अनपढ, गरीब और अल्पबुद्धि है उनको गुमराह करना. यह काम उसी वर्गके स्वकेन्द्री और भ्रष्टनेताओंको ये लोग पथभ्रष्ट करके उनके द्वारा करवाते है. और ये नेता अन्यवर्गके बारेमें धिक्कार फैलाते है.

अभी एक आदमी सोसीयल मीडीया पर बोलता हुआ ट्रोल हुआ है किःयदि आपके विस्तारमें कोई भी ब्राह्मण, क्षत्रीय या वैश्य खडा हो तो उसके सामने जो एक दलित खडा है, वह चाहे कैसा भी हो, तो भी उसको ही वोट दो. हमे इसमें दुसरा कुछ भी सोचना नहीं है. इन सवर्णोंने हम पर बहुत अत्याचार किया है हमे बरबाद कर दिया है.” मायावती क्या कहेती है? “तिलक तराजु और तल्वार, इनको मारो जूते चार”. नहेरुवीयन कोंग्रेसकी भाषा भी ऐसा ही संदेश देनेवाली भाषा है. शब्द प्रयोग भीन्न है.

यदि मायावतीकी बात सवर्ण सूनेगा तो उसके मनमें दलितोंके प्रति धिक्कार पैदा होगा. इस कारण यदि कोई दलित जो बीजेपीके पक्षमें खडा है तो वह सवर्ण व्यक्ति मतदानसे अलग रहेगा. लेकिन हमे बीजेपी के ऐसे सवर्ण मतदाताओंको चाहे बीजेपीका प्रत्याषी दलित हो तो भी मतदानके लिये उत्साहित करना है.

हमें दलितोंको अवगत कराना है किभूतकालमें यदि कभी दलितोंके उपर अत्याचार किया गया था तो वे अत्याचार करनेवाले तो मर भी गये. और वे तो आप नहीं थे. अभी ऐसी भूतकालकी बातोंसे क्यों चिपके रहेना?

हम तो सब जानते है कि दलितोंका उद्धार करनेकी बातोंका प्रारंभ तो सवर्णोंने ही किया है. बाबा साहेब आंबेडकरको पढाने वाले और विदेश भेजने वाले भी वडोदराके महाराजा ही थे. सब सवर्णोंने ही तो बाबा साहेब आंबेडकरसे अधिकृत किया हुआ हमारा संविधान मान्य रक्खा है. संविधानके अंतर्गत तो कोई भेद नहीं हैयद्यपि यदि अभी भी दलितके उपर अत्याचार होते है तो वहां राज्य की सरकारका उत्तरदायित्व बनता है. यदि अत्याचार व्यापक है तो केन्द्र सरकारका उत्तरदायित्व बनता है. समस्या दीर्घकलिन है तो जिसने ७० साल तक एक चक्री शासन किया है वह नहेरुवीयन कोंग्रेस ही कारणभूत है.

नहेरुवीयन कोंग्रेसके शासन और यह बीजेपीके शासन में फर्क यह है कि नहेरुवीयन कोंग्रेसके शासनमें जब कभी दलितों पर अत्याचार होता था तो उस समाचारको दबा दिया जाता था, और कार्यवाही भी नहीं होती थी.

बीजेपीके शासनमें यदि कभी अत्याचार होता है तो शिघ्र ही कार्यवाही होती है. और ये नहेरुवीयन कोंग्रेसवाले कार्यवाहीकी बात करने के स्थान पर अत्याचारकी ही बात किया करते है…. आदि.  

विपक्षने देखा है कि यदि हिन्दु सब एक हो गये तो चूनाव जितना अशक्य है. इसलिये हिन्दुओंमे फूट पाडनेकी कोशिस करते है.. फूट पाडने के लिये दलित पर होते यहां तहां की छूट पूट घटनाओंको उजागर करते है और सातत्य पूर्वक उसको प्रसारित किया करते है.. इस बातका साहित्यओन लाईनपर उपलब्ध है. इसका राष्ट्रवादीयोंको भरपूर लाभ लेना चाहिये.

नहेरुवीयन कोंग्रेस, मुस्लिम और ईसाईयोंमें भी हिन्दुओंके प्रति धिक्कार फैला रही है. ख्रीस्ती धर्म की पादरी गेंग तो नहेरुवीयन कोंग्रेसकी तरह अफवाहें फैलाने में कुशल है. मुस्लिम मुल्ला भी कम नहीं. सामान्य मुस्लिम और सामान्य ख्रीस्ती व्यक्ति तो हिलमिलके रहेना चाहता है. किन्तु ये मुल्ला, पादरी और नेतागण उनको बहेकाना चाहता है. इस लिये वे छूटपूट घटनाओंको कोमवादी स्वरुप देता है और उसको लगातार फैलाता रहता है. इनमें बनावटी और विकृति भी अवश्य होती है.

उदाहरण के लिये, आजकी तारिखमें कठुआ की घटना ट्रोल हो रही है.

गेंगके लिये उनके समर्थक महानुभावोंनेहम शरमिन्दा है कि हम हिन्दु हैऐसे प्लेकार्ड ले कर प्रदर्शन किया. यदि वे सत्यके पक्षमें होते तो हिन्दु और शिखोंकी अनेक कत्लेआम के विरोधमें भी प्रदर्शन करते. लेकिन इनकी कार्य सूचिमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुपमें बीजेपीका ही  विरोध करना है.

वै से तो अंतमें हिन्दुविरोधी घटना जूठ साबित होगी लेकिन, इससे जो नुकशान करना था  वह तो कर ही दिया होता है. आम हिन्दु जनता भूल जाति है, किन्तु इससे उत्पन्न हुआ ॠणात्मक वातावरण कायम रहता है, क्यों कि इसके बाद शिघ्र ही नयी घटना का ट्रोल होना प्रारंभ हो जाता है. चाहे आम जनता ऐसी घटनाओंको भूल जाय, किन्तु हम राष्ट्रवादीयोंको ये घटनाएं भूलना नहीं है. हमें अपने लेपटोपमें विभागी करण करके यह सब स्टोर करना है और जब भी मौका मिले तब देशके इन दुश्मनोंके उपर टूट पडना है.

() कपिल सिब्बल, रा.गा., सोनिया, चिदंभरम (चिदु), रणवीर सुरजेवाले, मलिक खर्गे, अभिषेक सींघवी, एहमद पटेल, एमएमएस, गुलाम नबी आज़ाद, फरुख अब्दुल्ला, ओमर अब्दुल्ला, मणीसंकर अय्यर, शशि थरुर, आदि कई नेता अनाप शनाप बोलते रहते है.

