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Archive for March, 2024

लुट्येन क्यूँ  “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – ३ / ३

अब हम “आम आदमी पक्ष” (केज्रीवाल), टी.एम.सी. (ममता), ….  एवं कोंगीयोंकी (नहेरुवीयनों की) निर्लज्जता देखेंगे.

सी. ए. ए. के  अनुसार जो नोन – मुस्लिम लोग, डीसेंबर २०१४ से पहेले आये है, उन नोन-मुस्लिमोंको नागरिकता दी जायेगी.

नोन – मुस्लिम लोग

यदि देखा जाय तो सी. ए. ए. की आवश्यकता ही नहीं है.

क्यों कि नहेरु लियाकत अली करार के अनुसार, भारत सरकार का फर्ज बनता है कि पाकिस्तान से जो भी नोन – मुस्लिम धर्मके आधार पर पीडित हो कर,  भारतमें जब भी आवे, तो बिना किसी “कट ऑफ्फ डेट” उनको नागरिकता दें. नहेरु – लियाकत अली करारमें शरणार्थीयोंको नागरिकता देनेके लिये कोई कट – ऑफ्फ डेट है ही नहीं.

फिर भी बीजेपी सरकारने “सी.ए.ए.” में कट – ऑफ्फ डेट क्यूँ रक्खी है, यह संशोधनका विषय है.

केज्रीवाल क्या बोलता है?

केज्रीवाल चालाकी पूर्वक धर्मका नाम लिये बिना, कट ऑफ्फ डेटका जीक्र किये बिना, वह “विदेशी” शब्दका उपयोग करके नोन – मुस्लिम जनता विरुद्ध हवा पैदा करके  उनको गुमराह करना चाहता है.

केज्रीवाल बोलता है कि, इन सब विदेशीयोंको बीजेपी सरकारने आमंत्रण दिया है.

केज्रीवाल आगे बोलता है; “ये लोग हमारी नौकरी छीन लेंगे, ये लोग हमारा धंधा छीन लेंगे, ये लोग हमारे टेक्षकी कमाईसे सेलेरी लेंगे, ये लोग  पेंशन लेंगे, ये लोग यहां चोरी चपाटी करेंगे. ये लोग गुंडागर्दी करेंगे, खून करेंगे, अराजकता फैलायेंगे, प्रदर्शन करेंगे, सभा सरघस निकालेंगे, मकानोंको आग लगायेंगे, बसोंको जलायेंगे, रेल्वेकी पटरी निकाल देंगे, ड्रोनसे तबाही मचाएंगे ….

वास्तवमें क्या है?

सरकारी रेकोर्ड पर है  कि, पडौसी इस्लामिक घुसपैठीयोंने,  रोहींग्या मुस्लिमोने, रेडीकल आम मुस्लिमोंने एवं विपक्षके बीजेपी-विरोधी समाचार माध्यमोंने मिलकर,   भारतमें सी. ए. ए. के विरुद्ध अनेक जगह, तीव्र आंदोलन किया था और करते है. इनमेंसे कोई भी “टु ध पोईंट” तार्किक चर्चा करने को तयार  नहीं थे और न तो तयार है. वे प्रायोजित आंदोलन करते थे और करते है. और ये सब सराकारी रेकॉर्ड पर है. ये सब आंदोलनकारी कभी भी कारावास जा सकते है.

केज्रीवालको लगातार जूठ ही तो बोलना  है.

केज्रीवाल और उसके साथी सब कुछ बोल सकते है, जब अपने फायदेके लिये  जूठ बोलने की छूट है तो सच क्यूं बोलना? निशाने पर जिनको रक्खा है, उनके लिये, कुछ भी बूरे से बुरा कह दो. हमारा क्या जाता है? केस होगा तो माफी माँग लेंगे. हमने कहाँ नीजी फायदेके लिये जूठ बोला था? हमने तो जो कुछ भी बोलते थे या बोलते है, वह देश हितके लिये बोला था और बोलते है और बोलते रहेंगे. हमने तो इस प्रकारसे नरेंद्र मोदीको आगाह किया था.   यदि हम पर कोई केस करेगा और यदि न्यायधीश माफी मांगनेको कहेगा तो हम माफी मांग लेंगे. यदि  न्यायाधीश बोलेगा कि, माफीसे काम नहीं चलेगा, दंड भरना पडेगा, तो हम दंड भर देंगे. उसमें हमारा क्या जाता है? हमें दंड कहाँ अपनी जेबसे भरना है? हमें तो दंड सरकारी खजानेसे तो भरना है. जब हम हमारे महंगे वकील की फीस भी सरकारी खजानेसे भरते है तो दंड क्या चीज है?

ममता बेनर्जी क्या कहेती है?

वह मुस्लिम बाहुल्य विस्तारमें जाकर कहेती है कि “आपको टी. एम. सी. को ही वोट देना है. यदि आप  गलती करोगे तो खुदा माफ नहीं करेगा. मैं तो कभी भी माफ नहीं करुंगी.”

