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Posts Tagged ‘राक्षस’

Rama has been lost who had walked on this earth in flesh and blood

खो गये है हाड मांसके बने राम (भाग-)

सीताका हरण हो गया.

सीताकी शोधके लिये राम भटकने लगे,

रामको हनुमान और सुग्रीव मिले

हनुमान, सुग्रीव आदि कौन थे?

वे निश्चय ही केराला के थे. जो मल्ल विद्या (मार्शल) आर्टमें उस समय निपूण थे. उस समय ऐसा हो सकता है. वे सब मनुष्य ही थे. अगर वह सचमुच बंदर होते तो उनकी मुंह की रचनाके कारण व्यंजन और स्वरका उच्चारण ही कर नहीं सकते. वानर का मतलब “अपि एतद्‍ नरः वा न वा?”. क्या यह नर (मनुष्य) है या नहीं है? यानी कि वानरः. हनुमानकी माता वानर नहीं थी. न तो उसका पिता (मरुत) वानर था. हनुमान मरुत की तरह यह चपल तीव्र गतिवाले थे है इस लिये उनको मरुतपुत्र कहे गये. वह कुछ भी हो, वे कोई भी बंदर नहीं हो सकते.

सुग्रीवकी स्मस्या

सुग्रीवने अपनी समस्या बताई. वह समस्या यह थी कि, उसका भाई जब किसी दुश्मनसे लडनेको गुफामें गया तो सुग्रीवने यह सोचकर गुफाका द्वार बंद कर दिया कि दुश्मनने वालीको मार दिया होगा क्यों की, गुफासे खून बाहर आने लगा था.

वाली एक महाबलवान राजा था. उसकी लडने की (द्वंद्वयुद्धमें) ऐसी कला थी कि वह अपने   प्रतिस्पर्धीको हतःप्रभ करके उसकी ताकतको आधी कर देता था. उस समयकी इस युद्धकलामें वाली पारंगत था. “ब्रुस ली” को याद करो.  मार्शल आर्ट, ज्युडो, कराटे आदि सब वालीके जमानेकी निस्पत्ति हो सकती है.

द्वंद्व युद्ध

राम वैसे भगवान तो थे नहीं. उनका ध्येय था अपनी पत्नीको खोजना और गर कोई सीताका हरण कर गया है तो हरण करने वाले को हराके, नालेशीका बदला लेना.

अगर किसीसे युद्ध करना है और अगर सामने वाला अतिशक्तिशाली है तो रामके पास राज नीतिका विकल्प था. उनके पास विकल्प था कि वे वालीसे मिले और सुग्रीवके साथ संधि करावे. हो सकता है रामने यह भी सोचा हो कि सुग्रीव का प्रतिभाव कैसा रहेगा? राजाका धर्म है कि, वह आश्रितके हितमें ही काम करें. सुग्रीवने वालीके बारेमें विस्तारसे बात की होगी. इस लिये वे कोई अनिश्चित परिणाम वाला जोखम उठाना नहीं चाहते थे. उन्होंने युद्धके नियमोंसे विपरित निर्णय लिया. और छिपके उनको मारा.

कई लोग रामके इस कदमकी निंदा करते है

कुछ लोग बचाव भी करते है. लेकिन रामकी स्थिति का विचार करो. एक तो उसकी स्त्री खो गई है या उसका हरण हो गया है. राम अपनी स्त्रीकी क्या दशा होगी उससे चिंतित भी होगे, निराश भी होगे. उनकी मानसिकता उनको अधिर भी बना रही होगी.

अतिबलवान और आपखुद राजा वालीका साथ लेना खतरे से खाली भी नहीं हो सकता है. नहेरुको याद करो. नहेरुने रुससे मैत्री की. क्या पाया हमने? नहेरुने चीनसे मैत्री की. क्या पाया हमने? चीनने एक दुश्मन जैसा वर्तन किया और हमने हमारी जमीन खो दी.  

राजा यानी की राजकार्ता का यानी की शासकका धर्म है कि वह लंबी सोचे और जिससे मित्रता करनी है उसके बारेमें पुरी जानकारी प्राप्त करे. रामको जो ठीक लगा वह रामने किया.

और यह भी देखो कि, सुग्रीवके उपर इतना उपकार करने के बावजुद भी वह सुग्रीव, रंगरागमें पडजाता है. तो रामको अपना गुस्सा बताना पडता है. अगर उस समय सुग्रीवकी जगह वाली होता तो राम ऐसा कर सकते?

सुग्रीव सज्ज हो जाता है. चारों दिशामें अपने आदमीयों को भेज देता है. पता चलता है कि रावणने सीता का हरण किया है. और वह दक्षिणकी और गया है. हनुमान दक्षिणकी और जाते है. सीता का पता लगाते है. सीताको अशोक वन में मिलते है. सीताका संदेश लेके जाते है कि सीता चाहती है कि, राम उसको वापस ले जावें.

