लुट्येन क्यूँ “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – ३ / ३
अब हम “आम आदमी पक्ष” (केज्रीवाल), टी.एम.सी. (ममता), …. एवं कोंगीयोंकी (नहेरुवीयनों की) निर्लज्जता देखेंगे.
सी. ए. ए. के अनुसार जो नोन – मुस्लिम लोग, डीसेंबर २०१४ से पहेले आये है, उन नोन-मुस्लिमोंको नागरिकता दी जायेगी.
नोन – मुस्लिम लोग
यदि देखा जाय तो सी. ए. ए. की आवश्यकता ही नहीं है.
क्यों कि नहेरु लियाकत अली करार के अनुसार, भारत सरकार का फर्ज बनता है कि पाकिस्तान से जो भी नोन – मुस्लिम धर्मके आधार पर पीडित हो कर, भारतमें जब भी आवे, तो बिना किसी “कट ऑफ्फ डेट” उनको नागरिकता दें. नहेरु – लियाकत अली करारमें शरणार्थीयोंको नागरिकता देनेके लिये कोई कट – ऑफ्फ डेट है ही नहीं.
फिर भी बीजेपी सरकारने “सी.ए.ए.” में कट – ऑफ्फ डेट क्यूँ रक्खी है, यह संशोधनका विषय है.
केज्रीवाल क्या बोलता है?
केज्रीवाल चालाकी पूर्वक धर्मका नाम लिये बिना, कट ऑफ्फ डेटका जीक्र किये बिना, वह “विदेशी” शब्दका उपयोग करके नोन – मुस्लिम जनता विरुद्ध हवा पैदा करके उनको गुमराह करना चाहता है.
केज्रीवाल बोलता है कि, इन सब विदेशीयोंको बीजेपी सरकारने आमंत्रण दिया है.
केज्रीवाल आगे बोलता है; “ये लोग हमारी नौकरी छीन लेंगे, ये लोग हमारा धंधा छीन लेंगे, ये लोग हमारे टेक्षकी कमाईसे सेलेरी लेंगे, ये लोग पेंशन लेंगे, ये लोग यहां चोरी चपाटी करेंगे. ये लोग गुंडागर्दी करेंगे, खून करेंगे, अराजकता फैलायेंगे, प्रदर्शन करेंगे, सभा सरघस निकालेंगे, मकानोंको आग लगायेंगे, बसोंको जलायेंगे, रेल्वेकी पटरी निकाल देंगे, ड्रोनसे तबाही मचाएंगे ….
वास्तवमें क्या है?
सरकारी रेकोर्ड पर है कि, पडौसी इस्लामिक घुसपैठीयोंने, रोहींग्या मुस्लिमोने, रेडीकल आम मुस्लिमोंने एवं विपक्षके बीजेपी-विरोधी समाचार माध्यमोंने मिलकर, भारतमें सी. ए. ए. के विरुद्ध अनेक जगह, तीव्र आंदोलन किया था और करते है. इनमेंसे कोई भी “टु ध पोईंट” तार्किक चर्चा करने को तयार नहीं थे और न तो तयार है. वे प्रायोजित आंदोलन करते थे और करते है. और ये सब सराकारी रेकॉर्ड पर है. ये सब आंदोलनकारी कभी भी कारावास जा सकते है.
केज्रीवालको लगातार जूठ ही तो बोलना है.
केज्रीवाल और उसके साथी सब कुछ बोल सकते है, जब अपने फायदेके लिये जूठ बोलने की छूट है तो सच क्यूं बोलना? निशाने पर जिनको रक्खा है, उनके लिये, कुछ भी बूरे से बुरा कह दो. हमारा क्या जाता है? केस होगा तो माफी माँग लेंगे. हमने कहाँ नीजी फायदेके लिये जूठ बोला था? हमने तो जो कुछ भी बोलते थे या बोलते है, वह देश हितके लिये बोला था और बोलते है और बोलते रहेंगे. हमने तो इस प्रकारसे नरेंद्र मोदीको आगाह किया था. यदि हम पर कोई केस करेगा और यदि न्यायधीश माफी मांगनेको कहेगा तो हम माफी मांग लेंगे. यदि न्यायाधीश बोलेगा कि, माफीसे काम नहीं चलेगा, दंड भरना पडेगा, तो हम दंड भर देंगे. उसमें हमारा क्या जाता है? हमें दंड कहाँ अपनी जेबसे भरना है? हमें तो दंड सरकारी खजानेसे तो भरना है. जब हम हमारे महंगे वकील की फीस भी सरकारी खजानेसे भरते है तो दंड क्या चीज है?
ममता बेनर्जी क्या कहेती है?
वह मुस्लिम बाहुल्य विस्तारमें जाकर कहेती है कि “आपको टी. एम. सी. को ही वोट देना है. यदि आप गलती करोगे तो खुदा माफ नहीं करेगा. मैं तो कभी भी माफ नहीं करुंगी.”
याद करो जब ममता बेनर्जी, नंदीग्रामसे अपना चूनाव हार गयी थी तो उसने मुस्लिम गुंडोंकी मददसे नंदिग्रामके गरीबोंका क्या हाल किया था? सभी प्रकारके अत्याचार किये थे. गरीबोंके उपर ही ममता आतंक फैला सकती है. क्यूँ कि गरीब लोग ही न्यायालयमें जानेकी हिमत नहीं जूटा सकते है. उनको पता है कि, लुट्येनोंकी बनायी हुई, न्यायप्रणाली गरीबोंको कभी न्याय दे सकती नहीं है.
१९८९ – ९० में जो अत्याचार कोंगी और उनके सहयोगी मुस्लिम पक्षोंने, स्थानिक एवं क्रोसबोर्डर आतंकवादीयोंका सहारा ले कर, जम्मु-काश्मिर के हिंदुओंके उपर खुले आम, हर प्रकारका आतंक करके, उनको बेघर किया था. उसी तरह ममताने भी अपनी हारका बदला लेनेके लिये नंदिग्रामको मीनी-जम्मु & काश्मिर बनादिया था.
नहेरु, नहेरुवीयनोंका और कोंगीयोंका आतंकवाद और लूट तो हमने ७० साल तक देखा है. ये भी सब रेकोर्ड पर है.
क्या २०२४के चूनावमें राष्ट्रवादी भारतीय नेतागण, भारतके मूर्धन्यगण, राजकीय विश्लेषक, सीना तानके स्फुट शब्दोंमें विभाजन वादी एवं लुटेरोंके विरुद्ध मैदानमें आ सकते है?
ये लोग ऐसा मत सोचें कि उपरोक्त बीजेपी – विरोधी, कभी न कभी तो दंडित होने वाले है और कारावास जाने वाले ही है. समय अपना काम कर ही रहा है, तो समय को अपना काम करने दो. ईश्वर जो कुछ भी करेगा वह ठीक ही करेगा.
लेकिन याद रक्खो, ईश्वर उनको ही मदद करता है जो स्वयंको मदद करता है. देशको फिरसे विश्वके उच्च स्तर पर ले जाना हमारा कर्तव्य है.
शिरीष मोहनलाल दवे का जय जगत
तमसो मा ज्योतिर्गमय