याद करो जब ममता बेनर्जी, नंदीग्रामसे अपना चूनाव हार गयी थी तो उसने मुस्लिम गुंडोंकी मददसे नंदिग्रामके गरीबोंका क्या हाल किया था? सभी प्रकारके अत्याचार किये थे. गरीबोंके उपर ही ममता आतंक फैला सकती है. क्यूँ कि गरीब लोग ही न्यायालयमें जानेकी हिमत नहीं जूटा सकते है. उनको पता है कि, लुट्येनोंकी बनायी हुई, न्यायप्रणाली गरीबोंको कभी न्याय दे सकती नहीं है.

१९८९ – ९० में जो अत्याचार कोंगी और उनके सहयोगी मुस्लिम पक्षोंने, स्थानिक एवं क्रोसबोर्डर आतंकवादीयोंका सहारा ले कर, जम्मु-काश्मिर के हिंदुओंके उपर खुले आम, हर प्रकारका आतंक करके, उनको बेघर किया था. उसी तरह ममताने भी अपनी हारका बदला लेनेके लिये नंदिग्रामको मीनी-जम्मु & काश्मिर बनादिया था.

नहेरु,  नहेरुवीयनोंका और कोंगीयोंका आतंकवाद और लूट तो हमने ७० साल तक देखा है. ये भी सब रेकोर्ड पर है.

क्या २०२४के चूनावमें  राष्ट्रवादी भारतीय नेतागण, भारतके मूर्धन्यगण, राजकीय  विश्लेषक, सीना तानके स्फुट शब्दोंमें  विभाजन वादी एवं लुटेरोंके विरुद्ध मैदानमें आ सकते है?

ये लोग ऐसा मत सोचें कि उपरोक्त बीजेपी – विरोधी, कभी न कभी तो दंडित होने वाले है और कारावास जाने वाले ही है. समय अपना काम कर ही रहा है, तो समय को अपना काम करने दो. ईश्वर जो कुछ भी करेगा वह ठीक ही करेगा.

लेकिन याद रक्खो, ईश्वर उनको ही मदद करता है जो स्वयंको मदद करता है. देशको फिरसे विश्वके  उच्च स्तर पर ले जाना हमारा कर्तव्य है.

शिरीष मोहनलाल दवे का जय जगत

तमसो मा ज्योतिर्गमय

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लुट्येन क्यूँ  “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – २ / ३

प्रगतिशील मुस्लिम नेतागण नहेरुके विरुद्ध थे. लेकिन ऐसे नेता तो समूद्रकी एक बूंद के बराबर थे.

इससे क्या हुआ?

भारतके मुस्लिमोंकी मानसिकता कट्टरवादी ही रही. वे कभी प्रगतिशील बन ही नहीं पाये. नहेरुको उनकी चिंता कहाँ थी? उनको न तो पाकिस्तानके हिंदुओं पर क्या गुजर रहा है उसकी चिता थी, न तो भारतके हिंदुओंके जनतंत्रातिक अधिकारोंकी चिंता थी.

पाकिस्तानके आचार पर नीगरानी नहीं

नहेरुने लियाकत अलीसे लिखितमें समजौता तो किया, लेकिन उसका अमल पाकिस्तानमें कैसे होता है, उसकी उपर नीगारानी रक्खी ही नहीं.

पाकिस्तानमें हिंदुओंका जबरन धर्मपरिवर्तन होने लगा, जो नहीं माने उनके उपर घातक हमले होने लगे. हिंदुओंके मंदिर नष्ट होने लगे. पाकिस्तानकी सरकारने कुछ नहीं किया. हिंदुओंका भारत के प्रति लगातार पलायन चालु रहा.

कैसा रहा रुख?

नहेरु – लियाकत अली समजौतामें प्रावधान था कि यदि पाकिस्तानके हिंदु, वहाँ के उत्पीडनसे त्रस्त हो कर भारतकी शरणमें आवें तो भारत सरकारका कर्तव्य बनता था कि उनको भारतकी नागरिकता प्रदान करें. यह संशोधनका विषय है कि कितने शरणार्थीयोंको नहेरु और नहेरुवीयनोंने भारतकी नागरिकता प्रदान की!!!

भारतके मुस्लिमोंको तो कोई समस्या ही नहीं थी.

जिस मुस्लिम – नेतागण का पाकिस्तान बनानेमें अग्रगण्य हिस्सा था, वे खूद भारतमें रह गये, क्यूं कि भारतमें तो उनको, नहेरु और नहेरुवीयनोंने,  पाकिस्तानसे अधिक सुरक्षा और स्वतंत्रता दी थी. नहेरु और नहेरुवीयन्स, मुस्लिमोंके अधिकारोंमे, उत्तरोत्तर वृद्धि करते ही गये, चाहे ये अधिकार गैरजनतांत्रिक क्यूँ न हो?

साम्यवादीयोंकी तरह नहेरुवीयनोंका भी तो सिद्धांत था कि सत्ताके लिये सिद्धांत विहीनतासे शासन करना है. यही तो उनका मूद्रा – लेख है.

जब सी. ए. ए. का प्रस्ताव पारित हुआ तो लुट्येनोंने उसके विरुद्ध हिंसक प्रदर्शन किया और जूठ फैलाया कि इससे भारतके मुस्लिमोंकी नागरिकता खत्म होगी. यह कायदा मुस्लिमोंके विरुद्ध है. जब भारतके मुस्लिमोंको पता चला कि जो मुस्लिम भारतीय नागरिक है, उनके विरुद्ध तो यह कायदा नहीं है. लेकिन जो मुस्लिम  पडौसी मुस्लिम देशमेंसे भारतमें घुसपैठ करके आये है उनके विरुद्ध अवश्य है. क्यों कि सी. ए. ए. के अनुसार केवल नोन-मुस्लिम शरणार्थीयों को ही भारतकी नागरिकता मिल सकती है.

