जे. एन. यु. जीन्ना नहेरु युनीवर्सीटी. मार दिया जाय, न कि, छोड दिया जाय. पार्ट-१
भारतमें दंभी धर्मनिरपेक्षवादियोंने अपनी हर सीमाका उलंघन कर दिया है. ये लोग क्षमाके पात्र नहीं है. ये लोग कमसे कम कारावास के लिये ही योग्य है. क्यों कि ये लोग नरातर कोमवादी, ज्ञातिवादी, हर तरहसे विभाजनवादी, अनीतिमान, असहिष्णु, शठ, वीन्डीक्टीव, और देशद्रोही है. ये सभी विशेषण इतिहासके पृष्ठोंपर उपलब्ध है. यदि इनको क्षमा प्रदान कर दी तो देशको अपार नुकशान होगा.
सर्व प्रथम इनलोगोंको पहेचान लो.
ये है नहेरुवंशी और उनके सदस्य,
इनके सांस्कृतिक साथीपक्षके नेतागण,
कुछ अधिकारीगण जिन्होंने नहेरुवीयन कोंग्रेसीयोंको आपराधिक कार्य करनेमें सहकार दिया,
कुछ टीवी चेनलवाले,
कुछ समाचारपत्रके संचालक और कोलमीस्ट,
कुछ महानुभाव (सेलीब्रीटी) जो आपराधिक मामलेमें बेतुका निवेदन करते रहते थे और अब भी कर रहे हैं,
देशद्रोहीयोंसे संबंध रखने वाले और सत्यको छिपाने वाले.
इन लोगोंको सर्व प्रथम गिरफ्तार किया जाय और कारावासमें डाल दिया जाय. और उसके बाद न्यायिक कार्यवाही शुरु की जाय. जब तक न्यायालयका अंतिम न्यायिक आदेश न मिले तब तक इन सभीको कारावासमें ही रखा जाय. गद्दारोंको किसी भी प्रकारकी दया नहीं की जा सकती. यदि ये लोग सर्वोच्च न्यायालय तक जाते हैं तो जब तक सर्वोच्च न्यायालयका अंतिम आदेश न आवे तब तक उनको कारावासमें ही रखना आवश्यक है.
आत्मकेन्द्री, खूनी और लोकतंत्रके हन्ता
नहेरुवीयन कोंग्रेसी असहिष्णुतासे प्लावित है और राष्ट्रवादीयोंका दमन करनेमें इनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता. सर्वोदयवादी और महात्मा गांधीवादी नेता जयप्रकाश नारायणकी कारावासमें की गयी आपराधिक चिकीत्सा के फलस्वरुप उनकी मौत के ये नहेरुवीयन कोंग्रेसके लोग जिम्मेवार है. मोरारजी देसाईको और अन्य ६६ सहस्र लोगोंको अकारण ही कारावासकी सजा करना ये सभी आचार इन नहेरुवीयन कोंग्रेसीयोंके अपराधकी मिसाल है. इसके बारेमें इस ब्लोगपोस्टमें कई प्रकरण और विवरण है. इसलिये हम इसकी चर्चा नहीं करेंगे. हम इस लेखमें नहेरुवीयनोंके और उनके सांस्कृतिक और सहयोगी साथीयोंके एतत्कालिन कारनामोंका विवरण करेंगे.
कपट और प्रपंचके आदी
इन देशद्रोहीयोंका ध्येय नरेन्द्र मोदीको और उसके साथीयोंको येनकेन प्रकारेण फंसानेका ही रहा है.
२००२ के दंगे इन नहेरुवीयन कोंग्रेसके सांस्कृतिक साथीयोंकी प्रथम मिसाल है.
साबरमती एक्सप्रेसके रेलके डब्बेको आग लगाना और इनके अंदर के हिन्दु प्रवासीयोंको जिन्दा जलादेनेकी प्रपंच लीला करनेवाला नहेरुवीयन कोंग्रेसका ही नेता था. यह नेता अपना काम करके पाकिस्तान भाग गया. इस नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताके बचावमें दुसरे एक नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताने कहा कि “नरेन्द्रमोदीने ऐसा कहा था कि बीजेपीके शासनमें गुजरातमें कोमी दंगे समाप्त हो गये है. ऐसा कहकर नरेन्द्र मोदीने मुस्लिमोंको दंगा करनेके लिये उकसाया.” इस लिये मुस्लिमोंको दंगे करनेको उकसानेका काम नरेन्द्र मोदीने किया है.
