Posted in માનવીય સમસ્યાઓ, Social Issues, tagged अनुकुल अर्थघटन, असामाजिक तत्त्व, आम जनता असमंजस, आर.जे.डी., इन्दिरा घांडी, इमरान खान, एन.सी., एस.पी., कोंगी गेंग, जनविकास नीति, जे.डी.एस., टी.एम.सी., टी.डी.पी., डी.एम.के., देशस्थ आतंकवादी, नरेन्द्र मोदी, नहेरुवीयन, निर्णय, निश्चित, न्यायालय, पंच तंत्र, परस्पर सहकार, परोक्ष समर्थन, पाकिस्तान, पीडीपी, प्रचूर मात्रा, प्रधान मंत्री, बी.एस.पी., बीजेपी, भारत, रंग लायी, वकिल, विदेश नीति, विपक्ष गठबंधन, विपत्ति, समाधान, सर्जीकल स्ट्राईक, सामूहिक सर्वनाश, साम्यवादी की नज़दिकीयां घट रही है. सुरक्षा नीति, सुनिश्चित on March 9, 2019|
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भारतमें विपक्षकी सभी पार्टीयां सहमत हो गयी हैं कि …

जबसे बीजेपी शासन आयी है;
तबसे विपक्षकी पार्टीयां जैसे कि, कोंगी, एस.पी., बी.एस.पी., आर.जे.डी., टी.एम.सी., एन.सी., पीडीपी, डी.एम.के., टी.डी.पी., जे.डी.एस., साम्यवादी की नज़दिकीयां घट रही है.
जबसे बीजेपीकी विदेशनीति, सुरक्षानीति, जनविकास नीति रंग ला रही है तबसे उपरोक्त सभीपार्टीयां परस्पर इतनी हिलमिल गयी है कि उनके सदस्योंको भी मालुम नहीं है कि वे स्वयं किस विपक्षी पार्टीके सदस्यके कथनका समर्थन कर रहे है. इतना ही नहीं लेकिन उन्होने इस ५० मासमें असामाजिक तत्त्वोंसे और नक्षलीयोंसे भी समर्थन और परस्पर सहकार प्राप्त लिया है.
कोंगी गेंग
कुछ वर्षोंसे कोंगी-पक्षको, देशस्थ आतंकवादीयोंका परोक्ष समर्थन प्राप्त था. लेकिन कालांतरमें उसको सीमापारके आतंकवादीयोंका समर्थन भी मिलने लगा था. इसलिये कोंगी पक्ष अपने बलबुते पर चूनाव लडनेमें मुस्ताक था.
लेकिन जबसे बीजेपी/मोदीने उरी आक्रमण और पुलवामा-ब्लास्टका बदला लिया तबसे भारतीय विपक्षगठबंधन सामूहिक सर्वनाशके भयसे कांपने लगा है.
लेकिन पंच तंत्रमें कहा है कि;
जब भी विपत्ति आती है तो उसका निवारण भी उत्पन्न हो जाता है. जैसे कि; आगमिष्यति यत् पत्रम्, तत् तारिष्यति अस्मान् [जो पत्ता (पेडका पत्ता) आ रहा है वह हमे तारेगा (नदीके सामनेके छोर पर ले जाएगा)]
भारतीय विपक्षगठबंधनमें काले कोटवाले वकिल प्रचूर मात्रामें है;
सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि वकिल महाजन लोगोंका धेय धनप्राप्ति होता है. धनकी तूलनामें सभी चीजे गौण है. उनको प्रधान मंत्री नहीं बनना है. इस लिये, इन वकिलोंका कोंगीको शोभायमान करना स्वाभाविक ही है. एक मंत्री बन जाना, या तो प्रवक्ता बन जाना और अपने तरिकोंसे पैसे कमा लेना. ये बात तो लंबी है. इसका विवरण हम नहीं करेंगे.
लेकिन आप कहोगे कि अब तो कोंगी के नेतृत्ववाला शासन तो रहा नहीं तो ये वकिल लोग पैसे कैसे बना सकते है?
अरे भाई, नहेरुवीयनोंके पास जो पैसे है, उन नहेरुवीयनोंकी स्थावर और जंगम संपत्तिके आगे कुबेर भी मूँह छिपा लेता है. और कोंगी शासन अंतर्गत जो अन्य हवालावाले धनपति बने थे उनको मोदी-शासनमें, वकिलोंकी आवश्यकता पडने लगी है. इस प्रकार अब तो वकिलोंके दोनों हाथोंमें लड्डु है.
कोंगी कुछ ऐसा कहेती है;
लेकिन भाई, अपना शासन वह अपना शासन है. अपना शासन हो और उसके हम मंत्री, या कमसे कम प्रवक्ता हो तो बस क्या कहेना !!
“हाँ जी, आपकी बात सही है. और इसका मार्ग हमने निश्चित कर दिया है. बस अब थोडीसी मुश्किलें है, उसका समाधान करना है …९
आप कोंगी गेंगसे पूछोगे; “क्या आपने अपना मार्ग निश्चित कर दिया है और वह सुनिश्चित भी हो जायेगा ? क्या बात है? कमाल है? क्या आयोजन है आपका? कुछ बताओ तो सही !!