लुट्येनोंका और भारतके मुस्लिमोंका कहेना है कि, भारत तो एक सेक्युलर देश है. वह धर्मके आधार पर भेद नहीं कर सकता.

लेकिन ये लुट्येन नेता और मुस्लिम नेतागण यह बात भूल जाते है कि नहेरु – लियाकत अली समज़ौता क्या था? और किस आधारपर था?

पाकिस्तान (बंग्लादेश, बलुचिस्तान, अफघानीस्तान सहित) सब मुस्लिम बाहुल्यवाले देश है. ये सब  बा कायदा मुस्लिम – देश है. इनमें जो अल्पमत वाले है उनके उपर जबरजस्ती एवं उत्पीडन होता है. वहाँ की सरकार किसीभी तरह उनको सुरक्षा देनेमें असफल रहेती है, तो उनका तो “नहेरु – लियाकत अली समज़ौते” के अनुसार भारतमें आनेका और भारतकी नागरिकता लेनेका हक्क बनता है.

क्या लुट्येनोंकी ताकत है कि वे कह दे …?

ये लुट्येन नेता और मुस्लिम नेतागण  कह दे कि नहेरु तो स्टुपीड था, नहेरु तो गधा था, नहेरु तो अक्ल का ओथमीर था, नहेरु तो पागल था, नहेरु तो अनपढ था, नहेरु तो गंवार था, नहेरु तो कोमवादी था, नहेरु तो डरा हुआ था. फिर कहे  कि हम उस गधेका लियाकत अली के साथ किया हुआ समज़ौता मान्य नहीं करते है. क्या इन गद्दारोमें ऐसा कहेनेकी हिमत है?

उपरोक्त इस्लामिक देशकी परिभाषामें वे सब इस्लामिक देश है.

इस्लाम मे अहेमदिया, वोरा, खोजा, शिया, सुन्नी, … सब आते है.  नहेरु – लियाकत करारमें इनका भीन्न उल्लेख नहीं है. करारमें जो लिखा है वही तो पढाई देगा.

तथा कथित और स्वयं प्रामाणित एक गांधीवादीने कहा कि धर्म आधारित पीडित व्यक्ति को सूचित धर्म  के आधारपर नागरिकता देना धर्म निरपेक्षता नहीं है. धर्मके आधार पर पीडित, सभी व्यक्तियोंको नागरिकता देना चाहिये. अहमदिया लोग भी पाकिस्तानमें पीडित है. उनको भी हमे नागरिकता देना चाहिये.

अरे भैया जी, जरा लंबा सोचके तो बोला करो. इस्लामकी परिभाषा करनेवाले हम कौन होते है? १९५०में नहेरु – लियाकत ने जो कहा, सो कहा. हमें उसको ही हमें मानना चाहिये. यदि हम समय समय पर परिभाषा बदलते रहेंगे तो करार ही अर्थहीन बन जायेगा. करारकी आत्मा ही मर जायेगी.

कल हमारे पडौशी इस्लामिक देश कहेंगे, कि हम वोरा को भी मुस्लिम मानते नहीं है. फिर वे कहेंगे हम खोजा को भी मुस्लिम नहीं मानते है, फिर वे कहेंगे हम कोई भी शियाँ को मुस्लिम नहीं मानते है. इन सबको हम एक एक करके भगायेंगे.आपको इन सभीको नागरिकता देना पडेगा. आप तो धर्म निरपेक्ष है न!! आप को नागरिकता देना ही पडेगा.

यह तो कम है!

हमारे पडौशी इस्लामिक देश तो ऐसा भी कहेंगे; हमारे जो  मुस्लिम लोग,  हिंदुमेंसे मुस्लिम बने  हैं, उनको तो हम  कन्वर्टेड मुस्लिम है. हम उनको सच्चे मुस्लिम मानते ही नहीं है. हम इनको भी भगायेंगे. आप उनको भी नागरिकता दो. आप काहे के सेक्युलर है?

(क्रमशः)

शिरीष मोहनलाल दवे

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लुट्येन क्यूँ  “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – १ / ३

मुट्येन मतलब कि; राहुल गांधी, प्रियंका वांईदरा, सोनिया, इन नहेरुवीयनोंके भक्त, एवं केज्रीवाल, ममता, अखिलेश, लालु, शरद, उद्धव, कोम्युनीस्ट्स, महेबुबा, ओमर, फारुख, ओवैसी, इन नेताओंके सहयोगी  चमचें. ये सब “टु ध पोईंट” बात क्यूं नहीं कर सकते?