मुस्लिमोंकी क्रुद्धताको नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताओंका आदर
तात्पर्य यह है कि नहेरुवीयन कोंग्रेस और नहेरुवीयन कोंग्रेसका लगातार दशकोंके शासन की मानसिकता यह है कि बीजेपी द्वारा कायदेका शासन करनेसे नहेरुवीयन कोंग्रेसके मुस्लिम क्रुद्ध हो जाते है. और ऐसे मुस्लिमोंकी क्रुद्धताको नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेता आदर करते है. नहेरुवीयन कोंग्रेसने इसके कारण न तो कभी लज्जा आयी न तो कभी न तो नहेरुवीयन कोंग्रेसने अपने इस भगोडे नेताको पाकिस्तानसे वापस लाने की प्रक्रिया की. यह है नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताओंकी और उनकी मुस्लिमोंके प्रति अंध आसक्तिकी की मानसिकता. इनको आप देशद्रोही नहीं कहोगे तो और क्या कहोगे?
नहेरुवीयन कोंग्रेसका हेतु सिर्फ हिन्दुओंको मार डालने तक सीमित नहीं था
५९ हिंदुप्रवासीयोंका मुस्लिम नेताद्वारा जिंदा जलाना और पांच दशकोंसे जातिवाद द्वारा घृणा फैलाने काम कर रही नहेरुवीयन कोंग्रेसके कारण दंगा होना स्वाभाविक था. किन्तु साबरमती एक्सप्रेसमें हिन्दुओंको जिन्दा जलानेका हेतु सिर्फ हिन्दुओंको मारके बैठे रहेनेका नहेरुवीयन कोंग्रेसका नहीं था. नहेरुवीयन कोंग्रेस दंगा फैलानेको सज्ज थी. और दंगे हुए. दोनों जातिके लोग मरे. नरेन्द्र मोदीने उसको तीन दिनमें कंट्रोलमें भी कर लिया, तो भी नहेरुवीयन कोंग्रेस और उसके साथी पक्षोंने मिलकर नरेन्द्र मोदीको गुनेगार ठहराने के असीम प्रयत्न किया. एक विशिष्ठ अन्वेषण टीम बनायी. और प्रत्येक स्तर पर नरेन्द्र मोदीको बदनाम करनेका प्रयास करते रहे.
इस विशिष्ठ अन्वेषण टीमने नरेन्द्र मोदीको प्रश्नोत्तरीके लिये बुलाया. यह पत्र नरेन्द्र मोदीके पास पहूंचे उसके पहले ही नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताओंने “नरेन्द्र मोदी परिक्षण टीमके पास क्यूं नहीं जाता है? वह क्यूं डरता है? वह यदि स्वयंको निर्दोष समजता है तो उसको अवश्य जाना ही चाहिये. नरेन्द्र मोदी डरपोक है, वह खुद आतंकवादी है, वह खूद नाझीवादी है, वह कायदेके शासनमें मानता नहीं है इस लिये वह अपने आपको न्यायालयके सामने प्रस्तूत करता नहीं है… नरेन्द्र मोदी न्यायालयका अपमान करता है… आदि आदि … कयी सारी अफवाहें फैलाके उसको बदनाम किया. .. और देखो हुआ क्या. नरेन्द्र मोदीको जब वह पत्र मिला तो वह तूरंत उसमें निर्दिष्ट दिनको अन्वेषण टीमके सामने प्रस्तूत भी हुआ और उसके सभी प्रश्नोंके आठ घंटो तक उत्तर दिया.
दूसरी और आप, इन्दिरा गांधीका आचार देखो. आपातकाल दरम्यान उसने और उसके निर्देशन पर किये गये कुकर्मो पर शाह जांच कमिटी के सामने उसने कभी अपने आपको प्रस्तूत नहीं किया. नहेरुवीयन कोंग्रेसीयोंने जो भर्त्सना नरेन्द्र मोदीकी की, वह वास्तवमें इन्दिरा गांधी पर ही सचोट रुपसे लागु पडती है. नहेरुवीयन लोग कायर है और वे लोग हमेशा न्यायालयके सामने प्रस्तूत होनेसे डरते है. हम ये बात लगातार देखते आ रहे है.