इनको हमें छोडना नहीं.

इन सब लोगोंकी ॠणात्मक कथाएंओन लाईनपर उपलब्ध है.

यदि आपको ज्ञात नहीं है तो राष्ट्रवादीयोंमेंसे किसी एक का संपर्क करें. जब भी इनमेंसे कोई भी नेता कुछ भी बोले तो समाचार माध्यम की चेनल उपर, फेस बुक पर, ट्वीटर पर और वर्तमान पत्रकेओनलईनसंस्करण पर अवश्य आघात्मक प्रहार करें. उस प्रहारमें उनके उपर उनकी ॠणात्मक बात/बातो का अवश्य उल्लेख करें.

() १८५७का युद्ध ब्रीटनसे मुक्ति पानेका युद्ध था. उस युद्ध में हिन्दु मुस्लिम एकजूट हो कर लडे थे. मुस्लिमोंने और मुगलोंने जुल्म किया होगा. किन्तु उसका असर १८५० आते आते मीट गया था. उसके कई ऐतिहासिक कारण है. इसकी चर्चा हम नहीं करेंगे. परंतु १८५७में हिन्दु और मुस्लिम एक जूट होकर लडनेको तयार हो गये थे. यदि उस युद्धमें हमारी विजय होती तो मुगल साम्राज्यका पुनरोदय होता. यह एक हिन्दुमुस्लिम एकताका देश बनता और तो हमे पश्चिमाभिमुख एवं गलत इतिहास पढाया जाता, और तो हम विभक्त होते. ब्रह्म देश, इन्डोनेशिया, तीबट, अफघानीस्तान, आदि कई देश हिन्दुस्तानका हिस्सा होता.   हमारा हिन्दुस्तान क्रमशः एक युनाईटेड नेशन्स या तो युनाईटेड स्टेस्टस ओफ हिन्दुस्तान यानी कि जम्बुद्वीप बनता और वह गणतंत्र भी होता. १८५७के कालमें मुगल बादशाह बहादुरशाह जफरके राज्य की सीमा लाल किले तक ही मर्यादित थी इसलिये उस राजाकी आपखुद बननेकी कोई शक्यता थी.

लेकिन वह युद्ध हम हार गये.

इस बात पर ब्रीटन पार्लामेन्टमें चर्चा हुई. ब्रीटन एक लोकशाही देश था. तो हिन्दुस्तानमें धार्मिक बातों पर दखल देना ऐसा प्रस्ताव पास किया. और सियासती तरीकेमें हिन्दु मुस्लिममें विभाजन करवाना एक दीर्घ कालिन ध्येय बनाया. ख्रीस्ती प्रचार के लिये भी घनिष्ठ आयोजन किया गया. इस प्रकार हिन्दुओंमेंसे एक हिस्सा काटनेका प्रपंच किया गया.

इसीलिये राष्ट्रवादीयोंका कर्तव्य है कि इस संकट के समय हिन्दुओंका मत विभाजन हो.

मुस्लिमोंको राष्ट्रवादी विचार धारामें लाना राष्ट्रवादीयोंका दुसरा कर्तव्य है.

ब्रीटीश राजने और उसके बाद नहेरुवीयन कोंग्रेसने मुस्लिमोंको, हिन्दुओंके प्रति धिक्कार फैलाके इतना दूर कर दिया है कि उनको राष्ट्रवादी विचारधारामें लाना कई लोगोंको अशक्य लगता है.

अपनेको राष्ट्रवादी समज़ने वाले कुछ लोग इस बातका घनिष्ठताके प्रचार करते है कि जब मुसलमानोंको पाकिस्तान बनाके दिया है तो उनको अब पाकिस्तान चले जाना चाहिये. यदि नहीं जाते है तो उनको खदेड देना चाहिये. (कैसे? इस बात पर ये लोग मौन है). इन बातोंको छोडो. ये सिर्फ वाणीविलास है. ऐसा वाणी विलास नहेरुवीयन कोंग्रेस पक्ष, उसके सांस्कृतिक सहयोगी पक्षोंकी गेंग और आतंकवादी भी करते है

हिन्दु और मुस्लिम दो राष्ट्र है ऐसी मान्यताको ब्रीटीश राज्यने जन्म दिया है. और नहेरुवीयन कोंग्रेसने उनको अधिक ही मात्रामें आगे बढा दिया है. वास्तविकतासे यह “दो राष्ट्र” वाली मान्यता दूर है.

दुनियामें कहीं भी मुस्लिमफिर चाहे वह बहुमतमें हो या शत प्रतिशत हो, वह हमेशा अपने देशकी धरोहरसे भीन्न नहीं रहा हैमिस्र के मुस्लिम मिस्रकी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर पर गर्वकी अनुभूति करते हैईरानके मुस्लिमईरान की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर पर गर्वकी अनुभूति करते हैइन्डोनेसिया के मुस्लिम इन्डोनेसिया की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व की अनुभूति करते हैलेकिन भारतके मुस्लिम अपनेको आरब संस्कृतिसे  जोडते है. लेकिन  आरब इनको अपना समज़ते नहीं हैक्यों कि वे वास्तवमें अरब नहीं हैइसका कारण यह है कि हि-न्दुस्तानके मुस्लिम ९० प्रतिशत हिन्दुमेंसे मुस्लिम बने हैऔर कई मुस्लिम यह कबुल भी करते हैवोराजी और खोजाजी इसके उदहरण स्वरुप हैखुद जिन्नाने यह बात कबुल की है.

तोअब ऐसे मुस्लिमोंके प्रति धिक्कार करने कि क्या आवश्यकता हैहिन्दु धर्ममें किसी भी दैवी शक्तिको किसी भी स्वरुपमें पूजो या तो पूजो तो भी उसके उपर प्रतिबंध नहीं हैआप कर्मकांड करो तो भी सही करो तो भी सहीईश्वरमें या वेदोंमे मानो तोभी सही मानो तो भी सहीअनिवार्यता यह है कि आप दुसरोंकी हानि  करो.

मुस्लिम यदि कुछ भी माने, और यदि वे अन्यकी मान्यताओंको नुकशान न करे और अन्यका नुकशान न करें तो हिन्दुओंको मुस्लिमोंसे कोई आपत्ति नहीं. एक बात आवश्यक है कि हमें सच्चा इतिहास पढाया जाय.