इन गदारोंके सपोर्टर मीडीय कर्मी भी, चाहे ये लुट्येन कितना भी जूठ, बेबुनियाद और ईरेलेवंट (असंबद्ध)  बात करें, तो भी उनको अधिकसे अधिक बोलनेका समय दिया जाता है, चाहे बीजेपीके सदस्य चर्चामें सही ढंगसे बात करे, और मुद्दे पर ही बात करे, तो भी कुछ टीवी चेनलें ऐसी है कि उनके एंकर, ये लुट्येन, सामनेवाले बीजेपीकी तरफसे बोलनेवालोंको कितना ही डीस्टर्ब करते रहे तो भी सुनिश्चित तरिका अपनाके, उनको रोकते नहीं है. क्या वे चाहते नहीं है बीजेपी अपना पक्ष रक्खें तो व्युअर्स उनको ठीक तरिकेसे सून सके!

इन गद्दारोंने जूठ बोलनेकी और कोमवादको बढावा देनेकी सभी सीमाएं पारा कर दी है. इन लोगोंको  किसी भी तरहसे मानसिक चिकित्सकसे  क्लीअरंस (कि ये लोग सुधबुधमे  ही बोलरहे है) ले के उनको कारावासमें डालके केस चलाके चौराहे पर लटका देना चाहिये.

“जी. एस. टी.” को लानेकी तो इन कोंगी लुट्येनोंकी  ही ईच्छा थी. लेकिन उनके पास सक्षम ईच्छा शक्ति नहीं थी.

नरेंद्र मोदी लाये तो ये लोग उसी मुखसे  विरोध करने लगे. उसी प्रकार फार्म लॉ भी इन लुट्येनों की ही ईच्छा थी, लेकिन उनकी ईच्छा शक्ति न होने के कारण, वे नहीं ला पाये. जब मोदी “फार्म लॉ” लाये,  तो ये लुट्येन, उसका भी विरोध करने लगे.  “फार्म लॉ” पर भी ये लोग “टु ध पोईन्ट” चर्चा करनेके लिये तयार नहीं.

बीजेपी सरकारने ३७० और ३५ए  जनतांत्रिक नहीं था, इसलिये रद किया तो उसके उपर  भी ये लुट्येन, टु ध पोईन्ट चर्चा करनेके तयार नहीं थे.

इन लोगोंने तो सी. ए. ए. का भी विरोध किया था. अब देख लो सी. ए. ए. का अमलीकरण की बात आयी तो वे जूठ पर जूठ बोलने लगे.

आंदोलन और बंध काहेका?

इस समय हमें, बाबा साहेब आंबेडकरकी उस बात को याद करना आवश्यक है. भारतीय संविधान जब पारित हो गया और जब वह अमलमें आया तो उन्होंने कहा कि;

“अब भारतमें संविधानका शासन होगा. अब विरोध, बंध, सभा सरघस, उपवास, आदि किसीके प्रोटेस्ट्की आवश्यकता नहीं रहेगी. भारत पर कायदेका शासन रहेगा. यदि कोई नियम, अन्यायकर्ता है तो न्यायालयमें जाओ और न्याय पाओ. यदि कोई नयी बात है तो चूनावकी प्रतिक्षा करो और चूनावके समय जनताके पास जाओ और जनताको समज़ाओ और जनता मानती है तो संविधानमें संशोधन करवाओ. बात खतम. आंदोलन और बंध काहेका?

१९५०में उन मुसलनमानोंने अंग्रेज सरकारकी सहायतासे पाकिस्तान बनवाया. किस लिये? उनके लिये कि, जो समज़ते थे कि, हम हिंदुओंके बहुमत वाले हिंदुस्तानमें सुरक्षित नहीं रहेंगे.

महात्मा गांधीको पता चल ही गया था कि मुस्लिम नेतागण और कोंग्रेस फरेबी है. वे लगातार मुस्लिम नेताओंको कोसते रहेते थे. वे समज़ते थे कि उनका यदि खून होगा तो वह एक मुस्लिम  ही करेगा.  उन्होंने कई बार कहा था कि, यदि पाकिस्तान में हिंदु सुरक्षित रहेंगे तो भारतमें मुसलमान अपने आप सुरक्षित बन जायेंगे.

लेकिन ईतिहास गवाह है. कि पूर्व एवं पश्चिम पाकिस्तानमें, (१९५०)में, १४+ % हिंदुओंका पोप्युलेशन था.   जो आज २% से भी कम है. कहाँ गये वे सब हिंदु? यह तो एक लंबा विषय है. लेकिन यह सुनिश्चित है कि पाकिस्तानमें हिंदु सुरक्षित नहीं है और लगातार १९४७से नोन-मुस्लिम लोग भारत आ रहे है.

नहेरु – लियाकत अली समज़ौता क्या कहेता है?

  • सरकार को लघुमतियों को, सुरक्षा और समान अधिकार देना पडेगा

 (१.१) भारतमें लघुमतियोंको सुरक्षा एवं समान अधिकार देना पडेगा और बा कायदा एक विशेष समितिका प्रावधान करना पडेगा.

(१.२) पाकिस्तानमें लघुमति मतलब कि नोन – मुस्लिमोकों सुरक्षा और मुस्लिमोंके बराबर अधिकार देना पडेगा. इसके लिये बा कायदा विशेष समितिका प्रावधान करना पडेगा.

नहेरु कौन थे?