गेंग बोली; “देखो … मोदीकी सर्जीकल स्ट्राईकके विषय पर तो हमने कई प्र्श्न चिन्ह लगाया है. वैसे तो हमें देशकी मीडीयासे अधिकतर सहयोग नहीं मिला है, किन्तु कुछ विदेशी मीडीया , (जो पहेलेसे ही भारतकी बुराई करनेकी आदत वाले है), उन्होंने कुछ मुद्देकी चर्चा की है उसको हम हमारे अनुकुल अर्थघटन करके, हमारे विवादको अधिक बढावा दे के, आम जनताको असमंजसमें डाल सकते है. यह तो एक बाय प्रोडक्ट है. इससे क्या हुआ है कि पाकिस्तानकी सरकार और पाकिस्तानी मीडीया हमारे उठाये प्रश्नचिन्होंका सहारा लेके पाकिस्तानकी जनतामें विश्वास दिलाते है कि ये सभी सर्जीकल स्ट्राईक फर्जी थीं.
अब हुआ है ऐसा कि;
पाकिस्तानकी सुज्ञ जनता मोदीकी बात मान रही है. पता नहीं आखिरमें इसका नतीजा क्या होगा. वहाँकी जनता यदि मोदी आतंकवादीयोंका सफाया करें तो खुश है. वहाँकी जनता चाहती है मोदी जैसा प्रधान मंत्री पाकिस्तानको मिले.
कोंगी गेंगके लोग कहेते है; “आप यहाँ भारतकी परिस्थिति देखो. यहाँ जो मुसलमान है, उनके तो हम खाविन्द है. उनके मत तो हमे मिलने वाला ही है. हिन्दु आम जनता है उसको तो हम विभाजित करनेकी भरपूर कोशिस करेंगे. जितनी सफलता मिलेगी उतना ही हमें तो नफा होगा. मीडीयामें और सामाजिक तत्त्वोमें जिनकी दुकान बंद हो गयी है वे भी तो हमारे पक्षमें है. हम सब वंशवादी तो इकठ्ठे हो गये ही है. साम्यवादी और नक्षल वादी भी हमे सहयोग कर रहे है. सीमा पारके आतंकवादी हमें सहाय कर रहे है इस बातको शासकपक्ष उठावे उससे पहेले हमने ही प्रचारका प्रारंभ कर दिया है कि मोदीकी सर्जीकल स्ट्राईक फर्जी है. नरेन्द्रमोदीने और इमरान खानके साथ चूनावमें फायदा उठानेके लिये फीक्सींग किया है.
कोंगी गेंग आगे कहेती है; “अब देखो. हमारी समस्या थोडी अलग है. हमें डर है कि भारतके कुछ मुसलमान मोदीकी विकासकी बातोंमें और जनकल्याणकी बातोंमें आ सकते है. हमारे पास प्रधान मंत्रीके पदके लिये कोई सर्वमान्य नेता नहीं है. इस लिये हम सोचते है कि;
क्यूँ न हम इमरान खानको ही विपक्षका प्रधान मंत्री पद पर सर्वमान्य नेता घोषित करें !!
इसमें हमें फायदा ही फायदा है …
(१) सभी मुस्लिम आंखे बंद करके हमें वोट करेंगे …
(२) सर्जीकल स्ट्राईकके बारेमें हमने जो प्रश्नचिन्ह लगाये हैं, उनका फर्स्ट हेन्ड उत्तर इमरान खानको देनेका होगा. और इमरान खान तो हमें अनुरुप हो वैसा ही उत्तर देगा. वह थोडा कहेगा “आ बैल मुज़े मार”. इसलिये भारतकी सामान्य जनता को इमरान खान की बातको मानना पडेगा …
(३) इमरान खान की इमानदारी पर कोई भारतीय शक नहीं करेगा क्यों कि भारतमें एक प्रणाली हमने स्थापित की है कि जिसके उपर कोई आरोप नहीं, वह व्यक्ति यदि हमारा है, तो उसको “मीस्टर क्लीन” ही कहेनेका. जैसे कि, हमने राजिव गांधीको मीस्टर क्लीन का खिताब दे दिया था.
(४) पुरुषके लिये एक से अधिक शादी करना इस्लाममें प्रतिबंधित नहीं है. इस्लाममें बिना तलाक दिये पुरुष चार शादी कर सकता है. जब कि इमरानने तो तलाक दे कर शादियाँ की है. इमरान खान तो पवित्र पुरुष है.
(५) इमरान खान, आम जनताके कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है. इस लिये मोदी जो कहा करता है “कि मैं जनसामान्यकी भलाईके लिये प्रतिबद्ध हूँ” उसकी हवा निकल जायेगी. मोदीके काम को हम लोग फुक्का (रबरका बलुन जिसमें हवा भरकर बडा किया जाता है. पटेलोंको भी बलुन कहा जाता है. लेकिन यहां पर बलुन उस अर्थमें नहीं है) कहेते हैं वह भप्प करके फूट जायेगा.
(६) मोदी अपने वस्त्रोंकी और उपहार सौगादोंकी नीलामी करके गरीबोंकी योजनाओंमें दान कर देता है, तो इमरान खान तो सरकारी सामानकी भी नीलामी करके सरकारमें जो कर्मचारी काम करते हैं उनके वेतनका भूगतान करता है. क्या ये कम है?