मुस्लिमोंमे प्रगतिशील मुस्लिमोंकी कमी नहीं है. लेकिन प्रगतिशील मुस्लिम. किन्तु वे मौन रहेते हैं. वे मुस्लिमोंके अंतर्गत लघुमतिमें है. उनके उपर मुल्लाओंका दबाव रहेता है. और साथ साथ हिन्दुओंका एक कट्टरवादी वर्ग, मुस्लिम मात्रकी विरुद्ध बाते करता है. वैसे तो यह कट्टर हिन्दु अति लघुमतिमें है. लेकिन इस बातका मुस्लिमोंको पता नहीं. या तो उनको इसका अहेसास नहीं. यदि मुस्लिम लोग यह सोचे, कि हिन्दु कट्टरवादी और हिन्दु राष्ट्रवादी लोग भीन्न भीन्न है और वे एक दुसरेके पर्याय नहीं है तो वे लोग राष्ट्रवादी के प्रवाहमें आ सकते है.

किसी भी कोमको यदि अपनी दीशामें खींचना है तो यह काम आप उसको गालीयां देके और उसके उपर विवादास्पद आरोप लगाके नहीं कर सकते.

नरेन्द्र मोदीने एक अच्छा सुत्र दिया है कि सबका साथ सबका विकास. इसमें दलित, सवर्ण, मुस्लिम, ख्रीस्ती आदि सर्वप्रकारके लोग आ जाते है. इस सुत्रको लघुमतियोंको आत्मसात करना चाहिये.

कानूनका ही राज रहेगा. इसमें कोई समाधान नहीं.

कानूनके राज करनेकी जीम्मेवारी सरकारी अफसरोंकी है. जहां बीजेपीका शासन है वहां राष्ट्रवादीयोंको सरकारी अफसरोंके विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिये, नहीं कि बीजेपीके विरुद्ध.

जो लोग कानून हाथमें लेते है उनको, और उनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहायता करनेवालोंको, उन सबके उपर बिना दया बताये न्यायिक कार्यवाही करनेसे मुस्लिम नेता गण, जैसे कि फारुख अब्दुला, ओमर अब्दुल्ला, यासीन मलिक गुलाम नबी आज़ाद, मुस्लिम मुल्ला, उनके असामाजिक तत्त्व और उसी प्रकार ख्रीस्ती पादरी और उनके असामाजिक तत्त्वका दिमाग ठिकाने पर आ जायेगा. और उस धर्म के आम मनुष्यको लगेगा कि, स्वातंत्र्यका अधिकार स्वच्छंदतासे भीन्न है. उनको भी बीजेपीमें ही सुरक्षा दिखायी देगी.    

एक हिन्दुराष्ट्रवादी कट्टरवादी हो सकता है लेकिन हरेक हिन्दुराष्ट्रवादी, कट्टरवादी नहीं है. जो मुस्लिमोंको देश छोडने की बात करते हैं वे हिन्दु कट्टारवादी है. ये लोग अतिअल्पमात्रामें है. तककी उनका तुष्टिकरण करनेके लिये उन्होनें लघुमतिके लिये अलग नागरिक कोड बना दिया है और यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि लघुमतिके हित रक्षक उनके पक्षकी विचार धारा है. ऐसा करनेमें नहेरुवीयन कोंग्रेसने हिन्दुओंको अन्याय भी किया है.

मुस्लिम जनता, हिन्दुओंसे बिलकुल भीन्न है ऐसा भारतके मुस्लिम और कुछ हिन्दु भी मानते है. 

मुस्लिम यदि कुछ भी माने, और यदि वे अन्यकी मान्यताओंको नुकशान करे और अन्यका नुकशान करें तो हिन्दुओंको मुस्लिमोंसे कोई आपत्ति नहीं. एक बात आवश्यक है कि हमें सच्चा इतिहास पढाया जाय.

मुस्लिमोंमे प्रगतिशील मुस्लिमोंकी कमी नहीं है. लेकिन प्रगतिशील मुस्लिम. किन्तु वे मौन रहेते हैं. वे मुस्लिमोंके अंतर्गत लघुमतिमें है. उनके उपर मुल्लाओंका दबाव रहेता है. और साथ साथ हिन्दुओंका एक कट्टरवादी वर्ग, मुस्लिम मात्रकी विरुद्ध बाते करता है. वैसे तो यह कट्टर हिन्दु अति लघुमतिमें है. लेकिन इस बातका मुस्लिमोंको पता नहीं. या तो उनको इसका अहेसास नहीं. यदि मुस्लिम लोग यह सोचे, कि हिन्दु कट्टरवादी और हिन्दु राष्ट्रवादी लोग भीन्न भीन्न है और वे एक दुसरेके पर्याय नहीं है तो वे लोग राष्ट्रवादी के प्रवाहमें सकते है.

 

कानूनके राज करनेकी जीम्मेवारी सरकारी अफसरोंकी है. जहां बीजेपीका शासन है वहां राष्ट्रवादीयोंको सरकारी अफसरोंके विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिये, नहीं कि बीजेपीके विरुद्ध.

जो लोग कानून हाथमें लेते है उनको, और उनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहायता करनेवालोंको, उन सबके उपर बिना दया बताये न्यायिक कार्यवाही करनेसे मुस्लिम नेता गण, जैसे कि फारुख अब्दुला, ओमर अब्दुल्ला, यासीन मलिक गुलाम नबी आज़ाद, मुस्लिम मुल्ला, उनके असामाजिक तत्त्व और उसी प्रकार ख्रीस्ती पादरी और उनके असामाजिक तत्त्वका दिमाग ठिकाने पर जायेगा. और उस धर्म के आम मनुष्यको लगेगा कि, स्वातंत्र्यका अधिकार स्वच्छंदतासे भीन्न है. उनको भी बीजेपीमें ही सुरक्षा दिखायी देगी.    

एक हिन्दुराष्ट्रवादी कट्टरवादी हो सकता है लेकिन हरेक हिन्दुराष्ट्रवादी, कट्टरवादी नहीं है. जो मुस्लिमोंको देश छोडने की बात करते हैं वे हिन्दु कट्टारवादी है. ये लोग अतिअल्पमात्रामें है.

नहेरुवीयन कोंग्रेसके लिये यह शर्मकी बात है

जो हिन्दु और जो मुस्लिम दो भीन्न भीन्न संस्कृतिमें मानता है वे दोनों कट्टरवादी है. कोंग्रेस (नहेरुवीयन कोंग्रेस नहीं), और कई मुस्लिम नेतागण (जो कोंग्रेसके सदस्य थे) “दो राष्ट्रमें नहीं  मानते थे. पख्तून नेता खान अब्दुल गफारखाँ भी दो राष्ट्रकी विचारधारामें नहीं मानते थे.