नहेरु तो, खुदके कहेनेके अनुसार कल्चरसे मुस्लिम थे. अधिकतर मुस्लिम (खास करके भारतके मुस्लिम) असहिष्णु, असीम वींडीक्टीव, और “यह अपनका है, यह पराया है” ऐसी सोचवाले होते है. इनके लिये संस्कृत भाषामें एक शब्द है, लघु-चेतस् (कुंठित अक्ल वाला)  होते है. नहेरु भी १०० प्रतिशत कल्चर से मुस्लिम थे. वींडीक्टीव होना असहिष्णुताकी बाय – प्रोडक्ट है. गांधीजीकी मृत्युके बाद नहेरुका असली स्वरुप, पूर्ण रुपसे जनताके सामने आया.

अपन वालोंके लिये उसने माईनोरीटी कमीशन बनाया और पूरा मंत्रालय भी रक्खा. यह तो नहेरुके लिये कम था. शेख अब्दुल्लाको, अजनतांत्रिक तरिकेसे  “जेके”का सर्वेसर्वा बना दिया, फिर भी उनके भक्त उनको जनतंत्रका रक्षक मानते है. कमाल है न?

अरे ये तो कम था. नहेरुने सारे भारतकी मुस्लिम कोम्युनीटीको अमानवीय विशेषाधिकार भी दिलवाये जो दुनियाकी किसीभी मुस्लिम कोम्युनीटीके पास नहीं थे.

प्रगतिशील मुस्लिम नेतागण नहेरुके विरुद्ध थे. लेकिन ऐसे नेता तो असहिष्णुताके समूद्रमें एक पेय जलकी बूंद के बराबर है.

(क्रमशः)

शिरीष मोहनलाल दवे

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क्या हम सब राष्ट्रवादीयोंको भूत (घोस्ट) बनना पडेगा?

हमारे यहाँ लुट्येन नेताओंने  सरासर  जूठ बोलना, चोरी करना, गुंडागर्दी करना और निर्दोषोका खून करना इन सभी बातोंको एक संस्कार बना दिया है.

अपराधीको दंडित करनेका काम किसका है?

अपराधीयोंको दंडित करनेका काम न्यायालयका है.

न्यायाधीश साहब बोलते है;

कि हम भी आखिर तो मनुष्य ही है, इस लिये हम भी डरते है, हम भी रिश्वतखोरी करते है, हम भी जूठ बोलते है, हम भी जो सुनिश्चित एवं चिन्हित नेतागणके दबावमें आ जाते है. जब तक लुट्यनोंका दबाव हम पर रहेगा, भारतका न्याय तंत्र दबाव मुक्त न्याय नहीं कर सकेगा.

ऐसा किसने कहा है आपको पता है?

भारतके एक निवृत्त न्यायाधीश, जो भारतकी सर्वोच्च अदालतके सर्वोच्च न्यायाधीश थे, उन्होंने यह कहा है.

आप कैसे राष्ट्रवादी है?

यदि आप मानवता वादी है, जनतंत्रवादी है, कुदरती हक्कोंके पुरस्कर्ता है, देशभक्त  है, न्यायप्रिय है और भारतीय संस्कार और ज्वाजल्यमान संस्कृति के प्रति अदरभाव और गर्व रखते है, तो आप निम्न लिखित लींक पर जाके हमारे विपक्षी नेता जिनको मैं/हम लुट्यन कहेते है, उनके बारेमें एक मिसाल के लिये पढीये. और असीमतासे  सोसीयल मीडीया पर और जबानी भी प्रचार किजीये. ताकि आम देशवासीयोंको पता चले कि हमारा देशको कैसे गद्दरोंसे पाला पडा है.

नरेंद्र मोदी कहेता है कि अबकी बार ४००के पार.

लेकिन मेरी आपसे प्रार्थना है कि, इस बातको आप बीजेपीके कोन्फीडंस के रुपमें मत लीजिये. दुश्मन कभी छोटा नहीं होता. और ये लुट्येन लोग तो देशके सबसे बडे दुश्मन है. इनको छोटा समज़नेकि गलती कभी नहीं करना. जब तक चूनावका परिणाम नहीं आता है तबतक बीजेपीका प्रचार करते रहिये.

याद करो. चाणक्यने क्या किया था?

पोरस तो एक महान योद्धा था. महान देशभक्त था. सिकंदरको उसने समज़ा था और उसने सिकंदरको बडी टक्कर दी थी. और सिकंदरने हार कर उसके साथ संधि की थी. यह वह सिकंदर था जिसने कभी भारतमें आनेसे पहले और लौटते समय भी, किसी हारे हुए  राजासे   ऐसी संधि नहीं की थी, जो उसने पोरसके साथ  की थी.

इस पोरसके बाद, उसका भतीजा गद्दी पर आया था. सिकंदरके बाद, जब सिकंदरकी तरह ही विजय पताका लहेराता हुआ  सेल्युकस नीकेतर  आया था, तब पोरसका भतीजा, सेल्युकस नीकेतरके साथ मिल गया था.

फिर क्या हुआ? जब सेल्युकस निकेतर, चंद्रगुप्त मौर्यके साथ हार गया, तो चंद्र गुप्त मौर्यके गुरु कौटील्यने, पोरसके भतीजेके उपर कुछ भी दया भावना नहीं रक्खी थी, और पोरसके भतीजेको, हाथीके पैरके नीचे कुचलवा दिया था. क्यूँ?