वीन्डीक्टीव, पाखंडी और भ्रष्ट नहेरुवीयन कोंग्रेस
राजस्थानका एक गुन्डा खंडणी वसुलीका काम करता था. गुजरातमें भी उसका कारोबार चलता था. उसके सामने कई केस दर्ज थे. गुजरात पूलिसने उसको मुठभैडमें मार गिराया. तो नहेरुवीयन कोंग्रेसके नेताओंने फर्जी एनकाउन्टरका केस गुजरातके पूलिस अफसरों पर चलाया. गुजारातके अफसरोंको निलंबित करके कारावासमें डाल दिया. गुजरातके बाहर केस चलाया. गुजरातके गृहमंत्रीको भी बेहाल किया और उसके पर भी केस चलाया.
२००८ बंबई ब्लास्टसे पहेले नहेरुवीयन कोंग्रेसने जिसका एनसीपी एक सांस्कृतिक और शासकीय साथी पक्ष था, उसने एक सर्क्युलर इस्यु करवाया था कि, भारतीय समूद्र सीमामें आने वाले जहाजोंका घनिष्ठ परिक्षण न किया जाय (ताकि नहेरुवीयन संमिलित तस्करीका कारोबार सुचारु रुपसे चल सके ). ऐसी स्थिति निर्माण करनेसे बंबई ब्लास्टके आतंकवादी बंबईमें घुसपैठ कर सके. उन्होने अपने कारोबारको अंतिम अंजाम तक पहूंचाया.
दंभी सेक्युलरोंकी बेटी कैसी होती है?
केन्द्रीय ईन्टेलीजन्स एजन्सीने सूचित किया कि मुस्लिम आतंकियोंकी एक टीम नरेन्द्र मोदीको मारनेकी बना रही है. गुजरातकी स्थानिक ईन्टेलीजन्स सतर्क हो गयी. और उसको पता लगा कि दो लडकोंके स्थान एक युवती आत्मघाती बोंम्बर बनके बंबईसे आ रही है. पूलिसने उनको रास्तेमें ही रोक लिया. उनके साथ मुठभेड हुई. तीनोंको पूलिसने मार गिराया.
इस घटना पर दंभी सेक्युलरोंने बेसुमार शोर मचाया. उन्होंने कहा कि यह फर्जी एन्काउन्टर था. नरेन्द्र मोदीने निर्दोष लोगों की हत्या की है. गुजरातके पूलिस अफसरों पर केस चलाना चाहिये. और केस चलाया भी.
केन्द्रीय ईन्टेलीजन्स एजन्सीसे बुलवाया कि, हम तो एक आशंकाका समाचार देते हैं. हम जो कहे उसके उपर विश्वास नहीं करना चाहिये. गुजरातको स्वयंको भी हम जो कहे उसके उपर सत्यताके बारेमें अपनी खूदकी तरफसे जांच करनी चाहिये. गुजरातने ऐसा कुछ किये बिना ही हमारी कथाको सत्य मानके निर्दोषीयोंकी हत्या कर दी है.
अब देखो मजेकी बात. तीन व्यक्ति जिसमें एक (युवती) थी. यह युवती बंबईकी थी.
अन्य दो लडके थे. वे आतंकी थे. उनके पास शस्त्र थे.
जो लडकी थी वह उन लडकोंकी नजदीकी रिस्तेदार भी नहीं थी.
इस युवतीके माता पिताको ज्ञात भी नहीं था कि ये दो लडके कौन है और कहां रहते है और क्या करते है?
ऐसे लडकोंके साथ वह लडकी स्वयंके माता पिताको बिना बताये भाग जाती है,
इस लडकीके माता पिता को ज्ञात नहीं है कि अपनी लडकी कहां जाती है?
खुदकी लडकी जब भाग जाती है तो भी वे कभी तलाश नहीं करते है कि हमारी लडकी खो गयी है?
ये कैसे माता पिता है, खुदकी लडकी भाग गयी तो भी पूलिसमें फरियाद भी दर्ज नहीं करवाते हैं?