हनुमान पकडे जाते है. रावण हनुमानको मारता नहीं है. लेकिन उनकी पूंछको आग लगाता है. कोई कहेगा कि हनुमान अगर बंदर नहीं थे तो उनको पूंछ कैसे हो सकती है. पूंछ एक फेशन हो सकती है. आज भी कोई जगह ऐसी फेशन है. जैसे आज भी कुछ वनवासी सींग का टोपा त्योहारोंमें पहनते है.

हनुमानने उसी अग्निसे कोई जगह लंकामें आग लगाई होगी. लेकिन कविने अतिशयोक्ति अलंकार युक्त भाषामें सारी लंका में आग लगाई ऐसा कहा होगा. यह भी हो सकता है, कि रावण को और उसकी जनताको घरोंके बनानेमें व्यस्त रखने से राम को सेतू बनानेका वक्त मिल जाय. क्यों कि राम को मालुम तो हो गया था कि सीताको रावण उठा गया है.

रामने सेतू बनाया था या नहीं?

भूस्तर शास्त्रके हिसाबसे लंका हि नहीं पूरे विश्वकी धरती मीली हुई थी. धीरे धीरे उसमें दरारें पडने गयीं और अलग अलग खंड बनते गये. समुद्र खिसकता गया. पांच दश हजार साल पहेले हो सकता है लंका और भारतके बीच समुद्र गहरा न हो. बीच बीचमें धरती भी हो. और चलने लायक भी हो. लेकिन शस्त्र सरंजामके लिये और वाहन चलाने के लिये उस के उपर रास्ता बनाने के लिये काम करना जरुरी हो. ऐसी स्थितिमें जो रास्ता बनाया जायेगा वह पुल जैसा ही दिखेगा. मतलब यह है कि, पुलका नीचेका हिस्सा कुदरती हो और उपरका हिस्सा रामने सर्जित किया हो.

एक धारणा यह है कि, लक्का नामका प्रदेश मध्यप्रदेशमें है. एक इतिहासकार कहते है कि राम श्रीलंकामें गये ही नहीं थे. राम तो इस लक्कामें गये थे. इस लक्काके आसपास ऐसी जमीन है जहां पानीके कई खड्डे है. रावण गधे पर बैठके पंचवटी गया था. तो ऐसी जगह पर तो गधा ही चल सकता है. राम, श्रीलंका गये नहीं थे. रामने तो नर्मदाको पार ही नहीं की थी. वह कैसे श्री लंका जा सकते. रावणने शणके कपडे पहेने थे. मध्यप्रदेशके प्रदेशमें शण पैदा होता है. यहां कुछ लोग रावणको पूजते भी है. लेकिन इसमें विरोधाभास है. शण यहां पैदा होता है ऐसा एक जगह बताया है. दूसरी जगह यह भी लिखा है, कि दारुका मीट्टीका जग रोमसे आता था. अगर रोमसे दारु और दारु का जग आ सकता है तो शण भी आ सकता है. मीस्रके ममीके उपरका सूती कपडा भी तो भारतसे जाता था. इस लिये मध्यप्रदेशके लक्का का आधार शण नहीं बन सकता. पंचवटी जानेके लिये या लंका जानेके लिये  न तो सिंधु, सरस्वती न तो साबरमती नदी को क्रोस करना पडता है वैसे ही नर्मदाको भी क्रोस करना पडता नहीं है.

श्री लंकाके की सिंहाली भाषा भी बिहारी हिंदीसे मिलती जुलती है. लेकिन वह कुछ भी हो मध्यप्रदेशमें कोई रामसेतू दिखाई नहीं देता. इन सब बातोंको छोड भी दे. क्यों कि ये सब बातें रामके अस्तित्वको या तो उसके चरित्र पर असर कर्ता नहीं है.

मूल बात पर आते हैं.

राम रावण का युद्ध हुआ

रावण ममत पर गया. और युद्ध किया. रामने रावणको मारा और राम अपनी पत्नी सीतासे मिले.

रामके चरित्र को चार चांद लगाने वाली रामायण यहां से शुरु होती है. कई सारे मूर्धन्य और विवेचक यहां पर ही राजा रामके चरित्र को उजागर करनेमें रास्तेसे भटक जाते है.

रामके ऐसे कौनसे संस्कार है जो उनको अतिमानव बनाते है और हजारों सालोंके बाद आज भी उनका आदर किया जाता है. उनके जीवनका कौनसा हिस्सा है?

क्या रामका राजगद्दीका त्याग करना? पिताकी आज्ञासे वनवास जाना? राक्षसोंको मारना? रावणको हराना? क्या इन सब कारणोंसे राम पूजनीय बनते है?

नहीं जी. राजगद्दीका त्याग तो कई राजाओंने किया है. कई राजा ने वनवास ग्रहण भी किया है. राक्षसोंका संहार भी कई राजाओंने किया है. रावणको भी कईयोंने हराया था.

तो फिर, क्या बात है जो रामको महामानव बनाती है?

(क्रमशः)

शिरीष मोहनलाल दवे.

 

टेग्झः राम, रावण, सीताक हरण, लंका, लक्का, शण, दारु, हनुमान, सुग्रीव, वाली, राक्षस, महामानव, अतिमानव, भगवान, पंचवटी,  

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