क्यूँ कि, “शत्रु कभी छोटा नहीं होता है

इस बातको २०० वर्ष पूर्व, चाणक्य समज़ पाया था,

यह बात आधुनिक भारतके पूर्व प्रधान मंत्री, नहेरुको और उनके बायोलोजीकल या  वैचारिक  फरज़दोंको तो छोड ही दो (क्यों कि वे तो अपने एजंडाके अनुसार कई बातें समज़ना ही नहीं चाहते थे,) लेकिन अटल बिहारी बाजपायी भी नहीं समज़ पाये. दुश्मन बाहर भी होता है. दुश्मन भीतर भी होता है.  अटल बिहारी बाजपायीने भारतके भीतरी दुश्मन को भारतके प्रधानमंत्रीके नाते, अपनी सदभावना दिखाके एक नहेरुवीयन जो यु.एस. ए. के एरपोर्ट पर पकडा गया था उसको को छूडवा दिया था. यह भी एक रहस्य है.

नहेरु और नहेरुवीयनोंको क्यूँ छोड दें? अरे भाई ये सब सोसीयल मीडीया पर उपलब्ध है. और बहुतेरे  नहेरुवीयन अपने कुकर्मोंके कारण खुदाके प्यारे भी हो गये है. लेकिन हमें ईश्वर पर निर्भर नहीं रहेना है, चाहे ईश्वरने हमे काफि सहायता की हो.

यह नरेंद्र मोदी और उसकी टीम ईश्वर दत्त ही है.

नहेरु और नहेरुवीयन्स   राक्षस है. राक्षस वह है जो सत्ता और स्वार्थके लिये उपलब्धीयाँ प्राप्त करता है, एक राक्षस के लहुकी बूंदसे हजार राक्षस पैदा होते है. चाहे हमारे पौराणिक राक्षसोंने अनेक राक्षस पैदा न भी किया हो, लेकिन हमारे नहेरु और नहेरुवीयनोंने तो ऐसा अवश्य किया है.

नहेरुने फर्जी तरिकेसे ३७० और ३५ए बनाया और कौमवाद फैलाया. जीप कौभांड करके सियासतमें अनीतिमत्ता को जन्म दिया एवं अपने परायेका भेद दाखिल किया, फरजी समाजवादको (साम्यवादको) बढावा दिया और चीनको ९१००० चोरसमील भारतकी भूमि दान कर दी. वापस लाने की शपथ संसदके समक्ष ली. लेकिन दुर्जनोंकी शपथ पानी उपर लिखे अक्षरोंकी भांति है. मेक मोहनलाईन को भी भूला दिया.

नहेरुने शेख अब्दुल्ला, और सादिक अली पैदा किया, शेख अब्दुल्लाने और मुफ्ति मुहम्मद सईदने  काश्मिरमें क्या किया और कैसा आतंकवाद फैलाया वह हम सब जानते है. नहेरुकी फरज़ंद इंदिराने हिंदु – मुस्लिम दंगे करवाए और खालिस्तानी नामका एक और आतंकवादको पैदा किया. मुस्लिम आतंकावदके नेटवर्क को बढाया. जनतंत्रका खुले आम खून किया.

नहेरुने देशमें दो अर्थतंत्रको जन्म दिया. ब्लेक एंड व्हाईट. देशमें दो अर्थतंत्र पैदा किया. स्मग्लरोंका जन्म हुआ.

नहेरुने  चूनावमें बुथकेप्र्चरींगको जन्म दिया, और सियासतमें,   इंदिराने तो गुंडाराजको जन्म दिया. “सियासतमें दगा देना” यह प्रणाली इंदिरा गांधीने चालु करवाई.

गुंडा राजका बोलबाला

गुंडाराज कैसा फैलाया  उसको महेसुस करनेके लिये आप, रवींद्र सरोवर (कोलकत्ता) की घटना और कोंगीके नागपुरके  युथ महासंमेलंन का कोंगी-युवाओंकोके आचारको देख लीजिये, कि नागपुरकी वेश्याएं असीम नंबरके ग्राहकोंसे त्रस्त होकर नागपुर छोडकर भाग निकलीं.

अब आप निम्न लिखित लींक पर जाईए और आरामसे पढीये.

लालु अकेला नहीं है.

हजारों लालुएं है. लालुएं एकसे बढकर एक है. मुल्लायमने सेंकडो हिंदु संतोको गोलीसे मार दिया था. कोई भी पत्रकारके कानोंमें जू तक नहीं रेंगी. मुल्लायमके पास गुंडोंकी सेना थीं.  अखिलेश के पास उनसे भी बढकर गुंडोंकी सेना है.

ममता केवल और केवल क्षेत्रवादी है. वह अन्य प्रदेशवालोंको “बाहरी” कहेती है और गालीयां भी देती है.  ममताके पास  भी गुंडोंकी सेना है. वह हिंदु दलितोंको खुल्ले आम धमकी देती है. इतना ही नहीं गवर्नर तकको भी धमकी देती है. न्यायाधीशोंको भी धमकी देती है. अपने गुंडों द्वारा केंद्रकी एजंसीयोंके अफसरोंके कार्योंमें बाधा डालती है उतना ही नहीं, उनको पीटवाती भी है.