हर माता पिता अपनी लडकीका खयाल रखते है. किन्तु यहां पर एक ऐसे माता पिता है जो मुस्लिम होते हुए भी अपनी लडकीके बारे में अनभिज्ञ है. खुदकी लडकी किसके साथ घुमती फिरती है इस बातसे भी अज्ञात है ऐसा बताते है. यह बात असंभव है. क्यों कि जब लडकी घरसे भाग जाती है तो भी यह माता पिता उसकी तालाश नहीं करते है इसका मतलब यही होता है कि माता पिता को मालुम था ही की जिन लडकोंके साथ वह भाग गयी वे लडके कौन थे. लडकेनें उस लडकी के माता पिताको क्या बताया इस बात पर भी माता पिता मौन है. हो सकता है कि लडकोंने गलत बताया हो. लेकिन कुछ तो बताया होना ही चाहिये. लेकिन इस लडकीके माता पिता साफ साफ बाताने के बदले मौन ही रहेते है. लडकीके भगौडेके बारेमें केवल ही केवल मौन ही रहते हैं.
इससे यह बात साफ हो जाती है कि माता पिता कुछ तो छिपाते ही है. इससे दो बातें सिद्ध होती है, कि आम मुस्लिमको आतंकीयोंके प्रति हमदर्द है. आम मुस्लिम आतंकीयोंके बारेमें भारतीय पूलिसको बताना नहीं चाहता है. इस तरह ये माता पिता पूरी मुस्लिम कोमको बदनाम करते है या तो मुस्लिम कोम ऐसी ही है. यह नहेरुवीयन शासनका एक और निस्कर्ष है.
किन्तु नहेरुवीयन कोंग्रेस और उसके सांस्कृतिक साथीयोंने इस घटनाका हार्द समझने के बदले इस घटनाको अलग मोड पर घुमा दिया. इस घटनाको फर्जी एन्काउन्टर घोषित कर दिया. चूं कि ये लोग शासनमें थे और चूं कि इनको देशके हितके बदले खूदकी सत्ता कायम रहे इसलिये अपनी वॉटबेंकको बनानेके लिये और कायम रखनेके लिये इन्होने जांच बैठा दी. और गुजरातके संलग्न पूलिस अफसरोंको निलंबित कर दिया. जो राष्ट्र के हितमें अपनी ड्युटी बजाते थे, उनको कारावासमें डाल दिया.
वैसे तो गुजरातकी पूलिसने सही अंदाजा लगाया था कि, ये तीनो आतंकवादी गुटके ही थे. अमेरिकन खुफीया एजन्सीने भी विश्वस्त सूत्रोंसे भारतीय केन्द्रीय ईन्टेलीजन्सको यह बताया था कि एक टीम गुजरात जा रही है. भारतीय केन्द्रीय इन्टेलीजन्सने भी केन्द्रीय जांच एजन्सीको यह बात बतायी थी. किन्तु चूं कि उस समय केन्द्रीय शासन नहेरुवंशी कोंग्रेसका था, भारतीय केन्द्रीय जांच एजन्सीको नहेरुवीयन कोंग्रेस द्वारा कहा गया कि इस सूचनाको न्यायालयके सामने प्रस्तूत न करो और दबा दो क्यूंकि हमारा ध्येय नरेन्द्र मोदीको और उसके पूलिस अफसरोंको त्रस्त करना है, हमारा ध्येय आतंकीयोंको खतम करनेका नहीं है. यह भी हो सकता है कि यह सूचना नहेरुवीयन कोंग्रेसने केन्द्रीय जांच एजन्सी तक पहूंचने ही न दी हो.
नहेरुवीयन कोंग्रेसके ऐसे दुराचारसे कई और प्रश्न भी प्रस्तूत बनते है.
नहेरुवीयन कोंग्रेसके गृह मंत्रीयोंने ये बाते दबा दी है. इस लिये उनको गिरफ्तार करना चाहिये,
उस समयके गृहसचीवोंका उत्तरदायित्व बनता है कि उन्होंने देशके हितमें कदम उठानेके स्थान पर एक राजकीय पक्षकी विभाजन वादी और देशहितके विरुद्ध दिये गये आदेशोंका क्यूं पालन किया? और सतत क्यूं करते रहे? आतंकवादीयोंका उत्साह बढानेका काम क्यूं करते रहें?
गैर कानुनी आदेशोंको मानने के लिये ब्युरोक्रसी बाध्य नहीं है यह उनकी प्रतिज्ञा होती है. जिन्होंने गैर कानुनी और देशहितके विरुद्ध आदेश दिया उनके नाम क्यूं वे गृहसचीवोंने उजागर नहीं किया? इन गृहसचिवोंका फर्ज बनता था कि कोई भी देश हितके विरुद्ध के आचारको वे उजागर करें.