महात्मा गांधी भी दो राष्ट्रके सिद्धांतमें मानते नहीं थे. “दो राष्ट्रकी परिकल्पना ब्रीटीश प्रायोजितआर्यन इन्वेज़न परिक्ल्पनाकी तरह एक जूठके आधार पर बनी परिकल्पना थी.

यह विधिकी वक्रता है कि स्वयंको मूल कोंग्रेस मानने वाली नहेरुवीयन कोंग्रेस आज दोराष्ट्रकी परिकल्पनाको सिर्फ सियासती लाभके लिये बढावा देती है. उसको शर्म आनी चाहिये.

जिन्ना नेदो राष्ट्रकी परिकल्पना इसलिये पुरस्कृत की कि, नहेरुने उसका तिरस्कार किया था. नहेरुने स्वयं घोषित किया था कि, वे जिन्ना को अपनी ऑफिसमें चपरासी देखनेको तयार नहीं थे. तो ऐसे हालातमें जिन्नाने अपनी श्रेष्ठता दिखानेके ममतमेंदोराष्ट्रपरिकल्पना आगे की.

ब्रीटीश सरकारने तोबहुराष्ट्रकी परिकल्पना भी की थी. और वे दलितीस्थान, ख्रीस्ती बहुमत वाले उत्तरपूर्वी राज्योंसे बना हुआ नेफा,.  द्रविडीस्तानवाला दक्षिण भारत, पंजाबका खालिस्तान, और कई देशी राज्य. ऐसा भारत, काल्पनिक गज़वाहे हिन्दके करिब था. और इस प्रस्तावमें अशक्त केन्द्र था और कई सारे सशक्त राज्य थे.

लेकिन अब, यह नहेरुवीयन कोंग्रेस और उसके सांकृतिक साथी अपनी सियासती व्युहरचनाके अनुसार वे देशके एक और विभाजनके प्रति गति कर रहे है.

यदि हम राष्ट्रवादी लोग, दलितोंका, मुस्लिमोंका और ईसाईयोंका सहयोग लेना चाहते है तो हमें हिन्दुओंके हितका ध्यान रखना पडेगा. नहेरुवीयन कोंग्रेसके शासनकालमें कश्मिरमें कई मंदिर ध्वस्त हुए है.

हिन्दुओंके मतोंका विभाजन होनेकी शक्यता देखकर वंशवादी और कोमवादी पक्ष इकठ्ठे हो रहे है. इनको पराजित तब ही कर सकते है जब हिन्दु मत का विभाजन हो.

हिन्दु जनता कैसे विभाजित होती है?

राष्ट्रवादीयोंका ध्येय है कि नरेन्द्र मोदी/बीजेपी २०१९का चूनाव निरपेक्ष बहुमतसे जिते. राष्ट्रवादीयोंका कर्तव्य है कि वे आपसमें विवाद करें. आपसके विभीन्न मुद्दोंमे जिनमें विचार विभीन्नता है ऐसे मुद्दोंको प्रकाशित करें और तो उनको उछाले.

जैसे कि

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हिन्दु राष्ट्रकी घोषणा,

वेदिक शिक्षा प्रणाली,

भारतके विभाजनके लिये जिम्मेवार कौन,

महात्मा गांधी फेक महात्मा,

महात्मा गांधीकी भूलें और मुस्लिमोंका तूष्टीकरण,

जीन्नाकी छवी,

हमें स्वतंत्रता किसने दिलायी पर वृथा चर्चा,

महात्मा गांधी और शहिद भगत सिंह आमने सामने,

अहिंसा एक मीथ्या आचार,

महात्मा गांधीने नहेरुको प्रधान मंत्री क्यों बनाया इस बात पर महात्मा गांधीकी भर्त्सना,

महात्मा गांधी और नहेरुके मतभेदको छिपाना,

नहेरुवीयन कोंग्रेसको मूल कोंग्रेस समज़ना,

नहेरुका धर्म क्या था,

फिरोज़ गांधी मुस्लिम था,

हिन्दु धर्मकी व्याख्या,

राम मंदिर, (जो मामला न्यायालयके आधिन है),

इतिहास बदलने की अधीरता,

मुगलोंका और मुसलमानोंका मध्य युगमें हिन्दुओंके उपर अत्याचार,

नहेरुवीयन कोंगीयोंने जिन घटनाओंको ट्रोल किया हो उनका प्रचार.

मुस्लिम मात्रसे और ख्रीस्ती मात्रसे नफरत फैलाना,

नरेन्द्र मोदीको सलाह सूचन,

बीजेपी नेताओंकी कार्यवाही पर असंतोष व्यक्त करना और उनके साथ जो विचार भेद है उसमें वे गलत है ऐसे ब्लोग बनाना,

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राष्ट्रवादीयोंका कर्तव्य है कि वे यह समज़ें कि उपरोक्त मुद्दे विवादास्पद है.

इनमेंसे;

कई मुद्देके विषयमें निर्णय पर आनेके लिये पूर्वाभ्यास करना आवश्यक है,

कई मुद्दे अस्पष्ट है,

कई मुद्दे फिलहाल प्राथमिकतामें लाना वैचारिक संकट पैदा कर सकते है,

कई मुद्दे न्यायालयाधिन है और बीजेपी सरकारके विचाराधिन है,

कई मुद्दे ठीक है तो भी वर्तमान समय उनकी स्विकृतिके लिये परिपक्त नहीं है.

ऐसे मुद्दे निरपेक्ष बहुमत होनेके कारण, देश विरोधी शक्तियां अफवाहें फैलाके जनताको गुमराह कर सकती है, और भारतके जनतंत्रको विदेशोंमे बदनाम कर सकती है. फिलहाल चर्चा करना भी ठीक नहीं.

हम, मुस्लिमोंके वर्तमान (१९४६से शुरु) या प्रवर्तमान कत्लेआम और आतंकको मुस्लिम नेताओंके नाम या और जुथोंको प्रकट करके, उन पर कटू और प्रहारात्मक आलोचना अवश्य कर सकते है. क्यों कि इन बातोंको वे नकार सकते नहीं. हमने इन बातोंसे पूरी मुस्लिम जनताको तो कुछ कहा नहीं है. इसलिये वे इन कत्लेआमको अपने सर पर तो ले सकते नही है.

दलित और सवर्ण एकता कैसे बनायें?

वैसे तो यह समस्या सियासती है. फिर भी विपक्षके फरेबी प्रचारके कारण इसकी चर्चा करनी पडेगी.

विपक्षका प्रयास रहा है. विपक्षी शक्तियां, सवर्ण को भी अनामतके आधार पर क्षत्रीय, जाट, यादव, जैन, बनीया, भाषा और विस्तारके विशिष्ठ दरज्जाके आधार पर लोगोंको विभाजित किया जाय.