केज्रीवालके पास तो खालिस्तानी गुंडोंकी और मुस्लिम गुंडोंकी  सेना है. केज्री तो बच्चोंकी कसम खाके भी जूठ बोल सकता है. वह पूर्ण रुपसे अनपढ और अशिक्षित है.

उपरोक्त सभी गुंडोंके नेताओंके सहयोगी मित्रमंडल के उपर या तो न्यायालयमें केस चल रहे है, या तो वे जमानत पर है, या तो वे कारावासमें है, ये सब कब चूनावके लिये एवं नागरिकताके लिये अयोग्य घोषित हो जाय, एवं कारावासमें अपनी बाकीकी जिंदगी बीतावें वह समयका मामला है.

मैं ८४+ सालका हूँ. वैसे तो मैं संपूर्ण शाकाहारी हूँ, फिर भी यदि बीजेपीने, मेरे जीते जी,  ये … राहुल घांडी, प्रियंका, सोनिया घांडी, केज्री, ममता, अखिलेश, लालु, शरद, उद्धव, महेबुबा, ओमर, फारुख, औवैसी …  आदिको   कारावास नहीं भेजा तो, मैं मरनेके बाद, यदि भूत (घोस्ट), बना जा सकता है तो मैं अवश्य भूत बनूंगा और इन सभीको मेरा भक्ष्य बनाउंगा.

लालुएं कैसे है? निम्न लींक पर क्लीक करें 

https://treenetram.wordpress.com/2024/03/11/%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%81-%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%a8%e0%a4%b9%e0%a5%80%e0%a4%82-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%b9%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%96/

शिरीष मोहनलाल दवे

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मित्रों मुझे लालू यादव का वो दौर याद है..!

अखबारों में भी बिहार की खबरें छपती थी और खबरें पढ़कर इतना आश्चर्य होता था कि क्या इस देश में सुप्रीम कोर्ट है ?

हाई कोर्ट है ?

सेना है पुलिस है ?

या पूरा का पूरा जंगल राज ही है ?

शिल्पी जैन हत्याकांड आप लोग गूगल पर सर्च करिये..!

शिल्पी जैन के कपड़ों पर मिले सीमेन के डीएनए को बदल दिया गया और बलात्कारी कौन था उसे बिल्डिंग के कई लोगों ने देखा था..!

कई लोगों ने नाम बताया कि बलात्कारी लालू यादव का साला साधू यादव था..!

जिस पर एक फिल्म भी बनी थी, नाम था गंगाजल।

लालू यादव के पार्टी के मंत्रियों विधायकों और गुंडो को बिहार की जो लड़की पसंद आ जाती थी उसे उठा लिया जाता था।

या तो वह लड़की चुप रहे या फिर शिल्पी जैन की तरह मार दिया जाए..!

और फिर बचने के लिए किसी को उसका बॉयफ्रेंड बनाकर उसे भी मार दिया जाए..!

और यह कहानी बना दिया जाए की दोनों ने सुसाइड किया।

एक आईएएस अधिकारी बंगाल के रहने वाले थे..!

नाम था B.B. विश्वास।उनकी पत्नी का नाम था चंपा विश्वास..! जो बेहद खूबसूरत थी।

एक दिन वह अपने सरकारी निवास से जा रही थी। इस परिसर में राजद की एक महिला विधायक का भी घर था।एक दिन उनका बेटा मृत्युंजय यादव ने चंपा विश्वास को देखा..!

फिर वह उनका पीछा करते उनके घर गया और रिवाल्वर की नोक पर उनका बलात्कार किया..!

और रिवॉल्वर दिखाकर धमकी दिया कि जहां चाहे वहां चली जाओ कोई केस दर्ज नहीं करेगा। अगले दिन फिर मृत्युंजय यादव अपने दो साथियों के साथ आया और इस बार तो हद हो गई ना सिर्फ चंपा विश्वास का बलात्कार किया गया बल्कि इस अधिकारी की बुजुर्ग मां और उनकी नौकरानी के साथ भी बलात्कार किया गया। आईएएस अधिकारी थाने में शिकायत लेकर गए।

थाना अध्यक्ष ने हाथ जोड़ दिया कि सर जी मुझे मरना है क्या..!

मैं केस नहीं लिख पाऊंगा।

वह SP और डीजीपी के पास गए..!

सबने हाथ जोड़ लिया..!

सर जी हमें चुपचाप नौकरी करने दीजिए।

वह लालू के पास गए..!लालू ने बेशर्मी से कहा..!

अरे क्या हो गया जो बलात्कार हो गया..!

यह तो छोटी मोटी घटना है।

2 साल तक यही सिलसिला चलता रहा..!

तीन बार चम्पा विश्वास का एबॉर्शन करवाना पड़ा। फिर जब उत्तर प्रदेश की मीडिया में यह खबर छपी तो बिहार के राज्यपाल ने जब मामले को इसका संज्ञान लिया।

लेकिन तब तक आईएएस अधिकारी VRS लेकर बंगाल चले गए थे..!

और उन्होंने और उनकी पत्नी ने कोई गवाही देने या बिहार जाकर केस लड़ने से मना कर दिया।

उन्होंने कोर्ट में कहा

कि मुझे बार बार बिहार बुलाया जाएगा, तो मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा ?