नहेरुवीयन कोंग्रेसके एजंडाको सफल बनानेके लिये और अपनी वॉट–बेंकको जारी रखनेके लिये इस एनकाउन्टर को फर्जी बनाके, नरेन्द्र मोदीको सकंजेमें लेनेमें सभी भी दंभी और गद्दार सीक्युलर गेन्ग कूद पडी थी. उन्होने सोचा कि यह अच्छा मौका है नरेन्द्र मोदीको राजकीय रुपसे मौतके घाट उतारनेका. सभी टीवी चेनलवाले भी इस घटना पर तूट पडे. नीतीशकुमारने बोला, नरेन्द्र मोदीने बिहारकी एक बेटीको बेमौत मार दिया. बिहार की बेटी … बिहारकी बेटी….
लेकिन कोईने यह न सोचा कि बिहारकी बेटी अनजान युवकोंके साथ क्यूं भाग गई ? …. बिहारकी बेटीके माता–पिताने कैसे ये अनजान युवकोंके साथ उनको जाने दिया ? …. बिहारकी बेटी कई रातों तक घर वापस नहीं आयी तो भी बिहारकी बेटीके माता पिताने क्यूं पूलिसमें रीपोर्ट दर्ज न करायी ? … बिहारकी बेटीके माता पिता क्यूं मौन रहे? …. टीवी चैनलके और समाचार पत्रोंके कई सारे दंभी सीक्युलर विद्वान ऐसे प्रश्नों पर क्यूं मौन रहे? नहेरुवीयन कोंग्रेसके एजंडाको सफल बनानेके लिये और अपनी वॉट–बेंकको जारी रखनेके लिये इस एनकाउन्टर को फर्जी बनाके, नरेन्द्र मोदीको सकंजेमें लेनेमें सभी भी दंभी और गद्दार सीक्युलर गेन्ग कूद पडी थी. टीवी चैनलके और समाचार पत्रोंके कई सारे दंभी सीक्युलर विद्वान ऐसे प्रश्नों पर क्यूं मौन रहे?
और आज जब हैडलीने खूद कहा कि इसरत जहां, मोदीको मारनेके लिये तैयार की गयी टीमकी सदस्य थी, तब भी ये दंभी सेक्युलर गेंगके सदस्य अपनी बात पर अडे हुए है. मनीश तीवारी, कपि सिब्बल, नीतीश कुमार और उसका साथी तेजेश्वर यादव हैडलीकी बातको सच माननसे से इन्कार कर रहे हैं.
वे ऐसा क्यूं करते हैं? वे ऐसा यूं करते है क्यों कि उनको अपनी सीक्युलरी वॉटबेंककी दुकान चालु रखनी है. यह गद्दारी काम है. इन लोगोंको कारावासमें ही भेजना चाहिये.
जीन्ना नहेरु युनीवर्सीटी एन्टी सोसीयल एक्टीवीटीका अड्डा
जे एन यु गद्दारोंका अड्डा बन गया है. वहां पाकिस्तानके सपोर्टमें, भारतके विरुद्ध और अफजल गुरुकी सजाके विरुद्धमें नारे लगाये जाते हैं, भारतको बरबाद करनेके नारे लगाए जाते हैं. नहेरुवीयन कोंग्रेसका शासन था तब भी ऐसा होता था. लेकिन नहेरुवीयन कोंग्रेस इसको अपनी वॉटबेंकके लिये आवश्यक समझती थी. कश्मिरमें ३०००+ हिन्दुंओंकी कत्लेआम और पांचलाख हिन्दुओंको कश्मिरसे भगा देनेवाली नहेरुवीयन कोंग्रेसके लिये जे एन यु गद्दारोंके हवाले कर देना तो आम बात थी. लेकिन जब बीजेपी की सरकार आयी और इसने जीनयु के गद्दारोंके विरुद्ध काम करना शुरु किया तो ये नहेरुवीयन कोंगी नेतागण और उसके सांस्कृतिक साथी बीजेपी सरकारके कदमके विरुद्ध बोलने लगे. और लोकशाहीकी आत्माके खूनकी बात करने लगे है.
नहेरुवीयन कोंग्रेस और उसके सांस्कृतिक साथी पक्ष, मूलतः श्युडो सेक्युलर पक्ष है. इनका सर्व प्रथम लक्ष्य मुस्लिम जनता और ख्रिस्ती जनता हिन्दुओंके साथ हिलमिल न जाय और अपनेको अलग महेसुस करें वह देखना है. इसलिये वह जब भी मौका मिले तब मुस्लिम और ख्रिस्ती जनताके अधिकारकी बातें करती रहेती है और उनको हर देश–द्रोही गतिविधियोंमें मदद किया करती है.