(७) इमरान खान तो खूबसुरत भी है. हम उसकी खूबसुरतीका सहारा लेंगे. वैसे तो ऐसी बातोंकी तो हमें आदत है. प्रियंका वाईदरा-घांडीके रुप, स्वरुप, सुरुप, अदाएं, वस्त्र परिधान, वस्त्रोंके रंगोंकी उसकी अफलातून पसंद, वस्त्रोंके उपरका डीज़ाईन वर्क, ड्रेस मटीरीयलकी उच्चता, उसकी बहेतरिन चाल, केशकलाप, आंखे-नज़रें, उसके कथनोंके गुढार्थ आदि को विवरित करके प्रियंकाको बढावा दिया था और देते भी हैं. इस प्रकार, उसको जनतामें ख्याति, प्रख्याति देनेमें हम सक्रिय हो गये थे ही न? और आप जानते ही है कि प्रियंकाके आनेसे सियासी समीकरण बदल गये थे ऐसा भी हमने प्रसारित करवाया था. अब तो हमारे पास इमरानखान भी आ गया है. महिला वर्ग चाहे वह मुसलमान हो या हिन्दु, इमरान खानके उपर मरेगा. आपको मालुम है,राजिव गांधी की १९८४की जीतमें महिला मतोंका भारी योगदान रहा था. तो समज़ लो इमरानि खान भी दुसरा राजिव गांधी ही है. अरे भाई, इमरान खान को तो लेडी-कीलर माना जाता है.
(८) इसके अतिरिक्त हम, मोदी जो भी, विकासके बारेमें बोलता रहेता है वह सब जूठ है, इस बातको हम बढावा देंगे. अरे भाई जब युवा लोग ही बेकार है, तो विकास कैसे हो सकता है? विकासकी सभी बातें जूठ ही है. यदि भारतके युवाओंको काम मिलेगा तभी तो वे बेकार नहीं रहेंगे. यदि युवा लोग ही बेकार है तो काम होता ही कैसे? क्या भूत-प्रेत आके मोदीका विकासका काम करते हैं?
(९) कुछ लोग व्यर्थ और मीथ्या प्रालाप करते हैं कि;
(९.१) इमरान खान तो पाकिस्तानका नागरिक है. भारतका प्रधान मंत्री तो क्या संसदका सदस्य बनने के लिये भी भारतका नागरिकत्व चाहिये.
लेकिन हम कोंगीयोंके हिसाबसे यह सब बकवास है. अरे भाई, हम तो उसको बेक-डेटसे (रीट्रोस्पेक्टीव इफेक्टसे =भूतलक्षी प्रभावसे) भारतका नागरिक बनादेंगे. अरे भाई फर्जी कागजात बनाना हम कोंगीयोंके लिये बायें हाथका खेल है. सरकारी अफसरोंमें हमारी पहूँच अभी भी कम नहीं है.
“आप कहोगे कि यदि बात न्यायालय में जायेगी और भंडा फूट जायेगा तो?
“अरे भाई, समजो जरा … वकिल लोग किसके पास ज्यादा है? तुम्हारे पास कोई भी वकिल हो, हमारे पास राम है. यानी कि राम जेठमलानी है. वे अति अति वरिष्ठ है.उनकी बात तो न्यायालयको माननी ही पडेगी. और तूम्हे ज्ञात नहीं होगा कि हम सेटींगमें सिर्फ “जमानत” ही ले सकते है इतना नहीं है, हम किसी भी केसको दशकों तक ठंडे बक्षोंमे डाल सकते है. तब तक तो हमारा इमरान खान प्रधान मंत्री रहेगा ही न.
(९.२) अरे तुम याद करो. १९६९के चूनावमें हमारी आराध्या इन्दिरा माईने यही तो किया था. उसका चूनाव का केस, उच्च न्यायालयमें चलता था. सालो तक चला. जब निर्णय आया तो पता है निर्णय के क्या शब्द थे? “इन्दिरामाईकी संसद सदस्यता रद हुई और वह ६ वर्षके लिये चूनावी प्रत्याशीके लिये अयोग्य ठहेरी. तो भी वह प्रधान मंत्री पदके लिये चालु रह सकती है” और वह प्रधान मंत्री पद पर चालु रही उतना ही नहीं, उसने आपातकाल भी घोषित किया. और जो तकनीकी वजहसे वह अयोग्य ठहेरी थी उस नियमको रीट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से (भूत लक्षी प्रभावसे) बदल डाला. अब देखो जो संसद सदस्यके लिये योग्य ६ सालके लिये योग्य नहीं है, और जिसको ६ महिनेमें ही संसदका सदस्य बनना है जो बिलकुल अशक्य है, तो भी वह प्रधान मंत्री पद पर बनी रहेती है. है न, न्यायालयका कमाल? हम कोंगी लोग, जब बात हम नहेरुवीयनोंके उपर आती है, तो हम नामुमकिनको मुमकिनमें बदल देते हैं. खास करके न्यायालयके अनुसंधानमें ऐसा करना हमें खूब आता है.
(९.३) हम शासक नहीं होते है तो भी हम सरकारस्थ अधिकारीयोंको पोपट बना सकते है. परोक्ष तरिकेसे तो हम कर ही सकते है. देखा न आपने राम-जन्म भूमिका मामला?