इनके विभाजनको रोकनेके लिये बीजेपीको, लेखकों, कवियों, हिन्दु धर्मगुरुओंको और महानुभावोंको (सेलीब्रीटीज़को) भी आगे करना पडेगा. इन लोगोंको समज़ाना पडेगा कि अनामतके लिये विभाजित होना ठीक नहीं है क्यों कि अनामत ४९ प्रतिशतसे अधिक नहीं हो सकता. और वैसे भी अनामतकी आवश्यकता तब पडती है जब आबंटनकी संख्या कम हो और ईच्छुक अधिक हो. यह समस्या वैसे भी विकाससे हल होने वाली ही है.

विपक्ष हिन्दुओंके मतोंको निस्क्रिय करके उनका असर मत विभाजनके समकक्ष बनाता है. विपक्षका यह एक तरिका है, सामान्य कक्षाके हिन्दुओंको निस्क्रिय करना. आम मनुष्य हमेशा हवाकी दीशामें चलता है. यदि विपक्ष, बीजेपी के लिये ॠणात्मक हवा बनानेमें सफल होता है तो सामान्य कक्षाका मनुष्य निराश होकर निस्क्रिय हो जाता है और वह मतदान करनेके लिये जाता नहीं है.

नहेरुवीयन कोंगी की सहयोगी मीडीया बीजेपीका नकारात्मक प्रचार करती है और उसके लिये ॠणात्मक वातावरण पैदा करनेका काम करती है.

 शिरीष मोहनलाल दवे

चमत्कृतिः नहेरुवीयन कोंग्रेसके शासन कालमें बभम बभम ही चलाता था. और बाबा राम देवकी सत्याग्रहकी  छावनी रातको पोलिसने छापा मारा था, नहेरुवीयन कोंग्रेसके शासनकालमें, अभिषेक मनु सिंघवी याद करो जिनके, तथा कथित ड्राइवरने उनकी एक लेडी वकिलके साथ रेपके संबंधित  वीडीयो बनाई थी और वह सोसीयल मीडीया पर  भी चली थी. यह तो “दंड-संहिता” के अंतर्गत वाला मामला था. लेकिन न तो नहेरुवीयन कोंग्रेसकी सरकारने न तो अभिषेक मनु संघवीके उपर कोई कदम उठाया न तो इस महाशयने ड्राईवर के उपर कोई दंड-संहिताका मामला दर्ज़ किया. आपस आपस में सब कुछ जो निश्चित करना था वह कर लिया.

और ऐसा जिसका शासन था, वह अभिषेक मनु सिंघवी इस बीजेपीके शासनकालको अघोषित आपात्‌ काल कहेता है. जिसमें सारा विपक्ष असंस्कारी भाषामें बीजेपीके नेताओंको उछल उछल कर गाली देता है. ये नहेरुवीयन कोंग्रेस नेता गणके शब्द कोषमें शब्दकोषकी परिभाषा  ही अलग है. जयप्रकाश नारायणने १९७४में  इस नहेरुवीयन कोंग्रेसकी आराध्या के बारेमें कहा था कि उसका ही शब्द कोष “हम्टी-डम्टी” का शब्द कोष जैसा है.  और आज भी नहेरुवीयन कोंग्रेसका शब्द कोष वही रहा है. 

रेप चाहे लेडी वकील पर करो या भाषा पर करो, नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताको क्या फर्क है?

abhisek singhvi

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RURBAN CLUSTER ALIAS A SMART COMPLEX. A CLUSTER WITH SELF RELIANCE

स्वावलंबी संकुल

रोटी, कपडा और मकान ये प्राथमिक आवश्यकताएं है. प्रत्येक पक्ष यह आश्वासन देता है कि उसने इनके बारेमें कई कदम उठाये हैं और उसके पास भविष्यकी भी योजनाएं हैं और उसका आयोजन भी है.

शासन द्वारा जो भूमि अधिग्रहण होता था और होता है ऐसा लगता है जो निम्न लिखित प्रकारका है.

       शासन द्वारा जो ग्राम आयोजन (टाउन प्लानींग), होता है, उसमें गरीबों (पछात वर्गों) के लिये आयोजित, भूमिखंडोंमेंसे कुछ भूमिखंड आरक्षित करना होता है और उसको निम्न मूल्यसे उन पछात वर्गोंमें आबंटित किया जाता है. 

       गरीबोंको आवासके लिये भूमिके खंड दिया जाता है. जैसे कि नहेरुवीयन कोंग्रेसने गुजरातमें और देशमें चूनावके समय प्रण लिया था कि यदि उसका पक्ष सत्तामें आया तो १०० चोरस मीटरके भूमिके टूकडोंका आबंटन गरीबंको निम्नतम मूल्य पर करेगा.

       शासन, गरीबोंकी झोंपडपट्टी यदि अनधिकृत नहीं है तो उसी जगह पर उसको ईंदिराआवास योजना अंतर्गत उसको धन देता है. यदि झोंपड पटी अनअधिकृत है तो उसको अधिकृत किया जाता है और वहां ही आवास योजना बनाई जाती है और उपरोक्त पछात जनसमुदायके लिये सस्ते मूल्यवाले खंडीय आवास (रेसीडेन्सीयल अपार्टमेन्ट्स), दो या तीन स्तर वाले (दो या तीन स्टोरीड क्लस्टर बील्डींग ब्लॉक) बनाया जाता हैं. उसमें आवास निर्माण कर्ताको कुछ दुकानें बनानेकी अनुमति दी जाती ताकि वह निर्माण कर्ता संविदाकारको धनलाभ मिलें.

       शासनकी अनुमतिसे, जर्जरित आवासोंका और जर्जरित भवनोंका संनिर्माण (रीडेवलपमेन्ट) करते हैं. निर्माणकर्ता संविदाकारको, भूमि और निर्माण अनुपातमें (एफ एस आई में) कुछ शिथिलीकरण होता है ताकी संविदाकार निर्माण कर्ताको लाभ पहोंचा सकें.

ठग विद्याः

ये सर्व वास्तविक समस्याका निराकरण है ही नहीं. यह तो एक ठगविद्या है.