राहुल और उसके सांस्कृतिक साथीगण ने क्या कहा?
एन्टी नेशनल लोग जे एन यु को के छात्रोंकी आवाजको दबा दे रहे हैं.
किन छात्रोंकी आवाजको दिल्ली पूलिसने दबाया?
जो छात्र ऐसा बोलते थे कि ” भारत मूर्दाबाद, पाकिस्तान जिन्दाबाद, कितने अफझलको मारोगे? घर घर अफझल गुरु पैदा होगा. जब तक भारत बरबाद नहीं होगा तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.” ऐसी आवाज करने वाले छात्रोंको दिल्ली पूलिसने गिरफतार किया. राहुलने कहा कि जिन लोगोंने ये आवाज दबायी वे एन्टीनेशनल है. मतलब कि दिल्ली पूलिस एन्टी नेशनल है.
अफजल गुरु एन्टी नेशनल था इस लिये तो राहुल और उसके सांस्कृतिक साथीगणके पक्षकी सरकारने अफजल गुरुको फांसीकी सजा दिलवायी. अब अफजल गुरुकी सजाका विरोध करनेवाले तो एन्टी सोसीयल है ही, किन्तु इन विरोध करनेवालोंके उपर कार्यवाही करने वाले भी एन्टी सोसीयल है. मतलब की एक एन्टीसोसीयल व्यक्तिको न्यायालयने फांसी की सजा दी वह भी एन्टीसोसीयल है, इस एन्टीसोसीयलकी सजाके विरोध करनेवाले भी एन्टी सोसीयल है, इस विरोधके सामने कार्यवाही करनेवाले भी एन्टी सोसीयल है, तो फिर एन्टी सोसीयल बननेसे बचा कौन? अफजल गुरुके विरुद्ध केस लडने वाली भी सरकार ही तो थी. और वह सरकार भी तो राहुलऔर उसके सांस्कृतिक साथीगण जिस पक्षोंके है उसी पक्षोंकी तो थी. तो राहुल का पक्ष भी तो एन्टी सोसीयल हुआ. अफजल गुरु एन्टीसोसीयल था, राहुल और उसके सांस्कृतिक साथीगणके पक्ष एन्टीसोसीयल है, न्यायालय एन्टी सोसीयल है, न्यायालयके आदेशको विरोध करनेवाले एन्टीसोसीयल है, इन विरोध करनेवालोंको पकडनेवाले एन्टीसोसीयल है …. ऐसा लोजीक तो सिर्फ राहुल जैसा कोई पप्पु ही कर सकता है.
वेमुलाने भी अफजलगुरुकी फांसीकी सजाका विरोध किया था. तो चूं कि पप्पुओंके हिसाबसे वह वेमुला शीड्युल्ड जातिका था, और पप्पुओंके प्रमाणित तर्कसे शीड्युल्ड जातिके लोग कुछ भी गद्दारीका काम कर सकते है, और ऐसे वेमुलोंको रोकने वाला या विरोध करनेवाला भी एन्टीसोशीयल है. ऐसी तर्क हीन बातें तो पप्पु लोग ही कर सकते है.
नहेरुवीयन कोंग्रेसके एक और साथी केज्रीने क्या कहा? उसने आशंका व्यक्त की कि वह वीडीयोक्लीप फर्जी है या नहीं उसकी जांच करवायेगी.
राहुल, येचूरी, कपि सिब्बल, मनीश तिवारी जैसे पप्पुओंको देशके विरुद्ध और देशकी बरबादी के लिये कीये गये उच्चारण महत्व नहीं हैं. वे कुछ और असंबद्ध बाते हीं करने लगते है.
इतने खूल्लेआम गद्दारी करनेवालोंके लिये तो फांसीकी सजा भी कम है.
(क्रमशः)
आजीवन कारवास भी देश को भारी पडेगा..इसलिये..
बस यही कहना है हमारा भी…..
कि::
“जे. एन. यु. जीन्ना नहेरु युनीवर्सीटी
मार दिया जाय, न कि, छोड दिया जाय.”..
तिसरी आंख और श्री शिरीष मोहनलाल दवेजी का
धन्यवाद करते हैं।..
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एप्रीसीएशन के लिये धन्यवाद. विमला गोहिलजी
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