(९.४) आप कहोगे, कि, तो फिर रा.घा.का क्या होगा?
अरे भाई, वैसे भी पाकिस्तानमें इमरान खान आर्मी और आई.एस.आई. के रीमोटसे तो शासन करता है. तो भारतमें भी वह रा.घा., सोनिया, प्रियंका, रोबर्ट इन चारोंका मौना बनके रहेगा क्योंकि उनके पास ही तो रीमोट रहेगा. इमरान खानको क्या फर्क पडेगा. इमरान खान तो मनमोहन सिंघ की तरह अंगूठा मारनेका काम करता रहेगा.
(१०) इस मामले पर पाकिस्तानी जनता खुश है. क्यों कि उनको वैसे भी मोदी जैसा प्रधान मंत्री चाहिये. अब यदि उनको मौदी खुद ही प्रधान मंत्रीके पद पर मिल जाय तब तो बल्ले बल्ले.
शिरीष मोहनलाल दवे
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Posted in માનવીય સમસ્યાઓ, Social Issues, tagged अफज़ल प्रेमी गेंग, अब्दुल गनी लोन, अभिव्यक्तिकी आज़ादी, अल बद्र, अवैध संपत्ति, असहिष्णुता, आ बैल मुज़े मार, आतंकवादी, आत्मघाती, इन्दिराने आत्मसात्, ओमर अब्दुल्ला, कश्मिर हिन्दु, कोंगीके सांस्कृतिक सहयोगी, ख्रीस्ती दलित पटेल जट यादव सब भाई भाई भाई भाई भाई, गेम प्लान, चूं तक नही, जूठ बोलना, जे एन्ड के लीबरेशन फ्रन्ट, जैश ए मोहमद, डीबी भाई, दुकान चालु, पाकिस्तान, फारुख अब्दुल्ला, बिकाउ, बुद्धिजीवी, मणीशंकर अय्यर, महागठबंधन, माहोल, मिरवाज़ ओमर फारुख, मीडीया, मुफ्ति मोहमद, मुसलमान ख्रीस्ती भाई भाई, मोदी/बीजेपी, मोहमद अब्बास अन्सारी, यासीन मलिक, लश्करे तोइबा, विभाजनवादी गेंग, विश्लेषक, शेखर गुप्ता, सर्जीकल स्ट्राईक, सुज्ञजन, सूचितार्थ, सैयद अली गीलानी, स्थानिक, स्वयं प्रमाणित, हरकत उल जिहाद, हरकत उल मुज़ाहीन, हिजबुल मुज़ाही दीन, २०१९का चूनाव on February 19, 2019|
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पाकिस्तानके बुद्धिजीवीयोंको चाहिये एक नरेन्द्र मोदी … और …. – ३
पाकिस्तान के आतंकवादीयोंने स्थानिक लोगोंकी मददसे भारतकी सेना पर बोम्ब ब्लास्ट किया इससे अस्थायी रुपसे बीजेपी/मोदी विरोधीयोंने हिन्दुओंकी एवं बीजेपी समर्थकोंकी असहिष्णुताके बारेमें बोलना बंद किया है.

पहेले जिन शब्दोंके उच्चारणोंका ये अफज़ल प्रेमी गेंग अपना हक्क और अपने इस हक्कको लोकशाहीका एक अभिन्न अंग मानते है, और उसकी दुहाई देते थे उन्ही लोगोंने उनके पुनः उच्चारण पर एक अल्पविराम लगा दिया है. वे लोग दिखाना यह चाहते है कि हम भी सिपाईयोंके कुटुंबीयोंके दर्दमें सामील है. क्या यह इन अफज़लप्रेमी गेंगका विचार परिवर्तन है?
जिन शब्दोंको पहेले अभिव्यक्तिकी आज़ादी माना जाता था वे शब्द कौनसे थे?
पाकिस्तान जिंदाबाद,
भारत तेरे टूकडे होंगे
कश्मिरको चाहिये आज़ादी,
छीनके लेंगे आज़ादी,
बंदूकसे लेंगे आज़ादी,
अफज़ल हम शर्मिंदा है, कि तेरे कातिल जिन्दा है,
कितने अफज़ल मारोगे… घर घरसे अफज़ल निकलेगा,
आज इन्ही लोगोंमें इन सबका पुनः उच्चारण करनेकी शौर्य नहीं है.
ऐसा क्यों है?
पाकिस्तानके, आई.एस.आई.के, पाकिस्तानी सेनाके और आतंकवादीयोंके चरित्रमें तो कोई बदलाव आया नहीं है. फिर भी ये लोग अपने विभाजनवादी उच्चारणोंकी पुनरुक्ति क्यों नहीं करते? पहेले तो वे कहेते थे कि उच्चारणोसे गद्दारी सिद्ध नहीं होती है. ये नारे तो जनतंत्रका अभिन्न हिस्सा है. मोदी/बीजेपी वाले तो संविधानका अनादर करते है और यह मोदी/बीजेपी जैसे जनतंत्रके विध्वंशक है और वे हमारी अभिव्यक्तिकी आज़ादी छीन रहे है.