फिर लालू यादव की पहली बेटी मीसा भारती की शादी थी।

पूरे बिहार के बड़े शहरों में जितने भी मारुति सुजुकी टाटा मोटर्स के शोरूम थे उनका ताला तोड़कर शोरूम में खड़ी और उनके गोदाम में खड़ी नई गाड़ियों को उठा लिया गया।

यहां तक कि रतन टाटा कैमरे पर आकर बोले..!

कि अब वह बिहार में अपना पूरा ऑपरेशन बंद कर रहे हैं..!

और टाटा ग्रुप में बिहार में अपने सारे डीलर्स को उनका डिपाजिट वापस करके उनका शोरूम सरेंडर करवा दिया।

लालू की पार्टी के लोग कार लेकर प्लेटफार्म पर आते थे..!

और जिस प्लेटफार्म पर वह रुकते थे..!

स्टेशन मास्टर को रिवाल्वर दिखाकर कह दिया जाता था की राजधानी एक्सप्रेस इसी प्लेटफार्म से जाएगी।

सोचिए सीबीआई के असिस्टेंट डायरेक्टर थे यूएन विश्वास।

उन्हें जब लालू यादव को चारा घोटाले में गिरफ्तार करना था..!

तब उन्होंने पटना हाई कोर्ट में अर्जी देकर कहा..!

कि उन्हें लालू को गिरफ्तार करने के लिए भारतीय सेना की मदद चाहिए..!

क्योंकि लालू के गुंडे दो बार सीबीआई अधिकारियों पर गोलीबारी कर चुके हैं।

लालू यादव की पार्टी का एक सांसद था मोहम्मद शहाबुद्दीन..!

जो कोविड में एड़ियां रगड़ रगड़कर मरा..!

उसने डेढ़ सौ से ज्यादा हिंदुओं का कत्ल किया है।

कई कत्ल में सुप्रीम कोर्ट तक में उसे सजा हुई..!

लेकिन मरते दम तक लालू यादव ने उसे कभी पार्टी से निकाला नहीं।

उसने एक मकान और दुकान कब्जा करने के लिए मां बाप के सामने उनके दो बेटों को तेजाब के ड्रम में डालकर दुनिया की सबसे दर्दनाक मौत दिया था।

खैर ईश्वर ने भी उसे ऐसी मौत दिया, उसका अंतिम वीडियो आप लोगों ने देखा ही होगा..!

जब वह अस्पताल में एरिया रगड़ रगड़ कर चिल्ला रहा था..!

वेंटिलेटर नहीं था, वह तड़प रहा था, और 1 घंटे तक तड़पते तड़पते वह मरा।

और मुझे लग रहा था कि वह उस वक्त उन दोनों भाइयों की आत्मा को देख रहा होगा, जिन्हें उसने तेजाब में डूबा कर मारा था।

कभी कलेक्टर को पीट पीट कर मार दिया जाता था..!

तो कभी पूरे परिवार को कमरे में बंद करके आग लगा दी जाती थी..!

फिर नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों को मार दिया जाता था।

लालू यादव की पार्टी का एक गुंडा और बलात्कारी था..!

नाम था तस्लीमुद्दीन।

उसने चार नाबालिक लड़कियों का बलात्कार किया था..!

और लालू ने उसे एचडी देवगौड़ा की सरकार में गृह मंत्री बनवा दिया।

वह तो भारत के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें दुख है कि एक बलात्कारी को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया।

तब जाकर उसे मंत्रिमंडल से हटाया गया।

जंगल राज और गुंडागर्दी का वह दौर ऐसा चला कि यह “जंगल राज” शब्द सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने दिया था..!

जब वह बिहार के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे..!

और तब से लालू यादव के शासन को “जंगल राज” का कर लोग याद करके सिहर उठते हैं।

ऐसा शासन था उस समय इन लोगों का..!

और आज यह लोग जब मोदी जी के कारण मुश्किल में आ गए हैं..!

एक-एक करके सब की फाइलें खुल रही है, और सब जेल जा रहे हैं..!

तो पूरे देश में इंडि गठबंधन (ठगबंधन) बनाकर मोदी जी पर दबाव बनाना चाहते हैं..!

और गन्दी राजनीतिक करना चाहते हैं..!

अब देश की जनता और मतदाताओं को सुनिश्चित करना होगा..!

कि ऐसे लोगों को हाथों में देश की बागडोर देना है क्या

खेर, आज के दौर में जनता सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत समझदार हो गई है..!

एवं ऐसे लोगों की गतिविधियों को जानने और समझने लग गई है..!

इसीलिए देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति भारत की जनता का विस्वास और बढ़ गया है..!

और उन्होंने इसलिये देश की संसद से संबोधन किया है..!

कि अबकी बार 400 पार..! 🪷

भारत माता की जय

वंदे मातरम जय हिंद

मेरे प्रिय मित्र किशोरभाई महेताने यह विवरण भेजा है. मैं किशोरभाईका यह मेसेज आप सभीसे  साज़ा करता हूँ. आभार सहित. आप इस लेखको अन्य मित्रोंसे शेर करें और देशके दुश्मनोंको हरानेमें अपना योगदान दें. अपना कर्तव्य निभावें.

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