इस ठगविद्यामें प्रचूर मात्राका अनाचार और भ्रष्टाचार होता है उतना ही नहीं ये नवसंरचना की अनुमति आयोजनके लिये असुनियोजित और अयोग्य रीतिसे धनलाभके लिये सुनियोजित बने ऐसी क्षतिपूर्ण लेख बनने दिये जाते है. इसमें जनप्रतिनिधिगण, नगरपालिका आयुक्त से लेकर कर्मचारीगण, प्रतिलिप्याधिकारी (रजिस्ट्रार) और निर्माणकर्ता भी संमिलित होता है. इतना ही नहीं नगरपालिकाके नवसंरचना के नियम क्षतियुक्त होनेसे और इसके अतिरिक्त भी अन्य समस्याएं भी पैदा होती हैं. मुंबई महानगर पालिका इसका उत्कृष्ठ उदाहरण है.

 हम ऐसी समस्याओंकी चर्चा यहां पर नहीं करेंगे. हम केवल नवनिर्माण अर्थात स्वावलंबी संकुल की ही चर्चा करेंगे.

स्मार्ट सीटी और स्मार्ट ग्राम सर्वाधिक सुगमतासे, और लघुतम मूल्यसे कैसे निर्माण किया जा सकता है और यह कैसे हो सकता है उसकी चर्चा करेंगे.

आवासोंका वर्गीकरणः

       भिक्षुकः घर नहीं है, बेकार है, पैसे नहीं है, निराश्रित है, जिसके नागरिकत्वके बारेंमें जानकारी नही है, उसको सिर्फ सोनेकी और नित्यकर्मकी सुविधा मूफ्तमें दी जायेगी.

अस्थायी आवास

       निर्माण कर्ताको निर्माणके कार्यमें श्रम नियम के अनुसार श्रमजिवीयोंको अस्थायी रुपसे नियोजित करना पडता है. और इन श्रमजिवीयोंको आवास देना अनिवार्य ह्ता हैकिन्तु निर्माण कर्ता संविदाकार और श्रम आयुक्त कार्यालयकी संमिलित भ्रष्टाचार के कारण श्रमजिवीयोंको नियम अनुसार आवास और सुविधाएं मिलती नहीं है. शासनके लिये यह अनिवार्य बनना आवश्यक है कि इन श्रमजिवीयोंको इन नवसंरचना द्वारा निर्मित संकुलमें सुनिश्चित आवास दिया जाय.  निर्माण के लिये अनियतकालके लिये रख्खे गये इन श्रमजिवीयोंके लिये निवास जिसका भाट (किराया, रेन्ट), संविदकको (कोन्ट्राक्टरको) कार्यसूचनाके (वर्क ओर्डरके) अनुसारके समयके लिये देना पडेगा. सर्वथा एक मासका पूर्व ही देना पडेगा.

       स्थायी निवासः जिन्होने अपना जर्जरित स्वकीय या भाटीय, (रेन्टल, किरायेका), या अनधिकृत, निवास खाली किया हो, या जिनको स्वेच्छासे क्रयण (परचेझ) करना हो, उनको यहां पर कोष्ठ या कोष्ठसमूह, विक्रयमें, उनकी मूल्य देनेकी क्षमताके अनुसार दिया जायेगा. यदि वे इच्छे तो क्रयण (परचेझ) से आवासको क्रयण (परचेझ) करें, या वे चाहे तो क्रयण तो भाटीय रुपसे (किरायाके अनुसार) सुनिश्चित नियमोंके आधार पर आवास ग्रहण करेंगे.

       व्यवसायी कोष्ठ या कोष्ठ समूहः जिनको कलाकारीगीरीके उत्पादन एवं विक्रय,  गृह उद्योग और उन उत्पादनों कि विक्रय, सूचित यंत्र और उनकी अनुरक्षण (रीपेर एवं मेन्टेनन्स), वाणीज्य व्यवसाय, शासन सेवाएं, परामर्श, संस्था कार्यालय, शिक्षण संस्थाएं, अनुरक्षण सेवाएं आदिके के लिये स्थल चाहिये, तो उनको वर्गीकृत उपयोगके आधारपर सुनिश्चितरुपसे बनाये नियमो द्वारा पूर्वनियोजित और आरक्षित कोष्ठ और कोष्ठसमूह, दिया जायेगा.

       पशुपालन कोष्ठ और कोष्ठ समूहः जो लोग पशुपालन करना चाहते हैं वे आवास एवं पशु पालन के लिये पास पास वाले कोष्ठ में कर सकते है. जिनके लिये भूमिगत कोष्ठ या कोष्ठ समूह उपलब्ध कराया जायेगा.

       जिनके गृहउद्योगसे ध्वनि प्रदूषण होता हो उनको भी भूमिगत कोष्ठ या कोष्ठ समूह उपलब्ध कराया जायेगा. उनके लिये पासवाले कोष्ठ, कोष्ठ समूह निवासके लिये यदि शक्य है तो उपलब्ध कराया जायेगा.

कोष्ठ क्या होता है?

कोष्ठ, अनेक स्तरीय (मल्टीस्टोरीड) बहुलक्षी हेतुवाला एक प्रचंड संकुलका एकम होता है.

प्रकोष्ठ

कोष्ठ,  पांच मीटर लंबा और पांच मीटर चौडा खुल्ला खंड होता है. उसको दिवारें नहीं होती है. कोष्ठोंको भीन्न भीन्न प्रकारसे संमिलन करनेसे (समुच्चयसे) हम भीन्न भीन्न विस्तारके आवास और स्थल जैसे कि, निवास, अस्थायी लोगोंके आवास, कार्यालय, गृह उद्योग, शाळाएं, गौशाळा, वाहन पार्कींग, दुकान मॉल, सभा खंड आदि बना सकते हैं.

एक प्रकोष्ठ कैसा होता है, यह निम्न आकृतिमें प्रदर्शित किया है. पडौसी के साथ जो समान भित्ति (दिवार) है वह ही केवल भौतिक रुपसे दी जाती है. अन्य सभी भित्ति जैसे कि बाह्य और आंतरिक मार्ग के समान्तर भित्ति के स्थान पर  शक्तिशाली निष्कलंक इस्पातकी (पोलादकी) जाली जो स्तंभ निर्माणसे संलग्न है. यदि निवासी इच्छे तो स्वयंके कोष्ठके अंदर एक अधिक भित्ति बना सकता है. लेकिन इस जाली को निष्कासित नहीं कर सकता. यह भित्ति उसके स्वामित्वकी सीमा है.

ग्रामकी एक संकुलके स्वरुपमें नवसंरचना क्यों?

भूमि बना नहीं सकतें किन्तु सुचारु रुपसे भूमिका उपयोग करनेसे भूमि प्राप्त की जा सकती है.

भूमि कैसे प्राप्त करें?

सर्वप्रथम एक ऐसा भूखंड प्राप्त  किया जाय, जो सरलतासे उपलब्ध हो, ताकि किसीको स्थानांतरका कष्ट हो.