यदि कोई समज़े कि ये स्वयंप्रमाणित स्वतंत्रताके स्वयंप्रमाणित सेनानीयोंको मोदी/बीजेपीकी विचारधारा समज़में आ गयी है तो आप अनभिज्ञतामें न रहे. पाकिस्तान प्रेरित ये आतंकवादी आक्रमणसे जो पाकिस्तान विरोधी वातावरण बना है इस लिये इन विभाजनवादी गेंगोंमें फिलहाल हिमत नहीं कि वे पाकिस्तान का समर्थन करे. उन्होंने एक अल्प समयका विराम लिया है. अब तो यदि कोई इस हमलेको “पाकिस्तानकी भारतके उपर सर्जिकल स्ट्राईक कहे … इतना ही नहीं पाकिस्तान जिन्दाबाद कहे और भारत सरकार उसके उपर कारवाई करें तो भी ये लोग अभिव्यक्तिकी आज़ादी के समर्थनमें चूँ तक नहीं बोलेंगे. हाँ जी अब आप पाकिस्तान जिंदाबाद तक नहीं बोल सकते.
विभाजनवादी गेंगोंका मौन रहना और सरकारके उच्चारणोंका और कदमोंके विरुद्ध न बोलना और मौन द्वारा समर्थन प्रदर्शित करना ये सब हकिकत क्या है?
हम जानते ही है कि पुरस्कार वापसी, हिन्दुओंकी अन्य धर्मोंके प्रति असहिष्णुता, बीजेपी सरकार द्वारा जनतंत्रका हनन, नारे लगानेसे गद्दारी सिद्ध नहीं होती… आदि वाक्चातुर्य दिखाने वालोंका समर्थन, वंशवादी कोंगी नेताओंने, टीवी चेनलओंने, मूर्धन्योंने विवेचकोंने, विश्लेषकोंने, कोंगीके सांस्कृतिक सहयोगीओंने उनके पास चलकर जाके किया था.
क्या ये सब तो कोंगीयोंकी एक बडी गेम का हिस्सा था?
कोंगीयोंकी और उनके सांस्कृतिक साथी पक्षोंकी गेम क्या है?
हम जानते हैं कि जूठ बोलना कोंगीयोंकी पूरानी आदत है. चाहे वह नहेरु हो, इन्दिरा घांडी हो, राजिव घांडी हो, सोनिया घांडी हो या रा.घा. (रा.गा.) हो. अमान्य तरिकोंसे पैसे कमाना यह भी इन्दिराने आत्मसात् की हुई आदत है. इन सबसे सत्ता प्रप्त करना और सत्ता प्रप्तिके बाद भी यह सब चालु रखना यह उनका संस्कार है.
अब हुआ क्या, कि कौभान्डोंके कारण कोंगीकी सत्ता चली गई. और नरेन्द्र मोदीने अवैध तरिकोंसे प्राप्त संपत्तिके लिये जाँच बैठा दी. वैसे तो कई किस्से पहेलेसे ही न्यायालयमें चलते भी थे. इन जाँचोंमेंसे निष्कलंक बाहर आना अब तो मुश्किल हो गया है, क्यों कि अब तो उनके पास सत्ता रही नहीं.
तो अब क्या किया जाय?
सत्ताप्राप्त करना अनिवार्य है. हमारा मोटो सत्ताप्राप्त करना. क्यों कि हमे बचना है. और बचनेके बाद हमारी दुकान चालु करनी है.
सबने मिलकर एक महागठबंधन बनाया. क्योंकि अवैध संपत्ति प्राप्ति करनेमें तो उनके सांस्कृतिक साथी पक्ष और कई मीडीया कर्मी भी थे. अब इस मोदी/बीजेपी हटाओके “गेम प्लान”में सब संमिलित है.
चूनाव उपयुक्त माहोलसे (वातावरण बनानेसे) जिता जाता है. मोदी/बीजेपीके विरुद्ध माहोल बनाओ तो २०१९का चूनाव जिता जा सकता है.
जूठ तो हम बोलते ही रहे है, हमारा रा.घा. (रा.गा.) तो इतना जूठ बोलता है कि वह सुज्ञ जनोंमे अविश्वसनीय हो गया है. लेकिन हमें सुज्ञ जनोंसे तकलिफ नहीं है. उनमेंसे तो कई बिकाउ है और हमने अनेकोंको खरिद भी लिया है. मीडीया भी बिकाउ है, इस लिये इन दोंनोंकी मिलावटसे हम रा.घा. को महापुरुष सिद्ध कर सकते है. अभी अभी जो मध्यप्रदेश, और राजस्थान और छत्तिसगढ में जित हुई है उसको हम मीडीया मूर्धन्योंकी सहायतासे रा.घा.के नाम करवा सकते है. रा.घा.के लगातार किये जा रहे जी.एस.टी., विमुद्रीकरण और राफेल प्रहारोंको हम अपने मीडीया मूर्धन्यों के द्वारा जिन्दा रखेंगे. प्रियंका को भी हम समर भूमिमें उतारेंगे और उसके सौदर्यका और अदाओंका सहारा लेके उसको महामाया बनाएंगे.
कोंगीके सीमा पारके मित्रोंका क्या प्लान है?
मणीशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाके कहा था कि, “मोदी को तो आपको हटाना पडेगा” जब तक आप यह नहीं करोगे तब तक दोनों देशोंके पारस्परिक संबंध और वार्ता शक्य नहीं बनेगी.
इसका सूचितार्थ क्या है?
“हे पाकिस्तानी जनगण, आपके पास मूर्धन्य है, आपके पास आइ.एस.आइ. है, आपके पास सेना है, आपके पास कई आतंकवादी संगठन है. याद करो… आपने उन्नीसौ नब्बे के दशक में कश्मिरके हमारे सहयोगी पक्षके मंत्रीकी पूत्री तकका हरण कर सकनेका सामर्थ्य दिखाया था. तो हमने आपके कई आतंकवादी महानेताओंको रिहा किया था. हमारे शासनके बाद की सरकारने भी कुछ आतंकवादी नेताओंको रिहा किया था. आपके पास हरकत उल जिहाद, लश्करे तोइबा, जैश ए मोहमद, हिजबुल मुज़ाही दीन, हरकत उल मुज़ाहीन, अल बद्र, जे एन्ड के लीबरेशन फ्रन्ट जिसको फुलेफलने हमने ही तो आपको मौका दिया था. आपके समर्थक
अब्दुल गनी लोन, सैयद अली गीलानी, मिरवाज़ ओमर फारुख, मोहमद अब्बास अन्सारी, यासीन मलिक आदि कई नेताओंको, हमने पालके रक्खा है और हमने उनको जनतंत्रका और संविधानका फर्जी बहाना बनाके श्रेष्ठ सुविधाएं दी है. तो ये सब कब काम आयेंगे? और देखो … आपके खातिर ही हमने तो इज़राएलसे राजद्वारी संबंध नहीं रक्खे थे. आपको तो हम, हर प्रकारकी मदद करते रहे हैं और कश्मिरकी समस्या अमर रहे इस कारणसे हमने आपकी हर बात मान ली है. मुफ्ति मोहमद, फारुख अब्दुल्ला और ओमर अब्दुल्ला आदि तो हमारे भी मित्र है.
“अरे भाई, आपकी सुविधा के लिये आपके लोगोंने जब कश्मिरमें हजारों हिन्दु स्त्रीयों पर बलात्कार किया, ३०००+ हिन्दुओंका कत्ल किया जब ५ लाख हिन्दुओंको कश्मिरसे १९८९-९०मे बेघर किया तो हमारी कानोंमें और हमारे पेईड आदेशोंके प्रभावके कारण हमारी मीडीयाकी कानोंमे जू तक रेंगने नहीं दी थी. क्या ये सब आप भूल जाओगे?

“अरे भाई, ये फारुख और ओमर को तो हमने मुख्य मंत्री भी बना दिया था. और हमने भरपूर कोशिस की थी कि फिरसे ये साले कश्मिरी हिन्दु, कश्मिरमें, फिरसे बस न पाये. ये भी क्या आप भूल गये? हमने आपको मोस्ट फेवर्ड राष्ट्रका दरज्जा दिया है, हमने आपके दाउदको भारतसे भागनेकी सुविधा दी थी. और भारतके बाहर रखकर भी भारतमें अपने संबंधीओ द्वारा अपना कारोबार (हवाला-वाला, तस्करी, हप्ता, बिल्डरोंकी समस्या आदि आदि) चला सके उसके लिये भरपूर सुविधाएं दी है उनको भी क्या आप भूल जाओगे? अरे भाई आपके अर्थतंत्रमें तो दाउदका गणमान्य प्रभाव है. क्या आप इसको भी भूल जाओगे?
“अरे मेरे अय्यर आका, आपको क्या चाहिये वह बोलो न..!!” पाकिस्तान बोला
मणीशंकर अय्यर बोले; “ देखो, मुज़े तो कुछ नहीं चाहिये. लेकिन आपको पता होगा कि मुज़े भी किसीको जवाब देना है … !!
“हाँ हाँ मुसलमान ख्रीस्ती भाई भाई … यही न !! अरे बंधु, वैसे तो हम मुसलमान, ख्रीस्ती और दलित भाई भाई भाई वैसा प्रचार, आपके यहाँ स्थित हमारे नेताओंसे करवाते है, लेकिन हमसे वह जमता नहीं है, वैसे भी हिन्दुओंको जातिके आधार पर विभाजित करनेका काम तो आप कर ही रहे हो न? जरा और जोर लगाओ तो मुसलमान, ख्रीस्ती दलित, पटेल, जट, यादव सब भाई, भाई, भाई, भाई भाई हो जायेगा ही न?” पाकिस्तान बोला.
“सही कहा आपने” अय्यर आगे बोले; “हमारा काम तो हम कर ही रहे है. हम कुछ दंगे भी करवा रहे है, आपको तो मालुम है कि दंगे करवानेमें तो हमे महारथ हांसिल है, लेकिन यह साला मोदी, बीजेपी शासित राज्योंमें दंगे होने नहीं देता. हम हमारे महागठबंधनवाले राज्योंमें तो दंगे करवाते ही है, लेकिन उसकी भी एक सीमा है. आप कुछ करो न…? कुछ बडे हमले करवाओ न…? हम आपको, जो भी भूमिगत सहाय चाहिये, वह देगें. हम ऐसे आतंकी हमले मोदी/बीजेपी/आरएसएस/वीएचपी ने करवाये वैसी व्युह रचना करवाएंगे. लेकिन यदि आप बोंम्बे ब्लास्ट जैसा, हमला करवायेंगे तो ठीक नहीं होगा. वह साला कसाब पकडा गया, तो इससे हमारा पुरा प्लान फेल हो गया. वह ब्लास्ट आपके नाम पर चढ गया. इसलिये आप हमेशा आत्मघाती आतंकीयोंको ही भेजें. हमने जैसे मालेगाँव बोम्ब ब्लास्ट, हिन्दुओंने करवाया था, ऐसा प्रचार सालों तक हमने किया था और २००९के चूनावमें हमने जित भी हांसिल कर ली थी. आपका आदमी जो पकडा गया था उसको हमने भगा भी दिया था. क्यों कि हमारी सरकार थी न, जनाब.
“तो अभी आप हमसे क्या चाहते है? “ पाकिस्तानने बोला
“आपके पास दो विकल्प है” कोंगीनेताने आगे बोला “आपके पास कई आतंकवादी संगठन है. आप उनको कहो कि वह मोदीकी गेम कर दें. हमने गत चूनावमें बिहारमें मोदीको मारनेका प्लान किया था. मोदीकी पटनाकी रेली में हमने मोदीकी गेमका प्लान बनाया था. लेकिन साला मोदी बच गया. अब आप ऐसा करो कि यदि मोदीकी गेमका फेल हो जाय तो भी दुसरे विकल्पसे हमें मदद मिलें. आप कुछ बडे आतंकवादी हमले करवा दो, कोई और जगह नही तो तो कश्मिरमें ही सही.
“इससे क्या फायदा” पाकिस्तान बोला.
“देखो बडे हमले से भारतमें बडा आक्रोष पैदा होगा. बदले कि भावना जाग उठेगी. समय ऐसा निश्चित करो कि, मोदीके लिये बदला लेनेका मौका ही न रहे. मोदी न तो युद्ध कर सकेगा न तो सर्जीकल स्ट्राईक कर सकेगा. यदि मोदीने सर्जीकल स्ट्राईक कर भी दी तो वह विफल हो जायेगा, क्यों कि आप तो सुरक्षाके लिये तयार ही होगे. मोदीके फेल होनेसे हमे बहोत ही फायदा मिल जायेगा. कमसे कम एक मुद्दा तो हमारे पास आ जायेगा कि मोदी १००% फेल है. वैसे तो हम, मोदी हरेक क्षेत्रमें फेल है, ऐसी अफवाहें फैलाते ही रहेतें है. लेकिन इस हमले के बाद मोदीकी जो पराजय होगी, इस फेल्योरको तो मोदी समर्थक भी नकार नहीं सकेंगे. हमारी मीडीया-टीम तो तयार ही है.
“बात तो सोचने लायक है” पाकिस्तान बोला.
“अरे भाईजान अब सोचो मत. जल्दी करो. समय कम बचा है. चूनावकी घोषणाका एक मास ही बचा है. जैसे ही एक बडा ब्लास्ट होगा, हमारे कुछ मीडीया मूर्धन्य दो तीन दिन तो सरकारके समर्थनमें और आपके विरुद्ध निवेदन बाजी करेंगे. धीरे धीरे चर्चाको मोदी की विफलताकी ओर ले जायेंगे.
बडा ब्लास्ट करना है तो पूर्व तयारी रुप काम करना ही है.
जम्मु कश्मिर राज मार्ग पर एक आतंकी/आतंकी समर्थक गाडी ले के निकला. रास्तेमें तीन चेक पोस्ट आये. दो चेक पोस्ट वह तोडके निकल गया. लेकिन जब तीसरा चेकपोस्ट उसने तोडा और भागा तो तीसरे चेकपोस्टवाले सुरक्षा कर्मीने गोली छोडी और वह आदमी अल्लाहका प्यारा हो गया. फिर तो कोंगी गेंग वाले मीडीया मूर्धन्य और फारुख, ओमर और महेबुबा आदि तो अपना आक्रोष प्रदर्शित करनेके लिये तयार ही थे. उन्होंने “एक सीटीझन को मार दिया, एक निर्दोष मानवीकी हत्या की, एक बेकसुरको मार दिया, एक मासुम को मार दिया…” मीडीया मूर्धन्योंने इस घटनाकी भर्त्सना करनेमें पूरा साथ दिया और कोंगी शासनकी कृपासे बने हुए नियमों से उस जवान को कारावासमे भेज दिया. फिर यह सब चेक पोस्ट हटवा लिया. इसका फायदा पुलवामा में ब्लास्ट करनेमें आतंकीयोंने लिया.
अब कोंगीयोंका क्या चाल है?
कोंगीके सहायक दलोंने दो दिन तक तो मगरके आंशुं बहाये. लेकिन उसके कुछ मीडीया मूर्धन्य और मीडीया मालिक अधीर है. गुजरात समाचारकी बात तो छोडो. उसने तो पहेले ही दिन मोदीका ५६” की छातीपर मुक्का मार दिया. यह अखबार हमारी कोमेंट के लिये योग्य स्तर पर नहीं है. वह तो टोईलेट पेपर है
लेकिन तीसरे दिन डीबीभाईने (“दिव्य भास्कर” अखबारने) मैदानमें आगये. उन्होंने मोदीको प्रश्न किया “अब तो मुठ्ठी खोलो और बताओ कि बदला कब लोगे?