हमें ५०० मिटर लंबा और ५०० मिटर चौडा या संरचनाके अनुरुप एक भू खंड उपलब्ध करना पडेगा. यह भूखंड खुल्ला मैदान हो, असाध्य भूमि हो, असमतल भूमि हो या सुलभ हो और ग्राम या सुचित नवसंरचना से संबंधित जनसमुदायसे समिप हो.

इस भूमिखंडके उपर हम एक ग्राम संकुल बनायेंगे जिसमें 

एक ग्राम एक नगरका भौगोलिक विस्तार जो नवसंरचना के लिये सुचित है. १००० से लेकर ५००० और १०००० तककी जनसंख्या वाले भौगोलिक विस्तारके जनसमुदायको नवसंरचित संकुलमें स्थानांतरित कर सकते है. एक शहरका भौगोलिक विस्तार जिसकी जनसंख्या १००० से १०००० है उसको एक संकुलमें परिवरित कर सकते हैं.

उपरोक्त भौगोलिक विस्तारके एतत कालिन निवासीयोंको और व्यवसायीयोंको नवरचित प्रकोष्ठ प्रकोष्ठ समूह को आबंटित करनेके नियम बनाये जायेंगे.

शासन प्रत्येक कुटुम्ब और व्यवसायीको प्रकोष्ठ (खंड) या प्रकोष्ठसमूह देगा, जो जर्जरित या लघुस्तरीय मकान, या झोंपड पट्टी अनाधिकृत भूमिका उपयोग कर रहे है

संपूर्ण स्वावलंबन इस ईन्टरनेटके युगमें शक्य नहीं है. किन्तु ७५ से ८० प्रतिशत स्वावलंबन शक्य है.

कौनसी वस्तुएं उपभोग्य वस्तुओंका समावेश किया जा शकता है?

उत्पादनः सब्जी, अन्न (आंशिक), फल (आंशिक), खाद्य तेल, अखाद्य तेल, मध, पुष्प, वस्त्र, दूध, दूधका अन्य उत्पादन, गेस, उर्जा (आंशिक), पशु, खाद, लकडी, चर्म (आंशिक)… किन्तु अधिक स्वावलंबनता प्रयोजनेके लिये स्वावलंबन वर्तुल उसके आसपासके विस्तारको संमिलित करके भूमिजन्य उत्पादनोंकी दिशामें प्रगति कर शकते हैं. (अनुसंधान “मेरे स्वप्नका भारत” लेखक महात्मा गांधीका वाचन किया जाय).

शिक्षणः शिशुविहार, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, यंत्र (घरेलु, कृषि, वाहन, उर्जा) कौशल्य, हस्तकौशल्य, व्यायाम, योग, खेल, कला, उत्पादन, विक्री, संचालन, अनुरक्षण, स्वच्छता, कौशल्य, संचय, सुरक्षा,

उद्योग, व्यवसाय और सेवाः गृह उद्योग, कृषि, कृषि उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, कलाकौशल्यसंचय, पशुपालन, अप्रणालिगत उर्जा उद्योग, अनुरक्षण, विक्री, सरकारी सेवाएं एवं सुरक्षा (न्याय, जनगणना, चूनाव, माहिति संचय और प्रदान, रेकर्ड अनुरक्षण और सुधार, शासन और अनुशासन, प्राथमिक आरोग्य, चिकित्सालय, ऋग्णालय, स्वच्छता, करसंचय, सुरक्षा), शिक्षा, वाहनव्यवहार, जलपुनचक्रण, वर्षा जल संचय, जल शुद्धिकरण, कूडा प्रबंधन, परामर्श,

ग्रामसंकुल संरचना और सुवीधाओंका प्रबंधन कैसे किया जायेगा?

     प्रेत्येक कुटुंबको एक प्रकोष्ठ या प्रकोष्ठ समूह उनकी क्षमताके आधार पर मिलेगा,

     हरेक निवासमेंसे आकाश दिखायी देगा, उसमें हवा और प्रकाश रहेगा,

     हरेक निवासमें पानीकी सुविधा होगी,

     हरेक निवासमें गोबरगेस उर्जा या प्राकृतिक गेस की सुविधा उपलब्ध होगी,

     हरेक निवासमें विद्युत होगी चाहे वह परंपरागत स्रोतसे हो या परंपरागत स्रोत से हो.

     हरेक निवासमें पौधे लगानेकी सुविधा होगी,

     हरेक निवासमें पानीकी निष्कासन व्यवस्था (ड्रेईन) होगी,

     हरेक निवास अनधिकृत विस्तरणसे मूक्त रहे और अनधिकृत जगह पर अतिक्रमण कर सके ऐसी उसकी रचना की जायेगी. कोई भी उपयोग कर्ता कूडा कचरा या गंदगी करे और कर सकें वैसी परिस्थिति और रचना की जायेगी.

     प्रकोष्ठ समूह यानी कि संकुलकी आकृति ऐसी रहेगी कि सभी उपयोग कर्ताओंको अन्योन्य सहायता और सामाजिक जीवनकी अनुभूति मिल सके.

१०    हरेक आंतरिक मार्ग (पेसेज, लोबी) पर सीसी टीवी केमेरा लगे होगे, जिससे नियमोंका भंग करनेवालोंका, जैसे कि आतंरिक मार्ग पर अतिक्रमण करना, कूडा फैंकना, लडना, मारना आदि दुष्कृत्योंपर दोषीको दंडित किया जा सके.

११    संकुलमें प्रवेश हमेशा विजाणुं अभिज्ञानपत्र (इलेक्ट्रोनिक आईडेन्टीटी कार्ड) या निर्देशिका अंगुलीके अभिज्ञानके आधार पर होगी. संकुलके आगंतुक प्रवासीको उसके अभिज्ञान पत्रके आधारपर प्रवेश मिलेगा. हरेक आवास, दुकान आतंरिक मार्ग आदिका यातायात सीसीटीवी केमेरासे चित्रांकित भी रहेगा और आगंतुक प्रवासीका आगमन और निष्कास सुरक्षा कक्षमें लेखांकित भी रहेगा.

१२    हरेक विक्रेताकी दुकान या व्यवसायीका उद्यमस्थलके उपर सुनिश्चित कदकी तख्ती रहेगी उसके उपर उस स्थानके स्वामी (ओनर)का नाम, पत्रव्यवहारका पता और उसकी संचार प्रौद्योगिकाका (वेब् साईटका) नाम लिखा रहेगा. संकुलके हर व्यवसायिक स्थानका, सेवाका, कार्यालयका, एक संचार प्रौद्योगिकाका (वेब् साईटका) होना अनिवार्य होगा. उस संचार प्रौद्योगिका (वेब् साईटका)में क्या क्या माहिति होना अनिवार्य है उसके नियम शासन बनायेगा. ताकि हर व्यवसाय और सेवाएं पारदर्शी रहे.