मतलब की किस प्रकारका बदला कब लोगे वह हमें (“हमें” से मतलब है जनता को) कब कहोगे?
डीबीभाईकी बालीशता या अपरिपक्वता?
“आ बैल मुझे मार”
सरकार अपने प्रतिकारात्मक कदम पहेलेसे दुश्मनको बता दें, वह क्या उचित है? कभी नहीं. यदि कोई बेवकुफ सरकारने ऐसा किया तो वह “आ बैल मुज़े मार” जैसा ही कदम बनेगा. क्या ऐसी आसान समज़ भी इस अखबारमें नहीं है? शायद सामान्य कक्षाकी जनता, इस बातको समज़ नहीं सकती, लेकिन यदि एक विशाल वाचक वर्ग वाला अखबार, मोदीके विरुद्ध माहोल बनाने के लिये ऐसी बेतुकी बाते करे वह अक्षम्य है. वास्तवमें अखबार का एजन्डा, आम कक्षाकी जनताको गुमराह करनेका है. ताकि जनता भी मोदी पर दबाव करे कि मोदी तुम अपना प्रतिकारात्म प्लान खुला करो.
डीबीभाई के मीडीया मूर्धन्य कोलमीस्ट भी डीबीभाई से कम नहीं.
शेखर गुप्ताने तो एक परोक्ष मुक्का मार ही दिया. “क्या मोदी ‘इस कलंक’ के साथ चूनाव लड सकता है.?” मतलब कि शे.गु. के हिसाब से यह ब्लास्ट, “मोदीके लिये कलंक है.” याद करो कोंगी के नेतृत्ववाली सरकारमें तो आये दिन आतंक वादी, देशके भीतरी भागोंमें घुस कर बोम्ब ब्लास्ट किया करते थे तो भी इन महानुभावोने कोंगी उपर लगे वास्तविक कलंकको अनदेखा किया था. और प्रमाणभान रक्खे बिना, बीजेपी के विरुद्ध प्रचारको कायम रक्खा था. कोंगी अनगीनत कौभान्डोसे आवरित होने पर भी कोंगी के नेतृत्व वाली सरकारको जितानेमें भरपुर सहयोग दिया था. आज मोदीने आतंकवाद को काश्मिरके कुछ इलाकों तक सीमित कर दिया है और जो हमला हुआ उसके लिये तो, महेबुबा मुफ्ति, ओमर अब्दुल्ला, फारुख और कोंगीके नेतागण उत्तरदेय है. उनके उपर ही कार्यवाही करना चाहिये. इस हकिकतका तो, शे.गु. जिक्र तक नहीं करता है. उनका दिमाग तो जनताको उलज़नमें डालनेका है.
ममताने तो अभी से बोल ही दिया कि बिना सबुत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी नेताओं पर कार्यवाही करनेको कहेना सही नहीं है. ममता का माइन्ड-सेट कैस है इस बातको आपको देखना चाहिये. कोंगीके कार्यकालमें और उरी एटेकमें सबुत दिये तो उसपर कार्यवाही क्यों नहीं की? इस तथ्यका ममता जिक्र नहीं करेगी. क्यों कि वह चाहती है कि अधिकतर मुसलमान और नेता आतंकवादी हमलेसे खुश है और उनको मुज़े नाराज करना नही चाहिये. केज्रीवाल और ममता एक ही भाषा बोलते है क्यों कि मुसलमान उनकी वोट-बेंक है.
सुज्ञ मुसलमानोंको ऐसे कोमवादी पक्षोंको वोटदेना नहीं चाहिये.
कोंगी और उसके सांस्कृतिक अहयोगी थोडे ही दिनोंमें “पुलवामा” एपीसोड के बीजेपी पर आक्रमण करने लगेंगे. क्यों कि सब उनके आयोजनके हिसाबसे आगे बढ रहा है.
यदि पाकिस्तान मोदीको हटाने पर तुला हुआ है. तो “पाकिस्तानको एक मोदी चाहिये” उसका मतलब क्या?
वास्तवमें पाकिस्तानकी जनता उनकी भ्रष्ट सियासतसे, सेनासे और आतंकवादीयोंसे तंग आ गई है. पाकिस्तानकी जनताका स्वप्न है उन्हे मोदी जैसा इमानदार, त्यागी, ज्ञानी, काम करनेवाला और होशियार प्रधान मंत्री मिले.
और भारतकी जनताको स्वप्नमें भी खयाल नहीं था कि उसको इमानदार, त्यागी, ज्ञानी, काम करनेवाला और होशियार प्रधान मंत्री मिल सकता है. वास्तवमें ऐसा प्रधान मंत्री भारतकी जनता को मिला, तो भारतके तथा कथित मीडीया मूर्धन्य, भारतकी जनता कैसे मोदी-मूक्त बने उसके बारेमें कारवाईयां कर रही है. यह भी एक विधिकी वक्रता है.
शिरीष मोहनलाल दवे
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