१३    संकुलके बाह्य स्थल पर जनसाधारण यातायातका स्थानक (बस स्टेन्ड) होगा, जहांसे संकुलके निवासी, समीपके बडे स्थानक पर जा सकेंगे.

१४    संकुलके उपर और संकुलके बाह्य स्थंभो पर, सौर उर्जाको ग्रहण करने के लिये सूर्यकोषकी सौर सरणीयां (सोलर पेनल) लगेंगी.

१५    संकुलमें वर्षाका पानी संचय करनेकी सुविधा रहेगी

१६    संकुलमें निष्कासित जल का जलपुनचक्रण करनेकी और कूडा(वेस्ट), गोबर (एनीमल डन्ग), प्राणीज अपव्यय आदिमेंसे खाद बनानेके संयंत्र होगे. पुनश्चक्रणका काम (रीसायकलींगका कामया तो शासन के अंतर्गत होगा या तो निजी संस्थाके अंतर्गत रहेगा. यदि निजी संस्था यह काम करेगी तो इसके उपर शासनका निरीक्षण रहेगा

१७    संकुलमें दो शासनाधिकारीके कार्यालय होगेः

एक कार्यालय संकुलसे संलग्न प्रत्येक आलेखोंखको लेखांकित रखना, जैसे कि, प्रकोष्ठोंका आबंटन, प्रकोष्ठोंका  हस्तांतरण, प्रकोष्ठोंका आदानप्रदान, उनके संलग्न अनुमति पत्र देना, निवासीयोंका विवरण, संकुल प्रवेशकी अनुमति, सुरक्षा, मतदाता सूची बनाना और उसको अद्यतन रखना, निवासीयोंकी सभा करना, सभाका संचालन करना, चूनावके समय पर हरेक प्रत्याशीको एक मंचपर लाके व्याख्यान करवाना, मत गणना करना, सुरक्षा नियमोंके पालनमें क्षति करने वालोंको, नाधिकारितासे स्थानका उपयोग रनेवालोंको … आदि अपराधीयोंको दंडित करना, कर (टेक्ष), और भाट(रेन्ट) के व्यतिक्रमीको (डीफॉल्टरको), दोषीयोंको निष्कासित करना और को भिक्षुक आवासमें भेज देना या तो निम्न स्तरीय आवास में स्थानांतर करवाना,  आदिके लिये उत्तरदायी होगा.

१८    द्वितीय अधिकारीका कार्यालयः करप्राप्ति (टेक्ष कलेक्सन), दंडप्राप्ति, भाट प्राप्ति [(रेन्ट कलेक्सन) [यदि शासनने भाट (रेन्ट) पर दिया है तो], संकुलका अनुरक्षण (मेन्टेनन्स), संकुलके यंत्रोपर अवलोकन और अनुरक्षण, स्वच्छता, आदि संमिलित होगा और इन सबके लिये उत्तरदेय होगा.

एक नवसंरचित संकुलका विवरणः कोष्ठ, संकुलका एकम है. इसके समुच्चयसे आवास, उद्योग, सेवा, आतंरिक यातायात पथ ( कोमन पेसेजआदि नते हैं.

 आवास एवं व्यवसाय ग्राम संकुल

यह संकुलका आकर भूखंडके आधारपर सुनिश्चित किया जा सकता है.

संरचनाके आकार

भीन्न भीन्न आकार वाले ये संरचना निर्माण का एक चौरस एक प्रकोष्ठ दर्शाता नहीं है. ये केवल आकार ही है और परिमाण के अनुरुप और प्रकोष्ठकी क्रमसंख्यासे भी अनुरुप नहीं है.जो भूखंड उपलब्ध है उसके अनुरुप संरचनाका आकार निश्चित किया जा सकता है.

संरचना निर्माण के घटक कौन कौन होते है?

संरचनाके घटक पूर्व निर्मित स्थंभ (कोलम, पीलर), और फलककी ईकाईयां है. ये सब वज्रचूर्ण (सीमेन्ट) और इस्पात सलाखाओंके सुभग संमिलित रचना करनेसे (आरसीसी वर्कसे) निर्मित होती है.

पूर्व निर्मित इकाईयां 

मुख्य ध्येय को ध्यानमें रखते हुए हम अनेक आकृतिके ग्राम संकुल बना सकते है. इस ग्राम संकुलोंसे यातायातकी समस्याका पर्याप्त सीमा तक समाधान हो जयेगा. झोंपड पट्टी, अतिक्रमण, घुसखोरी, अराजकता, चोरी, डकैती, आदिकी समस्यांएं नष्ट हो जायेगी. सुरक्षा क्षतिहीन हो जायेगी, जनगणना अद्यतन अवस्थामें रहेगी. मिल्कतके दुराचार और भ्रष्टाचार एवं उसके कारण कालाधनका निर्माण आदि समस्याएं नष्ट हो जायेगी. चूनाव प्रचार, उसमें होनेवाली धांधलीका निर्मूलन, मतगणना, आदि सब सरल बनेगा. चूनाव खर्च शून्यके बराबर किया जा सकता है. क्यों कि निर्वाचन अधिकारी व्याख्यान मंच उपलब्ध करायेगा.

यह स्मार्ट ग्राम की नवसंरचना की रुपरेखा है और महात्मा गांधीके स्वप्नके भारतके अनुरुप है. इसमें स्ववलंबन भी है और एवं आधुनिक भी है.

शिरीष मोहनलाल दवे

टेग्झः ग्राम, भौगोलिक विस्तार, स्वावलंबन, नबसंरचना, निर्माण, संविदक, श्रम नियम, आवास, बहुस्तरीय, निर्माण, फलक, पूर्वनिर्मित, इकाईयां, घटक स्तंभ, वज्रचूर्ण, डंड, संकुल, व्यवसाय, सेवा, शासक, कार्यालय, संस्था, गृह उद्योग, कौशल्य, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, शिक्षण, विद्यालय, दुकान, सुरक्षा, अनुरक्षण, अभिज्ञान पत्र, सीसी टीवी केमेरा, संचार प्रौद्योगिका, वेब साईट, सोर उर्जा, सौर सारणी, सोलर पेनल, जल संचय, पुनश्चक्रण, खाद, संयंत्र, आबंटन, भाट, रेन्ट, व्यतिक्रमी, डीफॉल्टर,    

 

 

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